मुश्किल हालातों में भी उभरे:पुलवामा हमले के बाद आरिया व हंसा घर में प्रैक्टिस कर पहुंची नेशनल तकबिना स्टेडियम और कोच के दीवान ने खुद की वुशु चैंपियनशिप की ट्रेनिंग, ट्रायल में किया बेहतरीन प्रदर्शन
नेशनल जूनियर वुशु चैंपियनशिप में जम्मू- कश्मीर से 53 खिलाड़ी आए हुए हैं। इनमें कश्मीर के श्रीनगर के बबीना कस्बा की दो बहनें हंसा व आरिया चिस्टी भी शामिल हैं। यह खिलाड़ी जिस एरिया में रहती हैं, वहां अक्सर तरह-तरह के हमले होते रहते हैं, जिससे दहशत का माहौल रहता है। इसके बावजूद यह खिलाड़ी अपने खेल को बेहतर बनाने में जुटे रहते हैं। उनके कोच आशिफ ने भी उनका पूरा साथ दिया।
गंभीर हालातों में भी इन दोनों काे ट्रेनिंग देने के लिए बाधाओं को पार करते हुए उनके घर पहुंचते थे। आरिया नेशनल वुशू चैंपियनशिप में एक बार जीत चुकी है। वहीं जम्मू कश्मीर के खिलाड़ियों को प्रोत्साहन देने वाले द्रोणाचार्य अवार्डी कुलदीप हांडू हैं।
हमले के बाद घर से बाहर जाने की नहीं थी अनुमति
वुशू प्लेयर हंसा व आरिया जूड़वा बहनें है। दाेनाें बहनें करीब 15 साल की हैं जाे दोनों दसवीं कक्षा में पढ़ती हैं। उन्होंने बताया कि जब पुलवामा हमला हुआ तो उनके इलाके में हालात काफी गंभीर हो गए थे। किसी को बाहर आने जाने की अनुमति नहीं थी। जगह-जगह सैनिक तैनात थे। उन्हें डर था कि वह कैसे ट्रेनिंग करेगी। ऐसा एक बार नहीं बल्कि कई बार हुआ है। आए दिन पथराव वहां होते रहते हैं, लेकिन उन्होंने खेल नहीं छोड़ा।
कोच आशिफ जान जोखिम में डाल देते थे ट्रेनिंग
दोनों बहनों के कोच आशिफ जब पुलवामा हमले के बाद गंभीर स्थिति बनी तो दोनों बहनों को उनके घर में ही ट्रेनिंग की बात कही। कोच सुबह तड़के 4 बजे जब कोई देखने वाला नहीं होता था, गलियों से होकर दोनों बहनों के घर पहुंचते थे। वह उन्हें तीन-चार घंटे ट्रेनिंग करवाते हैं।
न खेल का मैदान, न कोच
जम्मू के एबीडब्ल्यू का रहने वाला वंशिका दीवान, जिसके पिता का निधन हो चुका है। दीवान ने बताया कि उनके इलाके में न स्टेडियम है न कोच। उसने खुद ही ट्रेनिंग शुरू की थी। जब नेशनल के लिए खिलाड़ी चुने जा रहे थे, वह वहां पहुंच गया। उसके खेल को देखते हुए चयनित हो गया। उनके इलाके में भी हालात खराब हैं।
नेशनल जूनियर वुशू चैंपियनशिप में काफी बेहतर खिलाड़ी पहुंचे हैं। जो कड़ी मेहनत करने के बाद यहां तक पहुंचे हैं।”