सोशल मीडिया का सहारा:अब मिस्र में अपने घने-घुंघराले बालों को पश्चिम के सपाट और सीधे प्रभाव से आजादी दिलाने के लिए युवा कर रहे खामोश क्रांतिमिस्र में 10 साल पहले एक बड़ी क्रांति हुई थी। तानाशाह होस्नी मुबारक से मुक्ति पाने के लिए। राजधानी काहिरा के तहरीर चौक पर लाखों युवा प्रदर्शनकारी जुटे। और आखिरकार उन्हाेंने खुद को तानाशाह से आजाद करा लिया। अब यही युवा फिर एक क्रांति की राह पर हैं। ये खामोश क्रांति है, जाे प्राकृतिक घने-घुंघराले बालों को पश्चिम के सपाट और सीधे प्रभाव से आजादी दिलाने के लिए हो रही है। जी कर्ल्स सैलून की मैनेजर सोराया हाशेम इस ‘खामोश क्रांति’ के अगुआ चेहरों में से हैं।
वे और उनके कई साथी सोशल मीडिया के जरिए धीरे-धीरे इस ‘क्रांति’ को हवा दे रहे हैं। याद रखने की दिलचस्प बात है कि तानाशाह होस्नी मुबारक के खिलाफ क्रांति की शुरुआत भी ऐसे ही सोशल मीडिया के जरिए हुई थी। बहरहाल, हाशेम बताती हैं, ‘पहले हम पर पारिवारिक, सामाजिक दबाव था। पश्चिम के प्रभाव और नस्लीय पूर्वाग्रहों की वजह से हमारे प्राकृतिक घुंघराले बालों को गलत माना जाता था।
सीधे कह दिया जाता था- सैलून जाएं, इन्हें सीधा करवाएं। सुंदर दिखने की कोशिश करें।’ हाशेम की सहयोगी दीना ओथमैन बताती हैं, ‘उस प्रभाव की सबसे बुरी बात यह थी कि स्कूलों में टीचर भी बच्चों से ऐसे बालों से छुटकारा पाने को कहते थे। नौकरी मांगने जाते तो इसी आधार पर कह दिया जाता कि आप योग्य नहीं हैं। मुझे ही घुंघराले बालों के कारण कई नौकरी नहीं दी गई। गैरजिम्मेदार बता दिया गया।’हालांकि जब युवाओं ने ठाना तो स्थितियां बदलने लगीं।
शुरुआती दौर में सितारा फुटबॉल खिलाड़ी मोहम्मद सलाह खास हेयर स्टाइल के कारण युवाओं के आदर्श बने। और आज इस बदलाव का असर इतना हाे चुका है कि युवाओं खासकर, महिलाओं के लिए ‘घुंघराले बाल अब समस्या नहीं हैं।’ यहां तक कि हाल ही में चर्चित अल-गौना फिल्म महोत्सव में भी लाल कालीन पर चर्चित हस्तियां अपने घुंघराले बालों के साथ ही शान से इठलाती दिखी हैं।
मैं जब अपने घुंघराले बालों को देखती हूं तो आजादी महसूस होती है
ऑनलाइन फोरम और हेयर केयर कंपनी हेयर एडिक्ट की फाउंडर डोआ गाविश कहती है, ‘मैंने इसकी फिक्र नहीं की कि लोग क्या सोचेंगे। जब मैंने इस कंपनी की शुरुआत की तो मिस्र और खाड़ी में मेरे पांच लाख फॉलोअर बन गए। लोग मेरे मुरीद हो गए। आज जब अपने घुंघराले बालों को देखती हूं तो आजादी महसूस होती है। मुझे ये देखकर अच्छा लगता है कि देश में लोग अब टैटू और नाटकीय हेयर कट रखने से झिझकते नहींं। और उनका सबसे ज्यादा ध्यान घुंघराले बालों पर है।’