नए CM की नई टीम:उत्तराखंड में 11 विधायकों ने मंत्री पद की शपथ ली; 8 को कैबिनेट मंत्री बनाया गया, 3 नए चेहरों को भी मौकाउत्तराखंड के नए मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने शुक्रवार को अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया। राजभवन में हुए एक सादे समारोह में राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने 11 विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई। तीरथ सिंह रावत ने 10 मार्च को अकेले शपथ ली थी।
नए प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन कौशिक को छोड़कर, पूर्व CM त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल में मंत्री रहे सभी विधायकों को दोबारा मंत्री बनाया गया है। 4 नए चेहरे भी तीरथ रावत की मंत्रिपरिषद में शामिल किए गए हैं। 11 मंत्रियों में से 8 को कैबिनेट और 3 को राज्य मंत्रियों का स्वतंत्र प्रभार दिया गया है।
दिल्ली में तय हुए मंत्रियों के नाम
राजनीतिक उथल-पुथल के बीच त्रिवेंद्र सिंह रावत ने मंगलवार को मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। उनकी जगह नए मुख्यमंत्री के रूप में गौढ़ी-गढ़वाल से सांसद तीरथ सिंह रावत ने शपथ ली थी। गुरुवार को नए मंत्रिमंडल के गठन को लेकर दिल्ली में सियासी मुलाकात जारी रही। प्रदेश प्रभारी दुष्यंत गौतम मंत्रियों के नामों को लेकर भाजपा के संगठन मंत्री बीएल संतोष से मिले थे। यह मुलाकात 40 मिनट तक चली थी, जिसमें नए मंत्रियों के नामों को लेकर चर्चा की गई थी।
कौन हैं नए CM तीरथ सिंह?
तीरथ सिंह रावत 9 फरवरी 2013 से 31 दिसंबर 2015 तक उत्तराखंड भाजपा के चीफ रहे हैं। इससे पहले चौबट्टाखाल विधानसभा से 2012 से 2017 तक विधायक रहे। वर्तमान में वह भाजपा के नेशनल सेक्रेटरी हैं। उनका जन्म 9 अप्रैल 1964 को पौड़ी गढ़वाल जिले में हुआ था। इससे पहले वे उत्तरप्रदेश भारतीय जनता युवा मोर्चा के उपाध्यक्ष भी रहे हैं। 1997 में यूपी से विधायक भी रह चुके है। वे उत्तराखंड के पहले शिक्षामंत्री रहे हैं। वर्तमान में वे पौड़ी गढ़वाल लोकसभा सीट से सांसद हैं।
तीरथ 1983 से 1988 तक राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रांत प्रचारक भी रहे हैं। इसके अलावा वे अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (उत्तराखंड) के संगठन मंत्री और राष्ट्रीय मंत्री भी रहे। उन्होंने समाजशास्त्र में MA और पत्रकारिता में डिप्लोमा किया है। वे हेमवती नंदन गढ़वाल यूनिवर्सिटी में छात्र संघ अध्यक्ष और छात्र संघ मोर्चा (उत्तर प्रदेश) में प्रदेश उपाध्यक्ष भी रहे थे।
इस वजह से त्रिवेंद्र सिंह को देना था पड़ा इस्तीफा
उत्तराखंड में पार्टी का एक गुट त्रिवेंद्र सिंह रावत से नाराज था। इस नाराज गुट का कहना था कि अगर त्रिवेंद्र सिंह रावत मुख्यमंत्री रहे तो अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव में पार्टी को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। यहां तक कि पार्टी सत्ता से बाहर भी हो सकती है। पार्टी पर्यवेक्षकों ने 6 फरवरी को देहरादून जाकर पार्टी विधायकों से बात की थी। 7 फरवरी को दोनों दिल्ली लौट आए थे और अपनी रिपोर्ट पार्टी अध्यक्ष को दी थी। इसके बाद तीरथ सिंह रावत को मुख्यमंत्री बनाया गया।