महामारी से जंग को नाकाम करने की साजिश:दक्षिण हरियाणा में कोरोना वैक्सीन में गोरक्त और सूअर की चर्बी होने की अफवाह फैला रहे शरारतीतत्वहरियाणा में कोरोना के खिलाफ जारी जंग को नुकसान पहुंचाने की साजिद कुछ खुराफातीतत्व कर रहे हं। कुछ इलाकों में कोरोना वैक्सीन को लेकर यह अफवाहें फैलाई जा रही हैं कि इसमें गाय का खून, सूअर की चर्बी मिली है। इतना ही नहीं, इस दवा से बांझपन होने की अफवाह भी उड़ाई जा रही है। इन अफवाहों को फैलाने वालों पर कार्रवाई के लिए स्थानीय प्रशासन के साथ-साथ मुख्यमंत्री कार्यालय को भी लोग पत्र लिख रहे हैं।
वैक्सीनेशन रिपोर्ट में राज्य के 22 जिलों में पलवल 17वें नंबर पर है। साढ़े 10 लाख की आबादी (2011 की जनगणना के अनुसार) वाले पलवल जिले में 1,252 लोगों ने ही टीका लगवाया है। 12 लाख की आबादी वाले नूंह में सबसे कम 470 लोगों को टीका लगाया गया है। यह अलग बात है कि पहले चरण में हर जिले में 1 लाख लोगों को कोरोना वैक्सीन दिए जाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। यह पूरा क्यों नहीं, इसकी वजह इलाके में फैल रही भ्रांतियां हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इस महीने की शुरुआत में स्थानीय प्रशासन और मुख्यमंत्री कार्यालय को दक्षिणी हरियाणा के जिले पलवल से 60 के करीब लोगों ने पत्र लिखकर कोविड का टीका नहीं लगवाने की इच्छा जाहिर की थी। उन्हें डर था कि इस सीरम में गाय का खून, मांस है। इसी तरह पहले नूंह में भी इस ड्राइव के प्रतिरोध की बात सामने आई थी। लोगों ने स्वास्थ्य विभाग को अपनी चिंताओं से अवगत कराया कि यह टीका सूअर के अवशेषों से बना है। यह बांझपन का कारण बन सकती है। इन्हीं आशंकाओं के बीच
लोगों के मन में कई प्रकार की शंकाएं
विभाग को भेजी गई चिट्ठी में अनिच्छा जताने वाले पलवल के नरेंद्र कुमार के मुताबिक इस वैक्सीन की कोई प्रामाणिकता नहीं है। इसमें गर्भस्थ भ्रूण, सूअर और चिंपांजी के अंश शामिल हैं। यह गाय के खून से भी बनता है। वह आगे कहते हैं, ‘हमें यकीन भी नहीं है कि कोविड असल में ही कोई बीमारी है या हमें झूठ परोसा जा रहा है। इसी तरह हरियाणा सरकार और पलवल के डिप्टी कमिश्नर को लिखे पत्र में जावती नामक एक अन्य नागरिक ने आशंका जताई है कि यह पश्चिमी देशों द्वारा रची गई एक साजिश है। टीका लगाने से हमारा धर्म नष्ट हो जाएगा। इसमें गाय का मांस होता है।
भ्रम दूर करने का प्रयास कर रहे: स्वास्थ्य विभाग
स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि लोगों के भ्रम को दूर करने के प्रयास किए जा रहे हैं। इस बारे में नूंह के उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी बसंत दुबे ने कहा कि हम स्थानीय समुदायों के साथ बैठकें करके और रेडियो और मल्टी मीडिया प्लेटफार्मों के माध्यम से जागरूकता फैलाकर इन चिंताओं को दूर करने की कोशिश कर रहे हैं। लोग इन सेंटरों पर आने के लिए भी तैयार नहीं हैं। उनमें से कई को यह भी विश्वास नहीं है कि कोविड एक बीमारी है, जिसके लिए उन्हें वैक्सीन की जरूरत है। पलवल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी ब्रह्मदीप संधू का कहना है कि हमने डिप्टी कमिश्नर को सूचित किया कि हम टीके के लिए लोगों को मजबूर नहीं कर सकते।