हरियाणा की राजनीति की इनसाइड स्टोरी:अविश्वास प्रस्ताव का विरोध करना दुष्यंत की मजबूरी रही, क्योंकि उन्हें जेल में बंद अपने पिता अजय चौटाला के हितों की रक्षा करनी हैराजनीति के जानकारों का कहना है कि हाल ही में खट्टर सरकार के ख़िलाफ़ विधानसभा में विपक्ष द्वारा लाया गया अविश्वास प्रस्ताव का विरोध करना दुष्यंत चौटाला और उनके विधायकों की मजबूरी रही क्योंकि वो दुष्यंत के पिता अजय चौटाला, जो जेल में हैं, उनके हितों की रक्षा करना चाहते हैं।
तीन नए कृषि कानून के ख़िलाफ़ किसान आंदोलन के कारण हरियाणा के सभी नेता संकट मैं है। उनके ऊपर काफ़ी दबाव है कि वो आंदोलन को सपोर्ट करें। इस ज़बरदस्त दबाव को उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला जो भाजपा के सहयोगी हैं, समझ रहे हैं, लेकिन फिर भी मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की सरकार पर कोई ख़तरा नहीं है, क्योंकि पिछले दो दशकों से हरियाणा की राजनीति इस एक ही प्रकरण के इर्दगिर्द घूम रही है। ऐसा भी माना जाता है की मौजूदा राजनीतिक लाभ जारी रहे तो ही चौटाला फ़ैमिली का भविष्य मजबूत रहेगा।
CBI ने भर्ती घोटाले में 62 लोगों को आरोपी बनाया था
वाकया 1999-2000 के बीच का है, तब हरियाणा के मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला थे। और उनके बेटे अजय चौटाला उसी सरकार में बतौर विधायक थे। उस वक्त तत्कालीन मुख्यमंत्री ने हरियाणा के 18 जिलों में 3206 ( JBT) टीचर भर्ती करने के लिए प्रत्येक जिले में कमेटी का गठन किया था और भर्ती प्रक्रिया को पूरा किया गया था। भर्ती प्रक्रिया में गड़बड़ी करने के मामले में CBI ने 2008 में ओमप्रकाश चौटाला व उनके बेटे अजय चौटाला सहित कुल 62 लोगों को आरोपी बना कर आरोप पत्र पेश किया था। ओमप्रकाश चौटाला सहित 62 लोगों को इसका खामियाजा जेल जाकर भुगतना पड़ा।
मुख्य किरदार की भूमिका में रहे पूर्व शिक्षा निदेशक संजीव कुमार
इस भर्ती घोटाले को उजागर करने वाले पूर्व शिक्षा निदेशक संजीव कुमार ख़ुद इस मामले में सजा काट रहे हैं। भर्ती प्रक्रिया के खिलाफ़ संजीव कुमार ने हाईकोर्ट में एक याचिका दायर कर के गड़बड़झाले की जांच करवाने की मांग की थी। जिसके चलते हाईकोर्ट के आदेश पर 2004 में CBI को ये मामला भेजते हुए जांच करने के निर्देश दिए गए थे। आगे चल कर सीबीआई जांच में कुल 62 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया गया। सुनवाई के बाद 2013 में पांच लोगों को दस-दस साल और बाकी दोषियों को चार-चार साल की सज़ा सुनाई गई।
CBI कोर्ट के फैसले को हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट ने भी रखा बरकरार
16 जनवरी 2013 को सीबीआई जज विनोद कुमार की अदालत से सजा पाने के बाद सभी दोषियों ने हाईकोर्ट का रुख़ किया और दो साल की सुनवाई के बाद 5 मार्च 2015 को भी हाईकोर्ट ने सजा को बरकरार रखा। जिसके बाद सभी आरोपियों ने देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट का रुख़ किया, लेकिन वहां से भी उन्हें 3 अगस्त 2015 को निराशा ही हाथ लगी
सात साल बाद कैसे जागी उम्मीद की किरण?
18 जुलाई 2018 को भारत सरकार ने महात्मा गांधी की 150वीं जयंती पर ये घोषणा की कि जिन कैदियों को सगीन अपराधों जैसे दहेज हत्या, टाडा, पोटा के अलावा किसी मामले में सजा हुई है और वो कैदी अपनी पूरी सजा की 50 फीसदी सजा जेल में काट चुके हैं, वो पुरुष हैं तो उनकी आयु 60 वर्ष से अधिक तथा महिला हैं तो 55 वर्ष से अधिक हो तो केन्द्र व राज्य सरकार उन्हें जेल से रिहा कर सकती है। इसी कड़ी में ओम प्रकाश चौटाला भी सात साल से अधिक का समय जेल में काटने के बाद अपनी रिहाई के ख़्वाब देखने लगे।
चौटाला ने इस बाबत हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया ओर रिहाई की मांग की, लेकिन इस मामले में दो साल से भी अधिक का वक्त इस कारण लग गया कि बार-बार अलग-अलग तर्क देकर दिल्ली सरकार इस मामले को लंबित रखे हुए हैं और इसी कारण ओमप्रकाश चौटाला की आगामी सुनवाई 12 अप्रैल 2021 को होनी है। तब तक चौटाला जेल से बाहर ही रहेंगे। कोर्ट ने इस बार दिल्ली सरकार को हलफनामा दाखिल करने को कहा है ।
इस मामले की सभी अदालतों में पैरवी कर रहे ओमप्रकाश चौटाला के वकील अमित शाहनी ने कहा, ‘जानबूझकर दिल्ली सरकार इस तरह की अड़चन डाल रही है और समय बिताने के लिए ओमप्रकाश चौटाला के साथ एक साजिश हो रही है। हमें पूरी उम्मीद है कानून के अनुसार ओमप्रकाश चौटाला को जरूर राहत मिलेगी।’
क्या हैं इस केस के राजनीतिक मायने?
9 दिसंबर 2018 को दादा की पार्टी इंडियन नेशनल लोक दल से अलग होकर जजपा पार्टी का गठन दुष्यंत चौटाला ने किया और जनवरी 2019 में जींद का उपचुनाव भी परिवार से ही दुष्यंत चौटाला के भाई दिग्विजय ने लड़ा जिसमें हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद लोकसभा चुनाव आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन करके सात-तीन के फ़ॉर्मूले पर हरियाणा की 10 सीटों पर लड़ा गया जिसमें सभी सीटों पर हार का मुंह देखना पड़ा।
राजनीतिक जानकारों की मानें तो जूनियर बेसिक ट्रेंड टीचर्स भर्ती घोटाले में सज़ा काट रहे दुष्यंत चौटाला के पिता अजय चौटाला को पैरोल के नाम पर दिल्ली सरकार की दरियादिली के कारण चुनाव के समय जेल से बाहर रहने का मौका मिला। हरियाणा विधानसभा चुनावों में जन नायक जनता पार्टी ने सभी 90 सीटों पर चुनाव लड़ा और 10 सीटों पर जीत हासिल कर भाजपा के साथ गठबंधन कर सरकार में शामिल हो गए।