स्थाणेश्वर महादेव मंदिर में खुद पहुंचे थे शिव:4 पहर की पूजा के बाद, दक्षिण भारत से मंगवाई राख से होगा शिवलिंग का भस्माभिषेकस्थाणेश्वर महादेव मंदिर में महाशिवरात्रि की रात भस्माभिषेक होता है
भस्माभिषेक के लिए दक्षिण भारत से विशेष तौर पर बेलपत्र की राख मंगवाई
प्राचीन व ऐतिहासिक स्थाणेश्वर महादेव मंदिर की अनादि स्वयंभू शिवलिंग और स्थाणु यानी स्थिर शिवलिंग मंदिर के रूप में मान्यता है। संतों का दावा है कि यहीं धरती पर सर्वप्रथम शिवलिंग की पूजा शुरू हुई थी। मान्यता है कि यहां बिना मांगे ही मन में स्थित कामना पूरी हो जाती है।
आज सुबह 4 बजे से जलाभिषेक शुरू होगा। स्थाणेश्वर महादेव मंदिर में महाशिवरात्रि की रात भस्माभिषेक होता है। इससे पहले चार पहर की पूजा होती है। भस्माभिषेक के लिए दक्षिण भारत से विशेष तौर पर बेलपत्र की राख मंगवाई है।
तपोवन में पहुंचे थे भोलेनाथ
स्थाणेश्वर महादेव मंदिर के संचालक महंत बंसीपुरी के मुताबिक भगवान भोलेनाथ स्वयं यहां अवधूत रूप में पहुंचे थे। उस समय यहां तपोवन हुआ करता था। तब ऋषि-मुनियों ने भोलेनाथ को यहां विचरण करते देख प्रार्थना की थी कि वे यहीं स्थापित हो जाएं।