मौसम का कहर:जिले में बारिश-ओलावृष्टि से 36000 हेक्टेयर गेहूं की फसल जमीन पर बिछी, तीन दिन में शिकायत दर्ज करवाएं किसानतेज हवा के साथ हुई बारिश और ओलावृष्टि ने किसानों की मेहनत पर फेरा पानी
इससे उत्पादन में कमी के साथ-साथ गुणवत्ता भी प्रभावित रहेगी
जिले में मंगलवार शाम हुई बारिश, ओलावृष्टि और तेज हवा ने किसानों के पीले सोने के रूप में गेहूं की फसल को भारी नुकसान पहुंचाया है। कृषि विभाग के आंकलन के मुताबिक जिले की 36000 हेक्टेयर फसल में शून्य से लेकर 50 फीसदी तक का नुकसान है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि जिन किसानों की फसलों पर प्राकृतिक आपदा के कारण नुकसान पहुंचा। तब वे इसकी भरपाई के लिए लिए विभाग के कार्यालय पहुंचकर 72 घंटे के अंदर शिकायत दर्ज करा सकते हैं।
मंगलवार शाम अचानक मौसम ने करवट बदली। इसके बाद बूंदाबांदी के साथ ही तेज हवा का दौर शुरू हुआ। कई स्थानों पर ओलावृष्टि भी हुई। इस कारण जिले में फसलें जमीन पर गिर गई हैं। इससे उत्पादन में कमी के साथ-साथ गुणवत्ता भी प्रभावित रहेगी। प्रदेश सरकार की हिदायत पर कृषि विभाग फील्ड में उतरा है। कृषि विभाग के अधिकारियों ने तेज हवा व ओलावृष्टि के कारण हुए नुकसान का आकलन दोपहर बाद तक जुटाया। इसके मुताबिक, जिले में 25 फीसदी से कम नुकसान 30,000 के हेक्टेयर में हुआ है, जबकि 25 फीसदी से लेकर 50 फीसदी तक का नुकसान 6000 हेक्टेयर में देखने को मिला है। इतनी बड़ी संख्या में हुए नुकसान से कृषि विभाग के साथ-साथ किसान वर्ग भी चिंता में है। कई जगह तूफान जैसी स्थिति रहने के कारण पेड़ों को भी नुकसान पहुंचाए। नुकसान का असर खेत खेत अलग-अलग देखने को मिला। जहां एक एकड़ में खड़ा एक खास ऊंचाई वाली गेहूं की फसल पूरी तरह जमीन पर गिरी हुई नजर आई। वहीं, इसके साथ वाले खेत की फसल एकदम सुरक्षित दिखी। कृषि जानकारों का कहना है कि जहां पौधा छोटा था और खेत में पानी नहीं दिया हुआ था तब नुकसान कम हुआ। जहां खेत में पानी लगाया हुआ था और पौधे लंबे हो गए थे उनके गिरने की शिकायत अधिक है।
जिले में 22000 किसानों ने कराया हुआ है फसल बीमा
प्राकृतिक आपदा के रूप में बरसे कहर के बाद वैसे तो किसान वर्ग दुखी है, लेकिन वे किसान कुछ राहत महसूस कर रहे हैं जिन्होंने अपनी फसलों का बीमा कराया हुआ है। कृषि जानकारों का कहना है कि 22000 किसान फसल बीमा के दायरे में है। यदि इनकी फसलें खराब हुई है तब नुकसान के प्रतिशत के हिसाब से उनको बीमा से आर्थिक पूर्ति की जाएगी, लेकिन इस सबके लिए किसान आगे आए और अपनी शिकायत दर्ज कराएं।
कृषि विभाग में जुटी किसानों की भीड़
आमतौर पर पिछले कई वर्षों के दौरान मौसम का फसलों पर इस प्रकार से प्रभाव नहीं पड़ा है, लेकिन मंगलवार को बारिश व ओलावृष्टि के साथ आए तूफान ने फसलों को जमीन पर गिरा दिया है। कृषि जानकारों का कहना है कि इसके कारण अब गेहूं की पैदावार पर भारी असर पड़ेगा। इसी बात की चिंता से क्षेत्र के किसानों कृषि विभाग पहुंचकर अपनी शिकायत दर्ज कराई। इस दौरान दिनभर किसानों की भीड़ लगी रही। किसान सुखबीर ने बताया कि उसकी फसल पकाई के लिए तैयार थी, लेकिन अब पूरी फसल जमीन के साथ लग गई है।
बेरी में गेहूं , सरसों और चने की फसल खराब
अचानक मौसम में आए बदलाव से मंगलवार रात माजरा दुबलधन, दुबलधन, सफीपुर, सिवाना, दुजाना और बेरी में बारिश के साथ ओले गिरे। अब कृषि विभाग की टीम के खेतों का दौरा कर रही है। इसके बाद ही मालूम पड़ेगा कि फसल में कितना नुकसान हुआ, लेकिन आंधी के कारण गेहूं की फसल बिछ गई है। किसान विजय पंडित का कहना है कि गेहूं की बाली पक चुकी है। ओला बाल पर लगेगा वही खत्म कर देगा। ओले का नुकसान तीसरे दिन दिखाई देता है। बारिश के साथ ओलावृष्टि से गेहूं, सरसों और चने की फसल खराब हो गई। कृषि वैज्ञानिक डॉ. रमेश लाठर का कहना है कि माजरा दुबलधन, सफीपुर, सिवाना, दुजाना में ओलावृष्टि हुई। इसमें नुकसान का मौका मुआयना कर रहे हैं।