‘वागले की दुनिया’ में दिख रहे 73 साल के अंजन श्रीवास्तव, बोले- डॉक्टर ने 5-6 घंटे से ज्यादा काम करने के लिए मना किया हैपांच दशक से नॉन स्टॉप थिएटर करते आ रहे अंजन श्रीवास्तव ने फिल्मों और टीवी सीरियल्स में भी काम किया है। दशकों की जर्नी में उन्होंने खोया कुछ भी नहीं, बल्कि पाया ही है। उम्र के इस पड़ाव पर पहुंचकर उन्हें जिस तरह से काम मिल रहा है, वे उससे संतुष्ट हैं। एक बार फिर अंजन श्रीवास्तव तीस साल बाद सब टीवी पर प्रसारित हो रहे ‘वागले की दुनिया’ में दिखाई दे रहे हैं। दैनिक भास्कर से खास बातचीत में उन्होंने पुराने दिनों को याद किया। उनसे हुई बातचीत के अंश:-
Q. तीस साल बाद जब सेट पर पहुंचे, तब वह क्या बात थी जिससे दिल भर आया?
A. सबसे पहले तो स्क्रिप्ट अच्छी लगी। समाज में क्या हो रहा है, उसकी अगर प्रतिबिंब न दिखाई दे, तब वागले नहीं हो सकता है। यह प्रतिबिंब दिखाई पड़ रहा है। इसमें हर चीज ओवर नहीं करना है। लोग मुझसे उम्मीद करेंगे, इसकी एक जिम्मेदारी थी। अब डॉक्टर ने पांच-छह घंटे से ज्यादा काम न करने के लिए सर्टिफिकेट दिया है, लेकिन अब सीन छोड़कर जा नहीं सकते। हम लोग पुराने एक्टर हैं। प्रॉब्लम कुछ नहीं है, पर जल्दी थक जाता हूं। प्रोडक्शन से दो-तीन दिन के बाद एक दिन का गैप दिया जाता है। 73 साल की उम्र हो चुकी है।
Q. तीस वर्षों बाद जब वागले की दुनिया का ऑफर आया…?
A. (बात काटते हुए) ‘वागले की दुनिया’ नहीं होता तो मैं नहीं करता। सीरियल एकदम बंद कर चुका हूं। डॉक्टर भी मना कर चुके हैं। वे कहते हैं कि चार-छह घंटे से ज्यादा लगातार काम मत कीजिए। आरके लक्ष्मण का ऋणी हूं। मैं जो कुछ भी हूं, आरके लक्ष्मण के ‘वागले की दुनिया’ की वजह से हूं। नहीं तो मुझे कौन जानता था कि यूपी का लड़का कोलकाता से आकर इधर बैठ गया है।
सिवाय ऋषिकेश मुखर्जी के कोई मुझे जानता ही नहीं था। गुरू की कृपा है कि उनके आशीर्वाद से कोलकाता से मुंबई आया। यहां मुझे आरके लक्ष्मण, कुंदन शाह, एके हंगल और इप्टा के लोग मिले। कुंदन शाह इप्टा के प्ले से मुझे से उठाकर ले गए कि चलो यह सीरियल करना है। जबकि मैं तो इलाहाबाद बैंक में नौकरी करता था। मैंने बोला कि बैंक की नौकरी छोड़कर नहीं जाऊंगा। फिर बोले- इसे रात में करेंगे। खैर, उसी समय से कुंदन के साथ ऐसा रैपो बन गया कि उनके साथ हर फिल्म और सीरियल करने लगा।
कुंदन शाह और राजकुमार संतोषी मुझे लाइमलाइट में लाए। इससे पहले आरके लक्ष्मण को क्रेडिट जाता है, जिन्होंने मुझे एक्टिंग का अलग पैटर्न दिया। मात्र छह और तेरह एपिसोड का कमाल है कि आज तक लोग ‘वागले की दुनिया’ नहीं भूले हैं। कोई चैनल और प्रोड्यूसर हिम्मत नहीं करता था कि वागले को उठाएं। कौन लिखेगा? कैसे बनेगा? गुरू से एक ही प्रार्थना थी कि जीवन के अंत समय में चल रहा हूं, लास्ट इनिंग चल रहा है, लास्ट में वागले जैसा कुछ अच्छा दे दें।
गुरू ने ‘वागले की दुनिया’ ही दे दिया, जिसे एक्सपेक्ट नहीं किया था। सब टीवी की बहादुरी कहूंगा, जो इसे बनाने का जोखिम उठाया। इसे कैसे लिखा जाएगा, यही सबसे बड़ा जोखिम था। लेकिन आतिश कपाड़िया ने ऐसा लिखा कि मैं कंविंस हो गया। नहीं तो मैं इसे करने से एक महीने तक भाग रहा था। डर यह था कि मेरी जो इमेज बनी है, वह कहीं टूट न जाए। प्रोड्यूसर जेडी मजीठिया ने मुझे ऑफर किया था। अब इसे देखकर नार्वे और लंदन से मैसेज आ रहे हैं कि आपको वागले के रूप में फिर से देखकर तबीयत खुश हो गई।
Q. टेलीविजन पर कई साल बाद आए हैं। फिल्मों से भी दूर रहते हैं। ऐसा क्यों?
A. फिल्मों से दूर नहीं हूं। हां, अब छोटी-मोटी फिल्में नहीं करता हूं। बड़ी फिल्में ही करता हूं। आयुष्मान खुराना के साथ ‘चंडीगढ़ करे आशिकी’ की है। इसमें आयुष्मान के दादाजी का रोल है। पंजाबी फैमिली है। इसे अभिषेक कपूर ने डायरेक्ट किया है। ओटीटी प्लेटफॉर्म के लिए तिग्मांशु धूलिया के साथ ‘आउट ऑफ लव’ की है। लगातार फिल्में और सीरीज कर रहा हूं। हां, कोविड के बीच थिएटर नहीं कर पाया, इस बात का अफसोस रहा।