पानी का संकट:भाखड़ा डैम में 17 फीसदी कम तो यमुना में आधा रह गया पानी, पहाड़ों में कम बरसात व बर्फबारी से बढ़ी दिक्कतप्रदेश में इस साल पानी की कमी का खतरा मंडरा रहा है, दो बड़े स्रोतों में पानी का स्तर घटा
पहाड़ों में कम बरसात और बर्फबारी से बढ़ी दिक्कत, भाखड़ा में 1680 फीट की बजाए अबकी बार 1659 फीट ही पानी
इस साल प्रदेश में पानी का संकट गहरा सकता है। प्रदेश में जल आपूर्ति करने वाले दो बड़े स्त्रोत भाखड़ा डैम यमुना नदी में पानी का स्तर काफी नीचे पहुंच गया है। साल 2020 में मानसून के दौरान भाखड़ा जलाशय अपनी अधिकतम क्षमता 1680 फीट में से 1659.61 फीट ही भर पाया, जोकि उसकी क्षमता का 83 प्रतिशत है। यमुना में 1000 क्यूसेक पानी कम हो गया है। इसके चलते प्रदेश में टेल बीएमएल सिस्टम को 16 दिनों के रोटेशन वाले दो समूहों से आठ दिनों के रोटेशन की अवधि वाले तीन समूहों में बदला गया है।
जबकि, पश्चिमी यमुना नहर प्रणाली में नवंबर 2020 के अंत में पहले के चार समूहों के स्थान पर पांच समूहों में बदला गया है। कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री जेपी दलाल ने हरियाणा विधानसभा में कांग्रेस विधायक किरण चौधरी द्वारा पानी की किल्लत को लगाए गए ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के जवाब में कहा कि प्रदेश के सभी जिलों में समान रूप से सिंचाई के पानी की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए ठोस कदम उठाने के साथ-साथ हर क्षेत्र में रोटेशन कार्यक्रम के अनुसार चैनलों में पानी छोड़ा जा रहा है।
दिल्ली को 1050 क्यूसेक पानी सप्लाई रोजाना
सिंचाई विभाग द्वारा सिंचाई के अतिरिक्त जनस्वास्थ्य विभाग, हरियाणा शहरी विकास प्राधिकरण, शहरी स्थानीय निकाय विभाग, एचएसआईआईडीसी, थर्मल रिफाइनरी और उद्योगों को पेयजल की आपूर्ति भी की जाती है। दिल्ली के लिए 1050 क्यूसेक पानी की नियमित आपूर्ति की जा रही है। गुड़गांव में पीने के लिए 420 क्यूसेक पानी की नियमित आपूर्ति की जा रही है।
यमुना नदी से मिला आधा पानी
हरियाणा के लिए सतलुज एवं रावी ब्यास के पानी का शेष हिस्सा पहली मार्च 2021 को 337614 क्यूसेक जबकि औसत दैनिक हिस्सा 4168 क्यूसेक है। 2019-20 के दौरान कुल जल आपूर्ति 1805854 क्यूसेक थी, जिसमें से भाखड़ा बांध से 1274048 क्यूसेक और यमुना नदी से 531806 क्यूसेक थी जबकि 2020-21 में यह घट कर 1446281 क्यूसेक रह गई है जिसमें से भाखड़ा बांध से 1186687 क्यूसेक और यमुना नदी से 259594 क्यूसेक थी। यमुना से पानी की कुल उपलब्धता घटकर 50 प्रतिशत हो गई है।