विश्व ग्लूकोमा सप्ताह:आंखों की जांच कराकर ग्लूकोमा से हाे सकता है बचाव, पहले दिन वरि. चिकित्सकों ने मरीजों व परिजनों को संबोधित कियाग्लूकोमा रोग से बचाव के लिए 40 वर्ष के बाद हर साल प्रत्येक व्यक्ति को अपनी आंखों की जांच कराते रहना है
काले मोतिया के अधिकतर मरीज तो ऐसे होते हैं जो उनके पास ओपीडी में सामान्य जांच करवाने आते हैं और जब उन्हें काले मोतिया का पता चलता है तो हैरानी होती है। हालांकि तुरंत ऐसे मरीजों का ऑपरेशन कर उनकी आंखों की रोशनी बचा ली जाती है। ऐसे में ग्लूकोमा रोग से बचाव के लिए 40 वर्ष के बाद हर साल प्रत्येक व्यक्ति को अपनी आंखों की जांच कराते रहना है।
यह कहना है पीजीआईएमएस रोहतक के क्षेत्रीय नेत्र विज्ञान संस्थान के ग्लूकोमा यूनिट की हेड डॉ. मनीषा राठी का। वो सोमवार को 7 से 13 मार्च तक संस्थान में मनाए जा रहे विश्व ग्लूकोमा सप्ताह के अंतर्गत आम लोगों को संबोधित कर रही थीं। प्रोफेसर डॉ. सुमित सचदेवा ने कहा कि इस सप्ताह में ग्लूकोमा के मरीजों को मुफ्त दवाइयां भी प्रदान की जाएंगी।
बच्चेदानी के कैंसर की मुख्य वजह है एचपीवी वायरस
महिलाओं में बच्चेदानी के मुंह का कैंसर अब लाइलाज नहीं है, इसका इलाज और बचाव दोनों संभव है। इस कैंसर की मुख्य वजह एचपीवी वायरस है। 21 वर्ष की उम्र के बाद हर तीसरे साल यह पैप स्मीयर सैंपल करवाना चाहिए और पांच साल पर एचपीवी टेस्ट करवाना चाहिए। यह कहना है हेल्थ विश्वविद्यालय के स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग की सीनियर प्रोफेसर एवं चिकित्सा अधीक्षक डॉ. पुष्पा दहिया का। इस अवसर पर डॉ. मीनाक्षी चौहान, डॉ. निर्मला, डॉ. कृष्णा, डॉ. मोनिका, डॉ. वंदना, डॉ. सोनिया दहिया, डॉ. शिखा मदान, डॉ. पूजा, डॉ. मेनका, डॉ. सारिका, डॉ. लतिका, डीएमएस डॉ. संदीप, डीएमएस डॉ. महेश माहला व स्त्री रोग विभाग की चिकित्सक उपस्थित रही। मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. पुष्पा दहिया ने कहा कि पीजीआईएमएस में महिलाओं के कैंसर की जांच के लिए हर सोमवार को ओपीडी में विशेष क्लीनिक लगाई जाती है। दहिया ने कहा कि महिला को भी वैक्सीन लगवानी चाहिए और वह बच्चेदानी के मुंह के कैंसर के खतरे से मुक्त हो जाएगी।