महिला दिवस पर बड़े कदम:हरियाणा विधानसभा में नारीशक्ति ने चलाई की कार्यवाही, 33% राशन डिपो इन्हें ही किए जाएंगे अलॉटहरियाणा विधानसभा में सोमवार को अनूठा नजारा देखने को मिला। यहां अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस को समर्पित करते हुए आज की कार्यवाही नारीशक्ति के ही हवाले की गई थी। विधानसभा में पहली बार सदन की कार्यवाही का पूरा संचालन महिला विधायकों ने किया। पीठासीन अधिकारी का दायित्व कांग्रेस की विधायक किरण चौधरी ने निभाया। इसके अलावा हरियाणा सरकार ने महिलाओं के लिए रोजगार के साधन मुहैया कराने की मंशा से महिला दिवस पर विधानसभा में उन्हें तोहफा दिया है। राज्य में जितने भी राशन डिपो अलाट होंगे, उनमें 33 प्रतिशत महिलाओं के लिए आरक्षित किए जाएंगे।
खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री हरियाणा के डिप्टी CM दुष्यंत चौटाला ने विधानसभा में यह घोषणा तब की, जब कांग्रेस विधायक जगबीर मलिक भ्रष्टाचार के मुद्दे पर बहस कर रहे थे। डिप्टी CM ने सदन में बताया कि हरियाणा देश का पहला राज्य है, जहां राशनकार्ड धारकों को मोबाइल डिपो के माध्यम से उनके घर द्वार पर राशन उपलब्ध करवाया जाएगा। फरीदाबाद में यह प्रक्रिया प्रयोग के तौर पर शुरू की गई है। उन्होंने राशन डिपो के माध्यम से राशन वितरण में पारदर्शिता बरते जाने का दावा किया। सात जिलों में राशन तोलने के लिए राशन डिपो में ई-वेइंग मशीन लगा दी गई हैं। फरीदाबाद व गुरुग्राम जिला में भी लगाने की प्रक्रिया जारी है।
चौटाला ने बताया कि केंद्र सरकार की ‘वन नेशन, वन राशन’ स्कीम का जो अभियान चलाया गया है उसके तहत प्रदेश में राशन लेने वाले एक करोड़ 22 लाख लाभार्थियों को आधार नंबर से लिंक कर दिया गया है। अगर कोई व्यक्ति राशन डिपो पर राशन लेने जाता है तो मशीन पर पहले आधार नंबर डाला जाएगा। उसके बाद संबंधित व्यक्ति का राशन स्क्रीन पर डिस्पले हो जाएगा। बायोमैट्रिक से प्रमाणिकता जांच कर उसे राशन दिया जाएगा।
वहीं, आज सदन में महिलाओं का आत्मसम्मान बढ़ाने वाली एक नई इबारत लिखी गई। प्रश्नकाल के बाद महिला विधायकों ने कार्यवाही का संचालन किया। हरियाणा विधानसभा में पीठासीन अधिकारी का दायित्व कांग्रेस की विधायक किरण चौधरी निभा रही हैं। भाजपा विधायक सीमा त्रिखा राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा शुरू करवाई। राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा को जजपा विधायक नैना चौटाला आगे बढ़़ा रही थीं।
हरियाणा में महिला नेताओं का लंबा इतिहास
प्रदेश में बहुत ही ऐसी महिला राजनेता हैं, जिन्होंने देश और दुनिया में अपनी अमिट छाप छोड़ी। अंबाला जिले से ताल्लुक रखने वाली सुचेता कृपलानी और सुषमा स्वराज दो ऐसी नेता हैं, जो उत्तर प्रदेश व दिल्ली राज्यों की मुख्यमंत्री के पद तक पहुंची। 2014 के विधानसभा चुनाव में 13 महिला विधायक चुनकर आई थी। 90 सदस्यीय विधानसभा में 2019 के विधानसभा चुनाव में यह आंकड़ा घटकर नौ रह गया। 1967 से लेकर 2019 के बीच हुए 13 विधानसभा चुनावों में केवल 87 महिलाएं ही विधानसभा तक पहुंचने में कामयाब हो पाई हैं। विधानसभा में यह औसत प्रति चुनाव सिर्फ छह से सात महिला विधायकों का बनता है, जो राजनीति में 33 फीसदी आरक्षण की मांग से बेहद कम है।
हरियाणा सरकार महिलाओं को राजनीति में आगे बढ़ाने के लिए पंचायत चुनाव में उनके लिए 50 फीसदी आरक्षण का फैसला पहले ही ले चुकी है। अब शहरी निकायों में यह आरक्षण देने की कवायद चल रही है। राजनैतिक दल जिस दिन चाह लेंगे, उस दिन उनकी पार्टियों में महिलाओं के लिए कम से कम 33 फीसदी आरक्षण की व्यवस्था संभव है। वहीं आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर विधानसभा के सदन की कमान महिला विधायकों के हाथों में होने का पूरे देश में अलग संदेश जाएगा।
इन महिलाओं ने बढ़ाया हरियाणा का मान
कन्या भ्रूण हत्या, आनर किलिंग और घूंघट के लिए हरियाणा अकसर बदनाम रहा है, लेकिन अब जागरूकता लगातार बढ़ रही है। हरियाणा की महिला राजनेताओं ने देश-प्रदेश की राजनीति को हमेशा नए आयाम दिए हैं। देश की पहली मुख्यमंत्री सुचेता कृपलानी हरियाणा के अंबाला शहर की रहने वाली थी, जो सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश की पहली मुख्यमंत्री बनीं। केंद्रीय मंत्री रह चुकी सुषमा स्वराज भी अंबाला छावनी की रहने वाली थीं, जो दिल्ली की मुख्यमंत्री बनीं। कुमारी सैलजा ऐसा बड़ा नाम हैं, जो केंद्रीय राजनीति में मजबूती के साथ सक्रिय हैं। उन्हें सोनिया गांधी का नजदीकी माना जाता है। पुडुचेरी की उप राज्यपाल के पद तक पहुंचीं चंद्रावती और भाजपा की राष्ट्रीय राजनीति में छाई डॉ. सुधा यादव ऐसे नाम हैं, जिन्होंने हरियाणा को अलग पहचान दिलाई। पूर्व सीएम बंसीलाल की पुत्रवधू किरण चौधरी, पौत्री श्रुति चौधरी, पूर्व केंद्रीय मंत्री बीरेंद्र ङ्क्षसह की पत्नी स्नेहलता, पूर्व सीएम भजनलाल की पत्नी जसमा देवी, पुत्रवधु रेणुका बिश्नोई और डिप्टी स्पीकर रहीं संतोष यादव ने भी हरियाणा की राजनीति में मजबूत जगह बनाई है।
शकुंतला भगवाडिय़ा चार बार और प्रसन्नी देवी पांच बार पहुंचीं विधानसभा
पहली बार 1968 में बावल हलके से शकुंतला भगवाडिय़ा विधायक बनीं। 1977 में जनता पार्टी की टिकट पर चुनाव जीतीं। इसके बाद 1982, 1991 में बावल से जीतीं। वहीं, कांग्रेस की प्रसन्नी देवी ने करनाल के इंद्री विधानसभा क्षेत्र से 1967, 1968, 1972 में चुनाव जीता। 1982 और 2005 में वह पानीपत के नौल्था विधानसभा सीट जीतीं। इस तरह वह पांच बार विधायक बनीं।
पंचायत चुनाव में 42 फीसदी महिलाओं ने जीती जंग
ग्राम पंचायत चुनाव में हरियाणा के लोगों ने महिलाओं को निर्धारित कोटे 33 फीसद से कहीं अधिक संख्या में चुनाव जिताया। पिछले यानी 2015 के पंचायत चुनाव में प्रदेश में पहली बार लोगों ने पंचायतों में 42 फीसद सीटों पर महिलाओं की ताजपोशी की। इससे सूबे की सबसे बड़ी पंचायत में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढृने की उम्मीद जगी है। मौजूदा समय में प्रदेश में 83 लाख से अधिक महिला मतदाता हैं। इस बार 2020 में होने वाले चुनाव में महिलाओं को पंचायत चुनाव में 50 फीसद आरक्षण की व्यवस्था है।