विवादों में आई ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’:महाराष्ट्र कांग्रेस के विधायक अमीन पटेल ने फिल्म का नाम बदलने की उठाई मांग, कहा-इससे काठियावाड़ शहर की छवि खराब होगीमहाराष्ट्र कांग्रेस के विधायक अमीन पटेल ने सोमवार को संजय लीला भंसाली की अपकमिंग फिल्म ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ का नाम बदलने की मांग की और दावा किया कि इससे काठियावाड़ शहर की छवि खराब होगी। फिल्म में आलिया भट्ट मुख्य भूमिका निभा रही हैं। हाल ही में संजय लीला भंसाली के जन्मदिन पर फिल्म का टीजर रिलीज किया गया था। जिसमें आलिया के गंगूबाई काठियावाड़ी के अवतार को काफी पसंद किया गया।
गंगूबाई, 1960 के दशक के दौरान मुंबई के रेड-लाइट एरिया के कामाठीपुरा की सबसे शक्तिशाल और सम्मानित ‘माफिया क्वीन’ में से एक थी। बजट सत्र के दौरान विधानसभा में बोलते हुए पटेल ने कहा कि कमाठीपुरा इलाका काफी बदल गया है। पटेल दक्षिण मुंबई के मुंबादेवी विधानसभा क्षेत्र से विधायक हैं।
शहर की छवि खराब करने का लगाया आरोप
विधायक अमीन पटेल ने विधानसभा में कहा, यह (काठियावाड़) उस तरह का नहीं है जैसा कि यह 1950 के दशक में था। वहां महिलाएं अलग-अलग पेशे में बहुत आगे बढ़ रही हैं। इस फिल्म के नाम से काठियावाड़ शहर की छवि भी खराब होगी। फिल्म का नाम बदलना चाहिए।” विधायक ने राज्य सरकार से मामले में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है। इस फिल्म का प्रदर्शन 30 जुलाई को होना है।
हुसैन जैदी की किताब पर बन रही है फिल्म
फिल्म की शूटिंग इन दिनों मुंबई की फिल्मसिटी में जारी है। शूटिंग के लिए सेट डिजाइनिंग पर तकरीबन साढ़े 6 करोड़ रुपए खर्च किए गए हैं। हुसैन जैदी की किताब ‘माफिया क्वीन्स ऑफ मुंबई’ पर आधारित इस फिल्म में डॉन गंगूबाई की कहानी दिखाई जाएगी। गंगूबाई 60 के दशक में मुंबई माफिया का बड़ा नाम थीं। बताया जाता है कि उन्हें पति ने महज पांच सौ रुपए के लिए बेच दिया था। इसके बाद से ही वे वेश्यावृत्ति में लिप्त हो गईं थीं। इस दौरान उन्होंने मजबूर लड़कियों के लिए भी बहुत काम किए।
फिल्म में अजय देवगन का होगा कैमियो
फिल्म में अजय देवगन का कैमियो भी देखने को मिलेगा। राइटिंग टीम से जुड़े लोगों ने बताया कि भंसाली ने फिलहाल आलिया के अपोजिट रणबीर कपूर को साइन नहीं किया है। अजय देवगन भी आलिया के अपोजिट नहीं हैं। वे उनके मेंटर के रोल में हैं।
फिल्म में होंगे दो अलग-अलग टाइम जोन
फिल्म दो अलग-अलग टाइमजोन में सेट है। एक हिस्सा विभाजन से पहले का है, वहीं दूसरा भाग आठवें दशक में सेट है। 1946 के कमाठीपुरा को दिखाने के लिए भंसाली वहां 10 से ज्यादा बार आ चुके हैं और सेट को रियल लुक देने के लिए कई पुराने वास्तुकारों से भी मिल चुके हैं। हालांकि फिल्म में चौथे दशक का छोटा सा हिस्सा देखने को मिलेगा। बाकी 80 प्रतिशत फिल्म सातवें दशक में सेट है।