ऑस्ट्रेलिया में ट्रैवल बैन:अपने नागरिकों से मुंह मोड़ा, 40 हजार से ज्यादा दूसरे देशों में फंसे; बेघर और भूखे रह रहेकोरोना संक्रमण रोकने के लिए पिछले साल मार्च में ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने देश की सीमाएं दूसरे देशों के लिए बंद कर दी थीं। लिहाजा जो ऑस्ट्रेलियाई नागरिक और रेजिडेंट जिस देश में थे, वे वहीं फंस कर रह गए। इसके बाद सरकार कम संख्या में बाशिंदों को वापसी की इजाजत दे रही है।
इस समय 40 हजार से ज्यादा ऑस्ट्रेलियाई दूसरे देशों में फंसे हैं। इनमें से ज्यादातर की नौकरियां जा चुकी हैं। पैसे के लाले पड़ गए हैं और असमंजस यह है कि वतन लौट पाएंगे भी या नहीं। भास्कर ने कुछ ऐसे ही लोगों से बात की है।
30 साल से सिडनी में रह रहे दीपक 14 महीने से भारत में फंसे
1988 से सिडनी में रह रहे ऑस्ट्रेलियाई नागरिक दीपक पूनिया 14 महीनों से भारत में फंसे हैं। 52 साल के दीपक जनवरी 2020 में अपने बीमार पिता की देख रेख के लिए गंगानगर आए थे। दीपक कहते हैं उनकी कम्पनी ने छुट्टियों के हिसाब से कुछ दिन तनख्वाह दी जो अब बन्द है। किसी तरह से बुजुर्ग पिता की सेविंग्स से गुजारा चल रहा है। वापस जाने के भी पैसे नहीं है।
सुजेन इंग्लैंड में होटल की साफ सफाई करके गुजारा कर रहीं
दीपक की तरह सुजेन भी साल 2019 में ऑस्ट्रेलिया से इंग्लैंड आई थीं। इरादा था घूमने और छोटा-मोटा काम कर यात्रा खर्च निकालने का था। अचानक 2020 में लॉकडाउन लगा। घूमना तो दूर, खाने के लाले पड़ गए। सुजेन का कहना है कि उन्हें एक होटल में सफाई का काम मिला। वे एक साल से इसी होटल में हैं। काम के बदले रहने और खाने का इंतजाम हुआ है।
दो भाइयों की दुल्हनें भारत में फंसीं और दोनों ऑस्ट्रेलिया में
मेलबर्न निवासी दो भाइयों मनदीप और संदीप की कहानी तो और भी पेचीदा है। मनदीप ऑस्ट्रेलियाई नागरिक, जबकि संदीप परमानेंट रेजिडेंट। दोनों पिछले साल शादी करने हरियाणा के जींद गए। शादी के बाद दोनों मेलबर्न लौट गए, पर पत्नियां भारत में रहीं। तब से दुल्हनें भारत में, दूल्हे ऑस्ट्रेलिया में हैं।
देश की सीमाएं और ट्रैवल बैन 17 जून तक बढ़ा दिया
ऑस्ट्रेलियाई सरकार ने सीमाएं 17 जून तक सील कर दी हैं। वायरस को रोकने के लिए ह्यूमन बायो सिक्युरिटी आपातकाल तीन महीने के लिए और बढ़ा दिया गया है।