विद्या बालन का दर्द:एक्ट्रेस ने कहा- मेरा वजन राष्ट्रीय मुद्दा बन गया था, लंबे समय तक अपने शरीर से नफरत रही थीविद्या बालन को उनके वजन के चलते काफी आलोचना का सामना करना पड़ा है। एक इंटरव्यू में विद्या ने अपना दर्द बयां किया और बताया कि कैसे उनका वजन राष्ट्रीय मुद्दा बन गया था। 42 साल की विद्या ने कहा, “मैंने जो कुछ भी किया उससे गुजरना मेरे लिए बहुत जरूरी था। यह बहुत ही सार्वजानिक और उस वक्त अपमानजनक था। मैं गैर-फिल्मी परिवार से आती हूं। वहां कोई मुझे बताने वाला नहीं था कि कोई भी चरण अंतिम नहीं होता। मेरा वजन राष्ट्रीय मुद्दा बन गया था।”
‘लंबे समय तक अपने शरीर से नफरत थी’
ई-टाइम्स से बातचीत में विद्या ने आगे कहा, “मैं हमेशा से फैट गर्ल थी। मैं यह नहीं कहूंगी कि कभी मेरे वजन में उतार-चढ़ाव नहीं हुआ और मैं इसे लेकर बिल्कुल परेशान नहीं हुई। लेकिन मैंने लंबा सफर तय किया है। मेरी जिंदगी में हार्मोनल इश्यूज रहे हैं। लंबे समय तक मुझे अपने शरीर से नफरत थी। मुझे लगता था कि इसने मुझे धोखा दिया है। जिन दिनों में मुझपर सबसे अच्छा दिखने का दबाव होता था, तब मैं फूल जाती थी और मुझे गुस्सा और निराशा होती थी।”
बॉडी शैमिंग के मुद्दे को कैसे डील किया?
जब विद्या से पूछा गया कि उन्होंने बॉडी शैमिंग के मुद्दे के साथ कैसे डील किया तो उनका जवाब था, “मैंने खुद को प्यार करना और स्वीकारना शुरू कर दिया। लोग मुझे और स्वीकार करने लगे। उन्होंने मुझपर प्यार और तारीफ लुटाना शुरू कर दिया। समय के साथ मैंने यह मंजूर कर लिया कि मेरा शरीर ही एकमात्र चीज है, जिसने मुझे जीवित रखा है। क्योंकि जिस दिन शरीर ने काम करना बंद कर दिया, उस दिन मैं कहीं नहीं जा पाऊंगी। मैं अपने शरीर की बहुत आभारी हूं। यह मायने नहीं रखता कि मैं किस दौर से गुजरी हूं, लेकिन मैं जीवित इसी शरीर की वजह से हूं।”
1995 से एक्टिंग की दुनिया में एक्टिव हैं
नेशनल फिल्म अवॉर्ड और पद्मश्री से सम्मानित विद्या बालन ने अपने करियर की शुरुआत टीवी शो ‘हम पांच’ (1995) से की थी। 2005 में ‘परिणीता’ से उन्होंने बॉलीवुड में कदम रखा। इसके बाद वे ‘लगे रहो मुन्नाभाई’ (2006), ‘गुरु’ (2007), ‘पा’ (2009), ‘द डर्टी पिक्चर’ (2011), ‘कहानी’ (2012), ‘हमारी अधूरी कहानी’ (2015), ‘बेगम जान’ (2017) और ‘मिशन मंगल’ (2019) जैसी कई फिल्मों में नजर आ चुकी हैं। उनकी अपकमिंग फिल्म ‘शेरनी’ है, जो इसी साल रिलीज हो सकती है।