कोई कमजोर नहीं होता, लक्ष्य की ओर एक कदम बढ़ाते हुए मेहनत करें ताे कामयाबी जरूर मिलती है
March 8, 2021
महिला दिवस पर विशेष:101 साल पुराने श्री प्रेम मंदिर में अनूठी परंपरा- पूरे देश में हैं कुल 9 मंदिर
March 8, 2021

महिला दिवस विशेष:आधी हिस्सेदारी को सर्वोच्चता में कभी नहीं मिला मौका,

महिला दिवस विशेष:आधी हिस्सेदारी को सर्वोच्चता में कभी नहीं मिला मौका, पहली कतार में समानता के अधिकार पर ये आधी आबादी का दर्दजिले के सरकारी संवैधानिक पदों पर कभी महिला की नियुक्ति नहीं हुई
रोहतक में प्रशासनिक स्तर पर कामकाज अंग्रेजों समय से ही होता आया
जिला रोहतक में जिला उपायुक्त की तैनाती होते डेढ़ सदी बीत चुकी हैै, लेकिन आज तक किसी महिला को डीसी और एसपी पद पर नियुक्त नहीं किया गया है। बराबरी का दर्जा देने की बात करने वाले भी स्वीकारते हैं कि आखिर जिले की पहली कतार में महिला कैसे चूक गई। रोहतक में प्रशासनिक स्तर पर कामकाज अंग्रेजों समय से ही होता आया है। जिला उपायुक्त तब भी लगाए जाते थे।

वर्ष 1871 में पहले डीसी के तौर पर ओ. वुड एस्क्वारे को तैनात किया गया था। इसके बाद आजादी तक 38 डीसी बदले गए। आजादी के बाद की तस्वीर भी महिलाओं को जिले में पहली कतार का दर्जा नहीं दिला पाई। आजादी के बाद पहले उपायुक्त एनएन कश्यप तैनात किए गए थे। इसके बाद अब तक 74 साल में भी कोई जिला उपायुक्त महिला नहीं बन पाई है। अब तक 56 डीसी जिले को संभाल चुके हैं।

जिले में कभी महिला नहीं आईं सेशन जज

जिला अदालत में अब तक कोई भी महिला सेशन जज नहीं रही है। वर्ष 1955 से अब तक पुरूष की सेशन जज रहे है। हालांकि एडिशनल सेशन जज की पोस्ट पर कई महिलाएं जज तैनात रहीं हैं। जिन्होंने कई बड़े मामलों में अहम फैसले सुनाए। लेकिन सेशन जज का मुकाम किसी ने तय नहीं किया।

एमडीयू को 45 साल में 27 कुलपति, आधी आबादी का सवाल- मैं कुलपति क्यों नहीं

एमडीयू की स्थापना हुए 45 साल बीत गए हैं, लेकिन अब तक कोई महिला कुलपति यहां पर भी नहीं पहुंची है। 1976 में स्थापना से यहां पर कोई महिला कुलपति को इस पद पर नहीं लगाया गया। हालांकि तीन महीने के लिए आईएएस अनिता चौधरी आईं, लेकिन वे कार्यकारी ही रहीं। नियमित कोई नियुक्ति नहीं हुई।

पीजीआई- जीवनदायी को कभी नहीं मिला सर्वोच्च पद

पीजीआई मेडिकल कॉलेज में तीन हजार से ज्यादा रेगुलर डॉक्टर्स, स्टाफ नर्स और पैरामेडिकल स्टाफ की नियुक्ति है। इनमें 15 सौ के करीब महिलाएं हैं। पीजीआईएमएस के 51 साल के इतिहास में 22 डायरेक्टर रहे। जिसमें वर्ष 1994 के अप्रैल और मई माह में डॉ. सुशीला राठी ने दो माह, वर्ष 2001 के अगस्त माह में आईएएस अनीता चौधरी ने 8 दिन ही डायरेक्टर पद की जिम्मेदारी रही। 51 साल के इतिहास में एक भी महिला डायरेक्टर स्थायी तौर पर नहीं रही।

कैसे मिलेगी श्रेष्ठता की राह

आजादी के बाद से जिले के सर्वोच्च पद पर कभी किसी महिला को मौका नहीं मिला। आज भी सेशन जज, एसपी से लेकर यूनिवर्सिटी तक में कोई सर्वोच्च पद पर नारी शक्ति को मौका नहीं दिया गया।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Updates COVID-19 CASES