जमीर जागा, जुर्म कबूला:खुद ही आगे आए 28 सरकारी कर्मचारी, बोले-3.85 लाख रुपए जमा कर लो, हमने गरीबों के हक का गेहूं खाया है5 पंचायतों के 67 में से 38 कर्मचारियों ने नोटिस के बाद भी जमा नहीं करवाया पैसा
गलत काम करके व्यक्ति भले ही कुछ समय के लिए संतुष्ट हो जाए, लेकिन अंतरात्मा तो उसे कचोटती ही है। ऐसा ही एक मामला डीग क्षेत्र में उस समय देखने को मिला। विभिन्न विभागों के 28 सरकारी कर्मचारी खुद उपखंड अधिकारी कार्यालय में आए।
करीब 3.85 लाख रुपए जमा करवाकर बोले- हमने गलत तरीके से गरीबों के हक का गेहूं उठाकर खा लिया है। हम इसके लिए पात्र नहीं थे। यह देखकर एसडीएम कार्यालय का स्टाफ भी चौंक गया। इन लोगों के नाम अपात्रों की उस सूची में नहीं थे, जिनसे खाद्य सुरक्षा योजना के गेहूं की राशि वसूली जानी थी, इसलिए उनका पैसा ऑफलाइन जमा किया गया।
इसके विपरीत खाद्य सुरक्षा योजना में अपात्र होते हुए जरूरतमंदों के हक का गेहूं उठाने वाले 67 सरकारी कर्मचारियों से 27 रुपए प्रति किलो की दर से 15 लाख 65 हजार 280 रुपए की वसूली की जानी थी। इनमें से केवल 29 कर्मचारियों से ही 4 लाख 57 हजार 505 रुपए वसूल हो पाए हैं, जबकि 38 कर्मचारियों ने नोटिस के बावजूद पैसा जमा ही नहीं कराया।
इनमें सामई, कौंरेर, जाटोलीथून, अऊ और गुहाना ग्राम पंचायतों में शिक्षा, पुलिस, वन, मेडिकल और बिजली विभाग के कर्मचारी हैं। इन पंचायतों में कर्मचारियों ने अपात्र होते हुए भी करीब 587 क्विंटल उठा लिया था। गेहूं का रेट 15 रुपए किलो है। इनसे 27 रुपए की दर से वसूली होगी।
इधर, 5 पंचायतों के 67 में से 38 कर्मचारियों ने नोटिस के बाद भी जमा नहीं करवाया पैसा
इनके अलावा उपखंड कार्यालय ने अब 52 बेईमान कर्मचारियों को और चिह्नित किया है। इनमें बद्रीपुर के 14 और कासोट पंचायत के 38 कर्मचारी हैं। जांच में इनके गलत ढंग से गेहूं उठाने की पुष्टि होने के बाद इन्हें पैसा जमा कराने के लिए नोटिस दिए गए हैं। इस योजना में ऐसे परिवार ही पात्र हैं, जिनका कोई भी सदस्य सरकारी, अर्द्ध सरकारी, स्वायत्तशासी संस्थाओं में नियमित कर्मचारी अथवा अधिकारी नहीं है। ऐसा कोई पेंशनर्स भी नहीं है जो एक लाख रुपए से अधिक पेंशन ले रहा हो।
5 साल से खा रहे थे गरीबों के हक का गेहूं
दरअसल, जरूरतमंद परिवारों के लिए खाद्य सुरक्षा 2 अक्टूबर 2013 को लागू हुई। इसके लिए पात्र परिवारों का चयन ग्राम पंचायत और शहरी स्थानीय निकायों के जरिए किया गया था। वर्ष 2015 में संबंधित एसडीएम को भी योजना में पात्र परिवारों के नाम जोड़ने के लिए अधिकृत किया गया था। इसके बाद सितंबर 2017 में जिला रसद अधिकारी को भी नाम जोड़ने के लिए अधिकृत कर दिया गया।
अक्टूबर 2019 से ऑनलाइन आवेदनकी प्रक्रिया शुरू हुई। इससे पहले वर्ष 2015 में ई-मित्र पर भी नाम जोड़ने की सुविधा दी गई थी, इसलिए अधिकतर ई-मित्र संचालकों ने कई लोगों के नाम अपात्र होते हुए भी खाद्य सुरक्षा योजना में शामिल कर दिए। जब गड़बड़ी सामने आई तो ऑनलाइन आवेदन वाले परिवारों का रेवन्यू और ग्राम पंचायत स्तर पर गहन जांच के बाद ही विकास अधिकारी ने चयन किया था।
वसूली के लिए 38 कर्मियों के अफसरों को लिखा पत्र
जिन कर्मचारियों ने गेहूं की राशि 27 रुपए किलो की दर से जमा नहीं कराई है। उन 38 कर्मचारियों से उनके उच्चाधिकारियों के जरिए वसूली की जाएगी। इसके लिए अधिकारियों को पत्र लिखे हैं।