कोलकाता के सबसे बड़े ग्राउंड से रिपोर्ट:मोदी ब्रिगेड परेड ग्राउंड में 7 मार्च को रैली करेंगे; हर जिले से कार्यकर्ता कोलकाता पहुंच रहे हैं, BJP का 10 लाख की भीड़ जुटाने का टारगेटपश्चिम बंगाल में चुनावी बिगुल बज चुका है। 27 मार्च को यहां पहले चरण की वोटिंग होनी है। इसको लेकर सियासी सरगर्मी बढ़ गई है। चुनाव प्रचार का दौर शुरू हो चुका है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कोलकाता के ब्रिगेड परेड ग्राउंड में 7 मार्च को रैली करने वाले हैं। मोदी की इस साल यह तीसरी और चुनाव की घोषणा के बाद पहली रैली होगी। इसको लेकर तैयारियां जोरों पर है। बंगाल के अलग-अलग शहरों और गांवों से कार्यकर्ताओं का कोलकाता पहुंचना शुरू हो गया है। BJP ने 10 लाख की भीड़ जुटाने का टारगेट रखा है। फिल्म अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती और BCCI के अध्यक्ष सौरभ गांगुली के भी सभा में शामिल होने की उम्मीद है। इस दौरान वे भाजपा जॉइन भी कर सकते है। इस तरह के कयास लगाए जा रहे हैं।
ब्रिगेड परेड ग्राउंड का अपना ऐतिहासिक महत्व रहा है। 1857 में अंग्रेजों ने प्लासी की लड़ाई में जीत दर्ज करने के बाद कोलकाता में फोर्ट विलियम महल बनवाया था। इस किले में अंग्रेजों की फौज रहती थी। जिसकी परेड के लिए किले के सामने एक मैदान बनाया गया। जिसका नाम ब्रिगेड परेड ग्राउंड रखा गया। अभी यह ग्राउंड इंडियन आर्मी के अधीन है। आजादी के पहले और उसके बाद भी कई बड़ी घटनाओं का गवाह यह मैदान बना है।
कई बड़ी सभाओं का गवाह बना है यह मैदान
साल 1919 में रॉलेट एक्ट के खिलाफ देशबंधु चितरंजन दास ने इस ग्राउंड पर रैली की थी। 1955 में सोवियत प्रीमियर निकोल एलेक्जेंड्रोविच और सोवियत कम्युनिस्ट पार्टी के पहले सचिव ख्रु्श्चेव का भी यहां आना हुआ। तब देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और पश्चिम बंगाल के तत्कालीन मुख्यमंत्री विधान चंद्र रॉय मंच पर मौजूद थे। इसके बाद 1972 में बांग्लादेश की मुक्ति के बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने यहां विशाल जनसभा को संबोधित किया था। उस कार्यक्रम में बांग्लादेश के प्रधानमंत्री मुजीब-उर-रहमान भी शामिल हुए थे।
आजादी के बाद यह ग्राउंड पॉलिटिकल पार्टियों के लिए शक्ति प्रदर्शन का भी प्रतीक रहा है। खासकर लेफ्ट और केंद्र सरकार के विरोधियों के लिए। साल 1984 में केंद्र सरकार के खिलाफ फारूक अब्दुल्ला, चंद्रशेखर, ज्योति बसु सहित कई बड़े नेताओं ने रैली की थी। इसके बाद 2019 में ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार के खिलाफ इसी मैदान में शक्ति प्रदर्शन किया था। तब शरद पवार, एचडी देवेगौड़ा, चंद्रबाबू नायडू सहित 22 दलों के नेता शामिल हुए थे। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी और वीपी सिंह भी यहां सभा कर चुके हैं।
भीड़ जुटाना BJP के लिए प्रतिष्ठा की बातब्रिगेड ग्राउंड की देश के सबसे बड़े मैदानों गिनती होती है। बड़े से बड़े कार्यक्रमों में भी यहां जगह खाली बच ही जाती है। प्रोफेसर पंकज रॉय, कोलकाता के पॉलिटिकल एनालिस्ट हैं। वे कहते हैं कि यह रैली भाजपा के लिए प्रतिष्ठा का विषय है। 2014 और 2019 लोकसभा चुनाव के बाद प्रधानमंत्री मोदी यहां तीसरी बार रैली करने वाले हैं। यह पहली बार है जब BJP की तृणमूल और लेफ्ट कांग्रेस एलायंस के साथ कांटे की टक्कर है। अगर मोदी की रैली में भीड़ जुटती है और उसकी वजह से सड़कें और ट्रैफिक जाम होता है, तो भाजपा के लिए यह बड़ी बात होगी और शायद यह जीत में बदल जाए। इसके साथ ही अगर मैदान खाली रहता है, तो पार्टी के लिए यह शर्मिंदगी का विषय भी हो सकता है। हाल ही में लेफ्ट और कांग्रेस गठबंधन ने यहां रैली की थी। 25 मार्च को तृणमूल भी यहां सभा करने वाली है।
BJP को जीत दिलाएगी यह रैली – कैलाश विजयवर्गीयभाजपा के राष्ट्रीय महासचिव और बंगाल के प्रभारी कैलाश विजयवर्गीय रैली को सफल बनाने की तैयारी में जुटे हैं। भास्कर ने उनसे सवाल किया कि क्या ये रैली भाजपा के लिए गेम चेंजर होगी? विजयवर्गीय कहते हैं कि गेम पहले ही चेंज हो चुका है। हम चुनाव जीतने जा रहे हैं। यह रैली हमारी जीत पर मुहर लगा देगी। यह अब तक की सबसे बड़ी रैली होगी।
कोलकाता के राजनीतिक जानकार और इतिहासकार कहते हैं कि जैसे मुंबई के शिवाजी पार्क और दिल्ली के रामलीला मैदान में कुछ होता है तो वह ऐतिहासिक हो जाता है। उसी तरह इस ग्राउंड का भी अपना महत्व है।