ऐतिहासिक धरोहर नष्ट होने के कगार पर:पुरातत्व विभाग की अनदेखी से बिगड़ रहा 1400 साल पुराने मंदिरों का स्वरूपमहंत व संचालक मंदिरों की सीमेंट से करवा रहे मरम्मत, जबकि प्रोटेक्टिड साइट का जीर्णोद्धार पुरातत्व विभाग उसकी प्राचीनता को बरकरार रखते हुए करता है
पुरातत्व विभाग की अनदेखी के चलते सैकड़ों वर्ष पुरानी ऐतिहासिक धरोहर नष्ट होने के कगार पर हैं। प्राची तीर्थ के संरक्षित मंदिर अपनी प्राचीनता खोते जा रहे हैं। संरक्षित घोषित 1400 बरस पुराने मंदिरों की महंत व संचालक अपनी मनमर्जी से आधुनिक तरीके से मरम्मत करवा रहे हैं। जबकि प्रोटेक्टिड साइट का जीर्णोद्धार व मरम्मत आदि पुरातत्व विभाग उसकी प्राचीनता को बरकरार रखते हुए करते हैं।
मनमर्जी से मरम्मत होने से प्राची तीर्थ के मंदिर अपनी प्राचीनता को खो रहे हैं। ऐसा भी नहीं है कि तीर्थ पुरोहितों व संचालकों ने पुरातत्व विभाग को इस संबंध में गुहार न लगाई हो। कई बार पुरोहितों ने इनकी मरम्मत के लिए पुरातत्व विभाग को कहा। लेकिन पुरातत्व विभाग की तरफ से कोई पहल नहीं की गई। अब मामला सुर्खियों में आता देख मरम्मत कार्य रोकने के निर्देश जरूर दिए। इन्हें इस तरह से मोडिफाई नहीं किया जा सकता।
हो रहा प्लास्तर, खो रहा स्वरूप : इन मंदिरों का संचालन कर रहे लोगों ने पुरानी विरासत को तहस-नहस करके अपने तरीके से नया रूप देने का काम शुरू किया है, लेकिन विभाग चुप्पी साधे हुए हैं। इन पर सीमेंट का प्लास्तर कराया जा रहा है। तर्क दिया कि बरसातों में छतें टपकती हैं। दीवारें जर्जर होती जा रही हैं। इससे ये कभी भी गिर भी सकते हैं। गुरु दत्तात्रेय मंदिर के पास तो विभाग ने बकायदा संरक्षित साइट का बोर्ड तक लगाया है। पुरातत्व विभाग को इनकी महत्ता के बारे में पता भी है।
प्रतिहार सम्राट ने कराया था मंदिर का निर्माण, अभिलेख में वर्णित
पुरातत्व विभाग प्राची तीर्थ के तट पर सैकड़ों वर्ष पुराने यह मंदिर धार्मिक ग्रंथों में भी वर्णित हैं। इतिहास के जानकार विनोद पंचोली के मुताबिक यह मंदिर लगभग 1400 वर्ष पुराने हैं। यहां गुरु दत्तात्रेय का मंदिर ऐतिहासिक है। जिसे पुरातत्व ने संरक्षित घोषित किया है।
सरस्वती के प्राचीन घाट के किनारे उत्तर मध्यकालीन तीन मंदिर हैं। जिनमें से एक मंदिर प्रतिहार कालीन 9वीं दसवीं शदी का है। यहां से मिली मूर्तियों से इसकी पुष्टि हो चुकी है। पुरातत्वेताओं के अनुसार वर्तमान मंदिर उन तीन मंदिरों के ऊपर बनाए हैं। जिनका निर्माण प्रतिहार शासकों ने तोमर सामंत भाइयों पूर्ण राज, देवराज और गोग ने किया था। इन मंदिरों के निर्माण की पुष्टि प्रतिहार सम्राट महेंद्र पाल के अभिलेख से भी हुई थी।
मोडिफाई नहीं कर सकते : गुरलाभ
पुरातत्व विभाग के निरीक्षक गुरलाभ सिंह का कहना है कि पिहोवा में प्राची तीर्थ पर कई मंदिर संरक्षित हैं। इनकी प्राचीनता से छेड़छाड़ नहीं की जा सकती। यदि ऐसा हो रहा है तो गलत है। वह मौके का जायजा लेंगे और इस राष्ट्रीय स्मारक को तहस नहस करने वाले के खिलाफ कार्रवाई कराई जाएगी।
पहले किया इंतजार, नहीं ली सुध
वहीं मंदिर के महंत कृष्ण गिरि का कहना है कि मंदिर अति प्राचीन होने के कारण बारिश के दिनों में पानी दीवारों में भर जाता है। जिससे सीलन बढ़ रही है। पुरातत्व विभाग न तो इस मंदिर की मरम्मत करवाता है और न ही उन्हें करने देता है। जबकि यह उनकी संपत्ति है। उनका परिवार सन् 1974 से इसकी देखभाल कर रहा है।