पर्यावरण बचाने की पहल:2025 से सिंगापुर में डीजल कारों और टैक्सियों के रजिस्ट्रेशन पर लगेगी रोक, लक्ष्य से 5 साल पहले लागू किया जा रहा नियमउत्सर्जन घटाने और इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए खास पहल
सिंगापुर में 2025 से डीजल कारों और टैक्सियों के रजिस्ट्रेशन की अनुमति नहीं होगी। 2030 की समय सीमा से पांच साल पहले यह नियम लागू किया जा रहा है। उत्सर्जन घटाने और इलेक्ट्रिक वाहनों के इस्तेमाल को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने ये पहल की है।
सिंगापुर के सड़क परिवहन विभाग के मुताबिक वहां लगभग 3% पैसेंजर कारें डीजल से चलती हैं, लेकिन डीजल टैक्सियों की हिस्सेदारी 41% से भी ज्यादा है। अधिकांश माल परिवहन वाले वाहन और बसें भी डीजल से चलती हैं, लेकिन इन पर नए नियम लागू नहीं होंगे।
सिंगापुर सरकार की योजना 2030 तक 60,000 ईवी चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने की है। इसमें से दो तिहाई पब्लिक कार पार्किंग में और बाकी निजी परिसरों में स्थापित किए जाएंगे। सिंगापुर के सड़क परिवहन विभाग का कहना है कि इन उपायों से देश में 2025 के बाद नई डीजल कारों और टैक्सियों का रजिस्ट्रेशन बंद करने का लक्ष्य हासिल करने में मदद मिलेगी।
देश में 2030 से रजिस्टर्ड होने वाली सभी नई कारों और टैक्सियों के मॉडल ग्रीन एनर्जी वाले होना आवश्यक किया गया है। 2040 तक सभी वाहन क्लीन और ग्रीन एनर्जी पर चलाने का लक्ष्य है। सिंगापुर से पहले नॉर्वे ने 2025 तक अपने देश में फॉसिल फ्यूल से चलने वाले वाहनों की बिक्री बंद करने की घोषणा की थी।
नॉर्वे में ईवी की बिक्री 60% तक बढ़ गई है। नॉर्वे के अलावा डेनमार्क, नीदरलैंड, ब्रिटेन और आयरलैंड जैसे यूरोपियन देशों ने 2030 तक पेट्रोल-डीजल से चलने वाले वाहनों की बिक्री बंद करने की घोषणा की है। पेरिस ने 2024 तक डीजल कारों को सड़कों से हटाने का लक्ष्य रखा है। ब्रसेल्स, रोम और एथेंस में भी 2025 तक डीजल चलित वाहन बैन हो सकते हैं।
भारत में फिलहाल इस तरह की कोई समय सीमा तय नहीं
भारत सरकार हालांकि इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री को बढ़ावा देने के उपाय कर रही है लेकिन डीजल-पेट्रोल चलित वाहनों को सड़कों से हटाने की कोई डेडलाइन तय नहीं की है। कुछ दिनों पहले परिवहन मंत्री नितिन गडकरी भी कह चुके हैं कि सरकार की योजना ग्रीन और क्लीन एनर्जी को प्रोत्साहन देने की है लेकिन इंटरनल कंबशन इंजन (आईईसी) को बैन करने की फिलहाल कोई योजना नहीं है।