ओप्पो का बड़ा नुकसान:कंपनी का FY20 में कुल घाटा बढ़कर 2,203 करोड़ रुपए हुआ, भारत में मार्केट शेयर 11% रहाचीनी कंपनी ओप्पो मोबाइल का फाइनेंशियल ईयर 2019-20 में कुल घाटा बढ़कर 2,203 करोड़ रुपए हो गया। 2015 में कंपनी के शुरू होने के बाद उसके लिए ये सबसे ज्यादा घाटे वाला साल रहा। बिजनेस इंटेलिजेंस प्लेटफॉर्म टॉफलर के फाइनेंशियल डेटा के मुताबिक, फाइनेंशियल ईयर 19 में कंपनी का रेवेन्यू 78% की ग्रोथ के साथ 21,724 से बढ़कर फाइनेंशियल ईयर 20 के दौरान 38,757 हो गया था।
रिसर्च फर्म IDC इंडिया के अनुसार, चीन स्थित ब्रांड ने भारत के स्मार्टफोन बाजार में 5वीं रैंक हासिल की है। कैलेंडर वर्ष 2020 के दौरान 16.5 मिलियन (1.65 करोड़) यूनिट की बिक्री की। उसका कुल मार्केट शेयर 11% रहा, लेकिन सालाना ग्रोथ कम रही।
ओप्पो द्वारा जारी की गई रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले फाइनेंशियल ईयर में कंपनी ने 400 मिलियन डॉलर (करीब 3,280.5 करोड़ रुपए) एक्सटर्नल कमर्शियल बारोइंग (ECB) के जरिए हासिल किए थे।
ECB समझौते के 1457 करोड़ रुपए मिले
ओप्पो ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि रिव्यू के दौरान, कंपनी को जनरल कॉर्पोरेट, वर्किंग कैपिटल, इम्पोर्ट कैपिटल गुड्स, लोकल सोर्सिंग कैपिटल गुड्स जैसे उद्देश्यों के लिए 10 सितंबर, 2019 और 24 मार्च, 2020 को ECB समझौते के 200 मिलियन डॉलर (करीब 1457 करोड़ रुपए) प्राप्त किए थे।
नोएडा प्लांट में 2,200 करोड़ रुपए नेविश की घोषणा
ओप्पो ने अपने ग्रेटर नोएडा मैन्युफैक्चरर्स प्लांट के डेवलपमेंट के लिए जनवरी 2020 में 2,200 करोड़ रुपए के निवेश की घोषणा की थी। इसमें ओप्पो और सिस्टर ब्रांड रियलमी और वनप्लस के लिए फोन असेंबल होते हैं। इस प्लांट में हर साल करीब 50 मिलियन (5 करोड़) स्मार्टफोन का तैयार किए जाते हैं।
भारत में फाइनेंशियल सर्विस M-Kash भी है
कंपनी ने जुलाई 2019 में अपनी फाइनेंशियल सर्विस जिसे M-Kash कहा जाता है, उसमें 2 करोड़ रुपए का निवेश किया था। कंपनी भारत में रियलमी और ओप्पो दोनों ब्रांड के स्मार्टफोन को फिनटेक बिजनेसेस का अधिकार देती है।