आर्मी में महिलाओं को स्थाई कमीशन:फैसला एक साल बाद भी लागू नहीं, सुप्रीम कोर्ट आज सुनवाई करेगा; महिला अफसरों ने अर्जी लगाई थीआर्मी में महिलाओं को स्थायी कमीशन देने का फैसला एक साल बाद भी लागू नहीं करने के मामले में सुप्रीम कोर्ट आज सुनवाई करेगा। इस मामले में पिटीशनर 17 महिला अफसरों का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद फैसला लागू नहीं करने लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कन्टेम्प्ट (अवमानना) की कार्रवाई की जाए।
17 साल की कानूनी लड़ाई के बाद पिछले साल फरवरी में थलसेना में महिलाओं को बराबरी का हक मिलने का रास्ता साफ हुआ था। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया था कि उन सभी महिला अफसरों को तीन महीने के अंदर आर्मी में स्थाई कमीशन दिया जाए, जो इस विकल्प को चुनना चाहती हैं। बाद में सरकार ने कोरोना की वजह से 6 महीने का और समय मांगा था, लेकिन कोर्ट ने एक महीने का वक्त दिया था।
अभी तक केवल पुरुषों को स्थायी कमीशन का मौका मिलता था
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले आर्मी में 14 साल तक शॉर्ट सर्विस कमीशन (SSC) में सेवा दे चुके पुरुषों को ही स्थाई कमीशन का विकल्प मिल रहा था, लेकिन महिलाओं को यह हक नहीं था। दूसरी ओर वायुसेना और नौसेना में महिला अफसरों को स्थाई कमीशन मिल रहा है।
अभी क्या स्थिति है?
महिलाएं शॉर्ट सर्विस कमीशन के दौरान आर्मी सर्विस कोर, ऑर्डिनेंस, एजुकेशन कोर, एडवोकेट जनरल, इंजीनियर, सिग्नल, इंटेलिजेंस और इलेक्ट्रिक-मैकेनिकल इंजीनियरिंग ब्रांच में ही एंट्री पा सकती हैं। उन्हें कॉम्बैट सर्विसेस जैसे- इन्फैंट्री, आर्म्ड, तोपखाने और मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री में काम करने का मौका नहीं दिया जाता। हालांकि, मेडिकल कोर और नर्सिंग सर्विसेस में ये नियम लागू नहीं होते। इनमें महिलाओं को परमानेंट कमीशन मिलता है। वे लेफ्टिनेंट जनरल की पोस्ट तक भी पहुंची हैं।