सार्थक पहल:युवा किसानों ने बनाया आईटी सेल, भड़काऊ पोस्टों पर लगाते हैं रोकदिसंबर में एक गांव के 12 युवाओं ने की थी, अब 15 गांवों से जुड़ें हैं 45 युवा, दिनभर रखते हैं पोस्टों पर नजर
सोशल मीडिया पर किसान आंदोलन को लेकर तरह-तरह की पोस्टें की जा रही हैं। इनमें कुछ पोस्टें भड़काऊ व भ्रामक भी होती हैं। इसी से निपटने के लिए जिला कैथल के किसानों ने खुद का आईटी सेल बनाया है। 45 सदस्यीय सेल से 15 गांवों के युवा जुड़े हैं जो सोशल मीडिया पर आने वाली किसान आंदोलन से जुड़ी पोस्टों पर दिनभर नजर रखते हैं।
यह ग्रुप संदिग्ध पोस्टों की पड़ताल करके न केवल सच्चाई का पता लगाता हैं बल्कि भड़काऊ व समाज का ताना-बाना बिगाड़ने वाली पोस्टों को हटवाने का प्रयास करता हैं। इसके लिए पोस्ट डालने वाले को फर्जी पोस्ट डालने के नुकसान बताते हुए पोस्ट हटाने के लिए समझाया जाता है। कोई नहीं मानता तो ग्रुप से जुड़े सदस्य पोस्ट पर कमेंट कर देते हैं कि यह फर्जी है इसलिए आगे फॉरवर्ड न करें।
दिनभर रखते हैं सोशल मीडिया पर वायरल हुई पोस्ट पर नजर| ग्रुप से जुड़े विक्रमजीत सिंह विर्क, बिट्टू व राजकुमार ने बताया कि उनकी टीम सोशल मीडिया पर ग्रुप बनाकर एक दूसरे के संपर्क में रहकर कार्य करते हैं। दिनभर सोशल मीडिया पर किसान आंदोलन से जुड़ी पोस्टों पर नजर रखते हैं। कोई पोस्ट संदिग्ध, भड़काऊ या सामाजिक तानाबाना तोड़ने वाली दिखे तो उसकी सच्चाई पता करते हैं।
आंदोलन का गलत प्रचार न हो इसलिए बनाया आईटी सेल
गांव पाई के रहने वाले इंजीनियर हरदीप सिंह ने बताया कि वह नोयडा की एक कंपनी में नौकरी करता था लेकिन लॉकडाउन के दौरान गांव में ही थे। किसान आंदोलन शुरू हुआ तो सोशल मीडिया पर आंदोलन से जुड़ी कई तरह की पोस्टें आती हैं। कुछ पोस्टें बहुत भड़काऊ भी होती थी। ऐसी पोस्टों को मैं अलग-अलग प्लेटफार्म पर जाकर चेक करता कि पोस्ट में कितनी सच्चाई है। वायरल पोस्टों में बहुत सी पोस्ट पुरानी व फेक भी मिलती। फेक पोस्ट के नीचे मैं बाकायदा अपना कमेंट देता कि ये पोस्ट फर्जी है ताकि कोई उसे आगे वायरल करने से बच सकें।
सैतभी मेरे मन में आइडिया आया कि फेक पोस्ट किसान आंदोलन व समाज दोनों के लिए ही नुकसानदायक है। इन्हें रोकने के लिए काम करना होगा। मैंने अपने साथियों के साथ आइडिया शेयर किया तो वे भी सहमत हो गए कि इस विषय पर काम करने की जरूरत है। हम 12 साथियों ने दिसंबर माह में इसकी शुरुआत की। दूसरे गांव वालों को पता चला कि उन्हें भी यह अच्छा लगा। अब पाई के अलावा भाणा, फरल व मुन्नारेहड़ी आदि 15 से ज्यादा गांवों के युवाओं का हमारा ग्रुप है जो किसान आईटी कैथल ग्रुप के नाम से फेक न्यूज रोकने के लिए कार्य कर रहा है।