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गैस की आंच और महंगी:एक साल में सिलेंडर 237 रुपए महंगा; फरवरी 2020 में 882 रुपए दाम थे

गैस की आंच और महंगी:एक साल में सिलेंडर 237 रुपए महंगा; फरवरी 2020 में 882 रुपए दाम थे तब सब्सिडी 301 रुपए थीअब कीमत 814 और सब्सिडी 7.40 रुपए
दो माह में 200 रुपए बढ़े गैस सिलेंडर के रेट, जिले के 2.95 लाख उपभोक्ता प्रभावित
महंगे होती घरेलू गैस ने रसोई का बजट बिगाड़ दिया है। एक साल पहले जिस गैस सिलेंडर पर 301 रुपए तक की सब्सिडी मिल रही थी कि वह अब महज 7.40 रुपए हो गई है। महज इतनी सी सब्सिडी और उसके लिए पिछले कई माह से इंतजार किया जा रहा है।

तेल कंपनियों की तरफ से खुले रूप से बगैर घोषणा के ही एलपीजी के दामों में बदलाव किया जा रहा है जिसके चलते जनवरी और फरवरी माह में सिलेंडर की कीमतों में सीधे ही 200 रुपए तक की बढ़ोतरी हो गई है। कीमतों में इस बढ़ोतरी के बीच सबसे अधिक परेशानी इस बात की है कि खातों में सब्सिडी आना भी बंद हो गई है। इस वजह से उपभोक्ता एजेंसी संचालकों से भी उलझ रहे हैं।

अंर्तराष्ट्रीय बाजार में तेल की बढ़ती कीमतों के बहाने आम आदमी की जेब पर डाले जा रहे इस बोझ की वजह से हर परिवार का बजट बिगड़ गया है। इसके परिणाम स्वरूप गैस एजेंसी संचालकों को उपभोक्ताओं के ताने सुनने पड़ रहे हैं। रेवाड़ी जिला की बात करें तो जिला में भारत गैस एवं इंडेन गैस एजेंसी के 2 लाख 95 हजार 562 उपभोक्ता है और जिला की 23 एजेंसियों के माध्यम से इन्हें गैस सिलेंडरों का वितरण होता है।

जनवरी माह में केंद्र सरकार द्वारा 50-50 रुपए प्रति सिलेंडर की दो बार बढ़ोतरी की गई। वहीं अब फरवरी माह में अब तक कीमतों में तीन बार बढ़ोतरी की जा चुकी है। फरवरी माह में भी क्रमश: 25-25 रुपए दो बार में और अब तीसरी बार में सीधे ही 50 रुपए की बढ़ोतरी की गई है। हालांकि तेल कंपनियों की तरफ से इसके पीछे अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बढ़ी हुई कच्चे तेल की कीमतों का हवाला दिया जा रहा है।

पिछले साल फरवरी की बात करें तो तेल कंपनियों ने उस समय में दो बार कीमतों में बढ़ोतरी की गई थी। 13 फरवरी 2020 के बाद जिला में सिलेंडर की कीमत 882 रुपए हो गई थी जिसके बाद सरकार की तरफ से ग्राहकों को 301.48 रुपए की सब्सिडी दी गई थी। अब इस फरवरी में कीमत 814 रुपए है लेकिन उसके मुकाबले सब्सिडी महज 7.40 रुपए ही दी जाती है। यानि अब सीधे तौर पर उपभोक्ताओं को अब 250 रुपए तक की अधिक चुकानी पड़ रही है।

चुपके से यह भी दस्तक; पहले हर माह अब तेल की तरह हर रोज कीमत बदल रहे हैं, जनवरी में 2 बार तो फरवरी में तीन बार हो चुकी है बढ़ोतरी

तेल कंपनियों की तरफ से लॉक डाउन से पहले एलपीजी की कीमतों में माह में एक बार बदलाव किया जाता था। पिछले साल केवल फरवरी माह में दो बार कीमतें बदली गई थी। अब पिछले कुछ माह से तेल कंपनियों की तरफ से बगैर किसी घोषणा के तेल की कीमतों की तरह ही एलपीजी की कीमतों में बदलाव किया जा रहा है। दिसंबर और जनवरी में दो बार और फरवरी में अब तक तीन बार कीमतों में बदलाव किया जा चुका है।

हालांकि तेल कंपनियों की तरफ से इसके पीछे की वजह अंतर्राष्ट्रीय बाजार में बढ़ती कीमतों को बताया जा रहा है लेकिन इसके पीछे मंशा यह भी है कि पेट्रोल-डीजल की तरह ही एलपीजी की भी कीमतों को इसी तरह से तय करना शुरू कर दिया जाए।

जून से बढ़ने शुरू हुए दाम

मई माह में सिलेंडर की कीमत 595 रुपए थी जो कि जून में बढ़कर 617 रुपए हो गई। कीमतों में बढ़ोतरी के बाद जून माह में सब्सिडी 258.70रुपए थी। इसके नवंबर तक सिलेंडरों की कीमत 614 रुपए ही रही। अब दिसंबर से फरवरी तक 200 रुपए की बढ़ोतरी करके कीमत 814 रुपए कर दिया गया। सर्वाधिक बढ़ोतरी फरवरी में हुई है और तीन बार रेट बढ़ाए गए है।

जिले में कुल एजेंसी 23 उज्जवला योजना के उपभोक्ता 14901 घरेलू श्रेणी के उपभोक्ता 295562 कॉमर्शियल उपभोक्ता 1264

साल कीमत सब्सिडी
जनवरी 714 7.40
फरवरी 814 7.40

सब्सिडी के लिए भी बढ़ता इंतजार

सरकार की तरफ से डीबीटी की शुरूआत करते हुए कहा गया था कि इसके जरिए उपभोक्ताओं के खाते में सीधे सब्सिडी राशि चली जाएगी। जबकि जिला के लगभग बड़ी संख्या में ऐसे उपभोक्ता है जिनकी सब्सिडी भी पिछले कई माह से नहीं आ रही है। सब्सिडी नहीं मिलने के कारण उपभोक्ता गैस एजेंसी संचालकों के पास पहुंच रहे हैं।

अब सब्सिडी भी न के बराबर है

रेवाड़ी इंडेन के संचालक प्रवीण चौधरी ने बताया कि दो माह में ही सिलेंडर की कीमतों में 200 रुपए की बढ़ोतरी हो गई है। अब सिलेंडर 814 रुपए का मिल रहा है जबकि पहले यह 580 रुपए के आसपास था। इतनी अधिक बढ़ोतरी की वजह से ग्राहक भी परेशान है और ऊपर से लॉकडाउन के बाद से सब्सिडी भी नहीं दी जा रही है।

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