1 साल से सीमाएं सील:नॉर्थ कोरिया छोड़ने के लिए रूसी राजनयिकों ने 34 घंटे ट्रेन-बस में सफर किया, हैंडकार्ट को धक्का मारकर रूस पहुंचेरेल रोड ट्रॉली पर रखा सामान। उस पर बैठे कुछ बच्चे और ट्रॉली को धक्का देता कपल। यह नजारा बंटवारे पर बने किसी टीवी सीरियल या फिल्म का नहीं, बल्कि नॉर्थ कोरिया का है। यहां पिछले एक साल से फंसे रूसी राजनयिकों को अपने देश पहुंचने के लिए 34 घंटे का दर्दभरा सफर तय करना पड़ा। दरअसल, कोरोना की वजह से नॉर्थ कोरिया की सीमाएं पिछले साल जनवरी से सील हैं।
इंटरनेशनल एयर ट्रैवल के साथ सड़कें भी बंद हैं। तानाशाह किम जोंग उन की हिदायत है कोई भी व्यक्ति नॉर्थ कोरिया में न आ पाए। उन्हें डर है, यदि कोरोना का एक भी मामला देश में आता है तो महामारी को रोक पाना उसके वश की बात नहीं होगी। ऐसे में राजनयिकों ने रूस पहुंचने के लिए सबसे पहले नॉर्थ कोरिया की बदहाल ट्रेन से 32 घंटे का सफर किया।
फिर 2 घंटे बस में सफर किया। राजनयिकों के पास ज्यादा सामान था, लिहाजा उन्होंने रेल रोड ट्रॉली लेकर आगे की यात्रा शुरू कर दी। जिस रेलरोड ट्रॉली को रूसी डिप्लोमेट हाथ से धक्का दे रहे थे, उसका नाम है- हैंडकार्ट। इसका इस्तेमाल करीब 200 साल पहले रेलवे ट्रैक पर सामान ढोने या फिर यात्रियों को ले जाने के लिए इस्तेमाल किया जाता था।
घर जाने के लिए मुश्किल सफर करना पड़ा
उत्तर कोरिया में रशियन एंबेसी ने हैंडकार्ट खींचने की 2 तस्वीरें सोशल मीडिया पर पोस्ट कीं। इसके साथ लिखा कि रूसी दूतावास के 8 कर्मचारी और उनके परिवार के सदस्य अपने देश लौट आए हैं। उत्तर कोरिया की सीमाएं और यातायात पिछले 1 साल से बंद है। इसलिए उन्हें घर जाने के लिए काफी लंबा और एक कठिन सफर तय करना पड़ा।