पढ़े-लिखे लोग भी लालच में आकर गंवा रहे पैसा:हर चौथे दिन एक व्यक्ति से हो रही ठगी, 55 दिन में 14 लोग गंवा बैठे 21.50 लाख, पुलिस नहीं सुलझा पाई एक भी वारदातशातिर ठगों के सामने इंस्पेक्टरों की कमी केस ट्रेस करने में बाधा
हर चौथे दिन जिला का एक व्यक्ति साइबर ठगी का शिकार हो रहा है। पिछले 55 दिन के हालात ये हैं कि जिला में 14 व्यक्तियों को साइबर ठगों ने शिकार बना लिया है। इस दौरान कुल 21 लाख 49 हजार 893 रुपए की ठगी लोगों से की गई।
खास बात ये है कि साइबर ठगी का कम पढ़े-लिखे लोगों के साथ-साथ उच्च शिक्षित लोग भी शिकार हो रहे हैं। ठगी करने वाले इतने शातिर हैं कि वे ज्यादातर लोगों को अपनी बातों में फंसा ही लेते हैं। कभी बैंक अधिकारी बनकर तो कभी मोबाइल हैक करके, लॉटरी निकालने, लोन देने जैसे झांसों में लेकर ठगी की जा रही है।
जालसाजों के चंगुल में फंसे लोगों में किसी ने जीवनभर की जमा पूंजी गंवाई तो किसी ने ब्याज पर लिए रुपए गंवा दिए। ठगे गए लोगों में आधे से ज्यादा शहर के रहने वाले हैं। एक बार साइबर फ्रॉड का शिकार हो गए तो रुपए वापस मिलना चमत्कार ही मानिए, क्याेंकि पुलिस के आंकड़े बताते हैं कि साइबर ठग के बचने की दौड़ कानून के लंबे हाथों से बाहर है। इसकी एक वजह ठगों का शातिर होना है तो दूसरी वजह हैं आईटी एक्ट में कम से कम इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी द्वारा जांच करना। जबकि जिला में जांच के लिए इंस्पेक्टर रैंक के अधिकारी की संख्या काफी कम है।
जानिए उनकी जुबानी जो साइबर ठगी का शिकार हुए
25 लाख की लाॅटरी निकलने के दिए लालच में गंवाए 2.40 लाख
मैं बिहार का रहने वाला हूं, 14 साल से कैथल में रहकर पल्लेदारी करता हूं। परिवार में पत्नी, 12 साल की बेटी व पांच साल का बेटा है। 27 दिसंबर 2020 को मेरे मोबाइल पर किसी ने कॉल करके कहा कि आपकी 25 लाख रुपए की लॉटरी निकली है। उन्होंने एक बैंक खाता बताया और कहा कि लॉटरी लेने के लिए 12 हजार रुपए इस खाते में जमा करवाने पड़ेंगे। मेरे जैसे गरीब के लिए 25 लाख बहुत बड़ी रकम है। मैं तुरंत झांसे में आ गया। मैने बच्चों की फीस के लिए जमा किए रुपए ठगों के बैंक खाते में जमा करवा दिए। मैं रुपए जमा करवाता गया और आरोपियों की मांग बढ़ती गई। जमा पूंजी के 20 हजार रुपए खत्म हुए तो तीन रुपए सैंकड़ा ब्याज पर कर्ज लेकर आरोपियों के खाते में जमा करवा दिए। 2.40 लाख रुपए हड़पने के बाद ठगों ने मेरे साथ बात करनी बंद कर दी। मैं कर्ज में दब चुका हूं। तीन महीने से बच्चों की ट्यूशन फीस भी नहीं दे पाया। पुलिस में केस दर्ज करवा दिया, लेकिन ठगों के बारे में कुछ पता नहीं चला।
संतोष साहा, निवासी प्यौदा रोड कैथल
25 लाख के लोन के चक्कर में गंवा बैठा 12.61 लाख
मैं 12वीं तक पढ़ा लिखा हूं। गांव में करियाना व मनियारी की दुकान है। सोशल मीडिया पर प्रतिष्ठित फाइनेंस कंपनी के नाम से विज्ञापन देखा, जिसमें लिखा था कि कंपनी 25 लाख रुपए का लोन दे रही है। ग्राहक को 15.35 लाख रुपए खाते के जमा करवाने होंगे। मैं विदेश जाकर सेटल होना चाहता था।
इसलिए विज्ञापन में दिए नंबर पर कॉल की। सामने वाले व्यक्ति ने खुद को राकेश कुमार दशोरा बताया। राकेश ने मुझे बैंक एकाउंट नंबर बताया जिसमें रुपए जमा करवाने थे। मैं झांसे में आ गया। खुद के 2.50 लाख रुपए के अलावा, दोस्तों, रिश्तेदारों से रुपए इकट्ठे करके आरोपी के बैंक खाते में जमा करवा दिए।
12 लाख 61 हजार 389 रुपए ठगने के बाद मेरे से 1.70 लाख रुपए अब भी मांगे जा रहे हैं। आरोपी कह रह हैं कि और रुपए मिलने के बाद ही लोन पास होगा। जिस नंबर से फोन आया वह पुलिस को दे चुका हूं, कार्रवाई नहीं हो रही।
राकेश कुमार, मलिक निवासी बरटा
सीधी बात लोकेंद्र सिंंह, एसपी, कैथल
जिले में साइबर ठगी के केस बढ़ रहे हैं पुलिस इसे रोकने के लिए क्या कदम उठा रही है? एसपी: साइबर ठगी से बचने के लिए जनता को खुद भी सचेत रहने की जरुरत है। आरोपी वर्तमान में चल रहे मुद्दे का फायदा उठाकर ठगी करते हैं। वे इतने शातिर व एक्सपर्ट होते हैं कि एक पल के लिए तो जागरुक व्यक्ति भी झांसे में आ सकता है।
साइबर ठगी के ज्यादातर मामलों में ठग पुलिस के हाथ से कैसे बच जाते हैं?
एसपी: ये बहुत बड़े लेवल का गिरोह है। जो अलग-अलग जोन में कार्य करता है। जैसे एक गिरोह झारखंड, बिहार, दूसरा गिरोह भरत, मथुरा, तीसरा मध्यप्रदेश, चौथा गिरोह मेवात आदि में हैं। गिरोह के सिम आदि भी फर्जी कागजात पर होते हैं। पुलिस लोकेशन पर जाती है तो वहां ये मिलते नहीं और सिम कार्ड लेने में प्रयोग पते पर जाते हैं तो फर्जी मिलता है।
साइबर ठगों को काबू करने के लिए क्या पुलिस ने कोई रणनीति भी बनाई है?
एसपी: आईटी एक्ट की जांच इंस्पेक्टर रैंक से कम का अधिकारी नहीं कर सकता। इंस्पेक्टरों की कमी के चलते ऐसे मामलों में पुलिस का सक्सेस रेट कम रहता है, लेकिन मैनें पुलिस की मीटिंग लेकर एक ज्वाइंट टीम का गठन किया है। यह टीम दूसरे राज्यों में ठगों की लोकेशन पर रेड करने के लिए भेजी जाएगी।
इन बातों का ध्यान रखें तो बच सकते हैं साइबर ठगी से
मोबाइल पर आया ओटीपी किसी को न बताएं।
कार्ड के जरिये पेमेंट सिर्फ एचटीटीपीएस वेबसाइट पर ही करें, इसके अलावा साइबर सिक्योरिटी चालू रखें।
सोशल मीडिया आईडी का पासवर्ड स्ट्रॉंग रखें और समय-समय पर बदलते रहें।
अनजान मोबाइल नंबर से आए किसी लिंक पर क्लिक न करें।
किसी प्रकार की लॉटरी, रिचार्ज कूपन, डिस्काउंट आदि के झांसे में आकर बैंक डिटेल सांझा न करें।
फर्जी मोबाइल एप्लिकेशन डाउनलोड करनें से बचें इससे मोबाइल हैक हो सकता है।
किसी को मोबाइल पर बैंक डिटेल न बताएं। कोई कुछ भी बोले लेकिन बैंक डिटेल देने से साफ मना कर दें।
साइबर अपराध होनें पर नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल पर शिकायत दर्ज करवाएं।
आजकल जालसाजों ने बैंक के कस्टमर केयर के नाम से खुद के नंबर भी इंटरनेट पर दिए हुए हैं। कॉल करने से पहले बैंक का ऑफिशियल नंबर वैरिफाई कर लें।
समय-समय पर बैंक स्टेटमेंट चैक करते रहें।