ईगल हंटर:मंगोलिया का कजाख समुदाय, जो बाजों के जरिए शिकार करता है
February 27, 2021
UNSC में भारत की दो टूक: पाकिस्तान का नाम लिए बिना कहा- एक पड़ोसी न सिर्फ भारत
February 27, 2021

चीन का नया पैंतरा:हॉन्गकॉन्ग के 7000 साल पुराने इतिहास को मिटाकर दोबारा लिखवाईं किताबें

चीन का नया पैंतरा:हॉन्गकॉन्ग के 7000 साल पुराने इतिहास को मिटाकर दोबारा लिखवाईं किताबें; 726 करोड़ रुपए खर्च किएहॉन्गकॉन्ग में अब ग्रेट वॉल ऑफ चाइना और पीपुल लिबरेशन आर्मी के बारे में पढ़ाया जाएगा
इतिहास की इन नई किताबों में चीन की प्रमुख साइट्स और शी जिनपिंग सरकार का ही गुणगान
हॉन्गकॉन्ग में विवादित राष्ट्रीय सुरक्षा कानून लागू हो चुका है। इससे अब चीन को डर है कि हॉन्गकॉन्ग के युवा उससे बगावत कर प्रदर्शन शुरू न कर दें। इसलिए उसने हॉन्गकॉन्ग की नई पीढ़ी को अपने वश में करने की ठान ली है। चीन की जिनपिंग सरकार ने हॉन्गकॉन्ग के स्कूल-कॉलेजो में चीन के प्रति वफादारी का पाठ पढ़ाना शुरू कर दिया है।

ड्रैगन ने हॉन्गकॉन्ग के 7000 साल पुराने इतिहास को मिटा दिया है। साथ ही 100 मिलियन डॉलर (726 करोड़ रुपए) खर्च कर इतिहास की नई किताबें लिखवाई हैं। इनमें से एक किताब 800 पेज की है। इसमें चीन ने अपना गुणगान किया है और खुद को हॉन्गकॉन्ग का रक्षक बताया है। इन किताबों में चीन की पीपुल लिबरेशन आर्मी और ग्रेट वॉल ऑफ चाइना समेत प्रमुख साइट्स के बारे में बताया गया है।

विशेषज्ञों का मानना है कि जब 2019 में बड़े पैमाने पर विरोधाभासी विरोध प्रदर्शन हुए, तो बीजिंग समर्थक अधिकारियों ने उदार मूल्यों को बढ़ावा देने और हॉन्गकॉन्ग को कट्टरपंथी बनाने के लिए शिक्षा प्रणाली को दोषी ठहराया था। उस प्रदर्शन में छोटे बच्चे भी शामिल हुए थे। इसे लेकर चीन हॉन्गकॉन्ग के बच्चों के सामने खुद को ‘हीरो’ के तौर पर पेश करना चाहता है।

इन किताबों के जरिए बच्चे देश की सुरक्षा के नाम पर चीन के प्रति देशप्रेम सीखेंगे। यानी वे कुल मिलाकर चीन से विद्रोह न करने की सीख लेंगे। एक रिपोर्ट में बताया गया है कि सिर्फ हॉन्गकॉन्ग ही नहीं, बल्कि मकाऊ के लोग भी खुद को चीन का हिस्सा मानने का पाठ सीखेंगे। चीन मकाऊ को भी अपना हिस्सा मानता है। यह चीन का विशेष प्रशासनिक क्षेत्र है। चीन ने इसे एक समझौते के तहत 1999 में पुर्तगाल को सौंपा था।

तियानमेन नरसंहार को भी हटाया

1989 में लोकतंत्र बहाली को लेकर जन आंदोलन हुआ था। उस दौरान बीजिंग स्थित तियानमेन चौक पर एक लाख से ज्यादा छात्र जुटे थे। इस विद्रोह को कुचलने के लिए चीन ने मार्शल लॉ लगाया था। फिर तोपों और टैंकों से प्रदर्शनकारियों को मौत के घाट उतार दिया था। चीन ने इस ऐतिहासिक घटना को भी किताबों से हटा दिया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Updates COVID-19 CASES