विरोध:प्रशासक की नियुक्ति के खिलाफ पंचायतीराज प्रतिनिधियों का प्रदर्शन, सरकारी आदेश पर हाईकोर्ट में सुनवाई कलपंचायत प्रतिनिधियों ने काम प्रभावित होने का दिया हवाला
प्रदेशभर में 23 फरवरी को पंचायत इकाइयों की समयावधि पूरी होने जा रही है। सरकार ने इससे पहले ही सभी पंचायत इकाइयों पर प्रशासक तैनाती का फैसला ले लिया है। यही फैसला अब सरकार के गले की फांस बनने जा रहा है।
सरकारी आदेशों के खिलाफ मामला पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में पहुंच चुका है। इस मामले पर सरकार की ओर से सोमवार को जवाब दाखिल किया जाना है। पंचायत प्रतिनिधियों ने काम प्रभावित होने का हवाला दिया है। उन्होंने सरकार को चेतावनी देते हुए प्रदेशभर में शनिवार को अपना विरोध ज्ञापन के मार्फत राज्यपाल के पास भेजा है।
पंचायत इकाई के प्रतिनिधियों का कहना है कि जिस तरीके से सरपंच पंच, ब्लॉक समिति सदस्य, जिला परिषद सदस्य कार्य करते हैं। उसी तरीके से प्रधानमंत्री व मुख्यमंत्री भी इसी संवैधानिक पद पर कार्य करते है। इन पदों पर भी जब तक अगला निर्वाचित सदस्य उस पद की शपथ नहीं ले लेता है। तब तक चार्ज उन्हीं के पास रहता है।
हरियाणा में अब तक निर्वाचन आयोग ने कोई तारीख की घोषणा नहीं की है कि हरियाणा में पंचायती राज के चुनाव किस तारीख को होंगे। न ही हरियाणा में अभी वार्डबंदी का कार्य शुरू हुआ है। इसके बावजूद सभी ग्राम पंचायत, पंच, ब्लाक समिति सदस्य, जिला परिषद के सदस्यों को भंग करके जनहित में गलत आदेश जारी किया गया है। इस आदेश को जनहित में ध्यान में रखते हुए वापस लिया जाए।
कहा- गांव की रुक जाएगी विकास यात्रा
सरकार इस फैसले से सभी पंचायतों को नुकसान होगा। ग्रामीणों को कई दस्तावेज, राशन कार्ड, जन्म प्रमाण-पत्र, पेंशन, रिहायशी प्रमाण-पत्र व अन्य जरूरी दस्तावेज सरपंच से व अन्य पंचायत सदस्यों से मुहर लगवाकर सत्यापित करवाने होते हैं, जोकि बीडीपीओ एक समय में नहीं कर पाएंगे। गांवों के सभी विकास कार्य रुक जाएंगे। गांव की विकास यात्रा रुक जाएगी।