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वीवो ही होगी IPL 2021 की स्पॉन्सर:टाइटल राइट्स ट्रांसफर करने में विफल रही चीनी कंपनी

वीवो ही होगी IPL 2021 की स्पॉन्सर:टाइटल राइट्स ट्रांसफर करने में विफल रही चीनी कंपनी, उम्मीद के मुताबिक ऑफर नहीं मिलाIPL टाइटल स्पॉन्सरशिप के लिए 440 करोड़ रुपए देती है वीवो
चीन से सीमा विवाद के बाद पिछले साल वीवो को हटा दिया था
चीन और भारत में तनाव के बीच चीन की मोबाइल फोन निर्माता कंपनी वीवो (Vivo) एक बार फिर इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) के 2021 सीजन की टाइटल स्पॉन्सर बनेगी। इसका कारण यह है कि चीनी कंपनी टाइटल राइट्स ट्रांसफर करने में विफल रही है। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, वीवो को उम्मीद के मुताबिक ऑफर नहीं मिला है।

BCCI को हर साल 440 करोड़ रुपए देती है वीवो

चीनी कंपनी वीवो IPL की टाइटल स्पॉन्सरशिप के लिए BCCI को हर साल 440 करोड़ रुपए देती है। पिछले साल लद्दाख की गलवान घाटी में चीन के साथ सीमा विवाद के बाद BCCI ने वीवो को टाइटल स्पॉन्सरशिप से हटा दिया था। BCCI से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, टाइटल राइट्स के लिए ड्रीम-11 और अनएकेडमी की ओर से दिया गया ऑफर वीवो की उम्मीदों के मुताबिक नहीं रहा है। इस कारण कंपनी ने खुद ही टाइटल स्पॉन्सर बनने का फैसला किया है। अब कंपनी अगले साल टाइटल राइट्स के लिए दोबारा ऑफर मंगाएगी।

पिछले साल ड्रीम-11 थी IPL की टाइटल स्पॉन्सर

IPL 2020 के सीजन में फैंटेसी गेमिंग फर्म ड्रीम-11 टाइटल स्पॉन्सर रही थी। इसके लिए ड्रीम-11 ने BCCI को 222 करोड़ रुपए दिए थे। यह कॉन्ट्रैक्ट 18 अगस्त से 31 दिसंबर 2020 तक के लिए था। यह राशि वीवो के सालाना भुगतान की करीब आधी थी।

2022 तक आईपीएल की टाइटल स्पॉन्सर है वीवो

वीवो का आईपीएल टाइटल स्पॉन्सरशिप के लिए 2190 करोड़ रुपए के साथ 5 साल के लिए कॉन्ट्रैक्ट हुआ था। कंपनी सालाना 440 करोड़ रुपए देती थी। यह कॉन्ट्रैक्ट 2018 से 2022 तक का था। बीसीसीआई सूत्रों की मानें तो वीवो के साथ एक साल के लिए कॉन्ट्रैक्ट खत्म किया था। यह 2021 से 2023 तक के लिए बढ़ाया जा सकता है।

सेंट्रल और टाइटल स्पॉन्सरशिप में अंतर

आईपीएल के सेंट्रल स्पॉन्सरशिप में देसी कंपनियों का ही बोलबाला है। सेंट्रल और टाइटल स्पॉन्सरशिप दोनों के अधिकार अलग-अलग हैं। आईपीएल में सेंट्रल स्पॉन्सरशिप के तहत जर्सी के अधिकार नहीं आते हैं। यानी जर्सी पर छपे लोगो पर केवल टाइटल स्पॉन्सरशिप का ही अधिकार होता है। साथ ही कंपनी को अपने ब्रांडिंग के लिए मैच के बाद का प्रजेंटेशन एरिया, डग आउट में बैकड्रॉप और बाउंड्री रोप जैसे बढ़िया स्पेस मिलते हैं। टाइटल स्पॉन्सरशिप के लिए सेंट्रल कॉन्ट्रैक्ट से ज्यादा पैसा देना होता है।

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