राहुल ने जीता स्टूडेंट्स का दिल:छात्रा के सर कहने पर कांग्रेस नेता बोले- मेरा नाम सर नहीं है,
February 19, 2021
नासा का मंगल मिशन कामयाब:पर्सीवरेंस रोवर मार्स के जजीरो क्रेटर पर उतरा,
February 19, 2021

हमें गर्व है:नासा के मिशन मार्स को भारतीय मूल की डॉक्टर स्वाति ने कामयाब बनाया,

हमें गर्व है:नासा के मिशन मार्स को भारतीय मूल की डॉक्टर स्वाति ने कामयाब बनाया, लैंडिंग और ऑल्टिट्यूड कंट्रोल का जिम्मा संभाला203 दिन का बेहद चैलेंजिंग मिशन। इस दौरान 6 पहियों वाले रोबोट ने सात महीने में 47 करोड़ किलोमीटर का सफर पूरा किया। सांसें रोक देने वाला पल तब आया जब नासा (NASA) का पर्सीवरेंस रोवर (Perseverance Rover) मार्स की सतह पर उतरने वाला था। आखिरी सात मिनट में रफ्तार 0 पर लानी थी। फिर सेफ लैंडिंग जरूरी थी। बहरहाल, यह सब पूरी कामयाबी से हुआ। और अब इसका श्रेय भारतीय मूल की अमेरिकी साइंटिस्ट डॉक्टर स्वाति मोहन को दिया जा रहा है।

जड़ों से कितनी भारतीय हैं स्वाति इसका अंदाजा इसी बात से लगाइए कि लैंडिंग के बाद जब वे NASA TV से बात कर रहीं थीं तब उनके माथे पर बिंदी चमक रही थी।सबसे बड़ी जिम्मेदारी स्वाति के पास ही थी
‘द साइंस’ के मुताबिक, मार्स के करीब पहुंचना शायद कुछ आसान हो, लेकिन सबसे मुश्किल होता है यहां रोवर को लैंड कराना। ज्यादातर मिशन इसी स्टेज पर दम तोड़ देते हैं। पर्सीवरेंस रोवर आखिरी 7 मिनट में 12 हजार मील प्रतिघंटे की रफ्तार से 0 की गति तक पहुंचा। इसके बाद लैंडिंग की। इस ऊंचाई, इस रफ्तार को शून्य पर लाना और फिर हौले से लैंड कराना किसी चमत्कार से कम नहीं था। डॉक्टर स्वाति मोहन और उनकी टीम ने यह कर दिखाया और दुनिया आज उन पर गर्व कर रही है।

‘टचडाउन कन्फर्म्ड’
स्वाति इंजीनियर हैं। जैसे ही पर्सीवरेंस रोवर की लैंडिंग हुई, इसके कॉप्टर ने विंग्स खोले। स्वाति और नासा की टीम खुशी से झूम उठी। दुनिया को एक मैसेज मिला- Touchdown confirmed. यानी लैंडिंग कामयाब रही। दुनिया इन्ही शब्दों को सुनने के लिए बेसब्र थी।कौन हैं डॉक्टर स्वाति मोहन
स्वाति जब सिर्फ एक साल की थीं तब पेरेंट्स के साथ अमेरिका शिफ्ट हो गईं। उनके जीवन का ज्यादातर हिस्सा नॉदर्न वर्जीनिया में बीता है। 9 साल की थीं तब पहली स्टार ट्रैक सीरीज देखी। तभी तय कर लिया कि सितारों की दुनिया में कुछ नया करेंगी। इस जहां से दूर किसी नए आसमानी ठिकाने की खोज करेंगी। हालांकि, 16 साल की उम्र तक एक ख्वाब बच्चों के डॉक्टर बनने का भी था।

फिर गुजरते वक्त के साथ तय कर लिया कि इंजीनियरिंग और स्पेस एक्सप्लोरेशन में ही कॅरियर बनाना है। कॉर्नेल यूनिवर्सिटी से मैकेनिकल और एयरोस्पेस में इंजीनियरिंग की और फिर PhD।

नासा में लंबे वक्त से काम कर रही हैं
मिशन मार्स और खास तौर पर पर्सीवरेंस रोवर से स्वाति शुरू से ही जुड़ी रहीं। पासाडेना में नासा की जेट प्रोपल्शन यूनिट में उन्होंने काफी वक्त बिताया। इस दौरान कई स्पेस मिशन और एडवांस्ड टेक्नोलॉजी पर रिसर्च किया। शनि यानी सैटर्न से जुड़े मिशन में भी उन्हें अहम जिम्मेदारी दी गई है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Updates COVID-19 CASES