जापान की छात्रा को मिला न्याय:बाल काले नहीं होने पर छात्रा को न आने को कहा, कोर्ट का फैसला- स्कूल ये कहना गैरकानूनी हैकोर्ट ने पीड़ित छात्रा को 2.27 लाख रुपए हर्जाना चुकाने का आदेश दिया है।
जापान के ओसाका में स्कूल की मनमानी के खिलाफ छात्रा ने ली थी कोर्ट की शरण
जापान के लोगों को दुनिया में सबसे अधिक अनुशासनप्रिय माना जाता है। नियम-कायदों का पक्का माना जाता है। लेकिन यही नियम-कायदे वहां एक स्कूल को भारी पड़ गए। इस स्कूल ने भूरे बालों वाली लड़की को सख्त हिदायत दी थी। कहा था, ‘अगर तुमने बाल काले नहीं कराए, तो स्कूल आने की जरूरत नहीं’। इस हिदायत के बाद लड़की ने स्कूल आना छोड़ दिया। वह कोर्ट चली गई।
किस्सा ओसाका प्रांत के हैबीकिनो प्रांत का है। यहां कैफुकन प्रांतीय हाई स्कूल में 2015 में एक लड़की पढ़ती थी। उस वक्त उसकी उम्र 15 साल थी। उसके बाल प्राकृतिक रूप से भूरे थे। लेकिन स्कूल प्रशासन को लगा कि उसने अपने बालों में भूरा रंग करवाया है। लिहाजा, उसने बच्ची को चेतावनी दी क्योंकि नियम के मुताबिक सभी बच्चों के बाल ‘प्राकृतिक’ काले होने चाहिए। इसलिए क्योंकि जापानियों के बाल प्राकृतिक रूप से काले ही होते हैं।
इसी आधार पर स्कूल प्रशासन ने बच्ची के बालों जांच कराई। उसकी जड़ों को भी काला पाया। फिर यह निष्कर्ष निकाल लिया कि उसने बालों को भूरा रंगवाया है। इसके बाद उसे हिदायत दी गई। स्कूल ट्रिप पर भी जाने की इजाजत नहीं दी गई। रोज की हिदायतों से तंग आकर स्कूल आना छोड़ दिया।
स्कूल ने उसका नाम काट दिया। इसके खिलाफ लड़की ने 2017 में अदालत में अर्जी लगा दी। मुकदमा का फैसला आने में 4 साल लग गए। लड़की अब 21 साल की हो गई है। अदालत ने राहत देते हुए आदेश दिया कि लड़की को हर्जाने के तौर पर 3,30,000 येन (करीब 2.27 लाख रु.) का भुगतान किया जाए। उसे स्कूल से निकालना गलत था।
जापान में स्कूली छात्रों को बालों पर डाई कराना मना है
जापान के स्कूलों में नियमों के तहत छात्रों को बालों पर कलर कराना, उन पर ब्लीच का इस्तेमाल करना मना है। स्कूल की ओर से कहा गया है कि उप-प्राचार्य ने इस लड़की के परिवार के बालों की जड़ों के बारे में ‘सर्वेइंग सेशन’ में जानकारी ली थी। कोर्ट ने यह भी माना कि स्कूल ने नियमों का पालन कराने की कोशिश की, पर उससे छात्रा को तनाव हुआ।