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शिवसेना का चीन के बहाने केंद्र पर निशाना:सामना में पूछा- अगर कोई सेना हमारे इलाके में घुसी ही नहीं थी

शिवसेना का चीन के बहाने केंद्र पर निशाना:सामना में पूछा- अगर कोई सेना हमारे इलाके में घुसी ही नहीं थी, तो फिर वापस कैसे जा रही है?लद्दाख सीमा विवाद के बहाने शिवसेना ने मोदी सरकार पर फिर से निशाना साधा है। शिवसेना ने गुरुवार को पार्टी के मुखपत्र सामना के संपादकीय में लिखा कि अगर कोई सेना हमारे इलाके में घुसी ही नहीं थी, तो फिर वापस कैसे जा रही है? संसद में रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने दावा किया था कि भारत और चीन के बीच लद्दाख सीमा पर जारी विवाद अब सुलझ गया है। जिसके बाद चीन की सेना ने LAC से पीछे हटना भी शुरू कर दिया है, जिसकी तस्वीरें भी सेना की ओर से जारी की गई है।

सामना में शिवसेना की 5 दलीलें

हिंदुस्तान की सीमा में घुसी चीन की सेना वापस लौट रही है और इस घटना का राजनीतिक उत्सव शुरू हो गया है। चीनी सेना ने हमारी जमीन पर लगभग 20 किलोमीटर तक घुसपैठ की थी। उस संघर्ष के दौरान गलवान घाटी में हमारे 20 जवान शहीद हो गए थे। सैनिकों के बलिदान पर विरोधियों ने सरकार से सवाल करके उनको घेरा। उस दौरान प्रधानमंत्री समेत भाजपा के कई नेता और मंत्री कई विषयों पर बोलते रहे, लेकिन जब उनसे चीन की घुसपैठ के मामले में सवाल किया जाता तो वे पलायन कर गए।
चार दिन पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने संसद में जानकारी दी कि चीन से समझौता हो गया है। प्रधानमंत्री दो महीने पहले कह रहे थे कि चीन ने हमारी सीमा में घुसपैठ नहीं की है। अब कह रहे हैं कि चीन ने हमारी जमीन से कब्जा छोड़ दिया। मतलब चीन ने घुसपैठ की ये बात सच थी और प्रधानमंत्री देश से झूठ बोल रहे थे। अब इस मामले का जो राजनीतिक विजयोत्सव शुरू है, यह मजेदार है, बड़े शौर्य का प्रचार और प्रचार मुहिम चलाई जा रही है।
प्रधानमंत्री के मुताबिक जो सेना हमारी सीमा में कभी घुसी ही नहीं थी, वह सेना कैसे वापस लौट रही है। पैंगॉन्ग’ से सटे चीनी निर्माण कार्य कैसे ध्वस्त किए जा रहे हैं, इसकी तस्वीरें प्रकाशित की जा रही हैं। पैंगॉन्ग परिसर में चीनियों द्वारा बनाए तंबू निकाले जाने की तस्वीरें फैलाई जा रही हैं। चीन लौट रहा है, ये खुशी की बात है, यह हिंदुस्तानी रक्षा विभाग की सजगता की जीत है, ये बात स्वीकार है। लेकिन चीन घुसपैठ मामले में देश के सत्ताधीश लगातार झूठ क्यों बोलते रहे, यह सवाल अनुत्तरित है।
संसद में राजनाथ सिंह ने जब चीन के लौटने की बात कही, तब दलीय मतभेद भूलकर सभी ने मेज थपथपा कर रक्षा मंत्री का अभिनंदन किया। लेकिन विरोधी पक्ष को सरकार से कुछ सवाल करने थे, जो कि पूछने नहीं दिए गए। विपक्ष अगर सवाल पूछ लेता तो कौन-सा आसमान टूट पड़ता। राष्ट्रीय सुरक्षा का अत्यंत संवेदनशील मामला होने की बात कहकर संसद का मुंह बंद कर दिया गया।
सवाल सिर्फ इतना है कि चीन की सेना हमारी सीमा में इंच भर भी नहीं घुसी, विपक्ष भ्रम और अफवाह फैला रहा है, पिछले एक साल से सरकार की ओर से हर स्तर पर जो ऐसा कहा जा रहा है, वह सब लफ्फाजी थी, ये अब स्पष्ट हो चुका है। चीनी सेना के लौटने का उत्सव सरकार ने ही शुरू किया। अगर कोई इसे विजय का उत्सव कह रहा होगा तो उसके दिमाग की जांच होनी चाहिए। राष्ट्रीय सुरक्षा के संदर्भ में ऐसा फंसना-फंसाना शुरू होगा तो क्या करें?

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