राम मंदिर ट्रस्ट के महासचिव बोले- लाखों कार्यकर्ता समर्पण निधि जुटा रहे, 10-15 लोगों की गड़बड़ समुद्र में एक बूंद के बराबरचंपत राय ने कहा- हमने UPI और बारकोड से समर्पण निधि लेना बंद किया, यह भरोसेमंद नहीं
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए समर्पण निधि जुटाने का काम पूरे जोरों से जारी है। इस प्रक्रिया से जुड़े दैनिक भास्कर के सवालों पर श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बेबाक जवाब दिए। उनसे बातचीत के मुख्य अंश…
राम मंदिर के लिए अब तक कितनी राशि आ चुकी है?
कल्पना से कहीं ज्यादा। जहां से 10 रुपए की अपेक्षा थी, वहां से 100 रुपए, जहां 100 रुपए की अपेक्षा थी, वहां हजार रुपए मिल रहे हैं। बैंक में जमा चेक क्लियर होने में ही 8-10 दिन लग रहे हैं। कुल राशि का जो भी आंकड़ा सामने आ रहा है, वह सब एक अनुमान है। अंतिम आंकड़ा 27 फरवरी को अभियान समाप्त होने के बाद मालूम होगा। ट्रस्ट के कोषाध्यक्ष गोविंद देव गिरी ने अब तक जमा राशि 1500 करोड़ रुपए बताई है। मुझे लगता है कि यह अब तक का सही आंकड़ा है।
कुछ लोगों ने ट्रस्ट जैसी ही रसीदें छपवा लीं, मिलते-जुलते नाम से वेबसाइट बना ली, अकाउंट खोल लिए हैं?
ये बात बिल्कुल सही है। अयोध्या में मैंने खुद पिछली मई से अब तक 4-5 FIR दर्ज कराई हैं। अभी 30 जनवरी को ट्रस्ट के नाम से एक अक्षर हटाकर फर्जी वेबसाइट बना लेने की FIR दर्ज करवाई। कुल मिलाकर अब तक 8-10 FIR दर्ज करवाई गई हैं। कुछ कार्यकर्ताओं ने स्थानीय स्तर पर भी पुलिस में शिकायतें दी हैं। अब जहां 8-10 लाख कार्यकर्ता घूम-घूमकर समर्पण निधि मांग रहे हैं, वहां 10-15 लोगों ने गड़बड़ कर भी ली तो वह समुद्र में एक बूंद के बराबर भी नहीं है। मैं इसे गंभीरता से नहीं लेता। क्योंकि, देश तो गंभीर है और फिर भी घोटाले तो हो ही रहे हैं। क्या किसी को पकड़ा जा पा रहा है?
समर्पण निधि के लिए UPI व बारकोड भी बने थे लेकिन उसके भी फर्जी एकाउंट बन गए, इस पर नियंत्रण का तरीका?
हमने UPI और बारकोड के जरिए समर्पण निधि लेना बंद कर दिया है, क्योंकि यह बिल्कुल विश्वसनीय नहीं है। तकनीकी लोगों ने बता दिया है कि इसमें गड़बड़ की जा सकती है। ट्रस्ट के केवल तीन अकाउंट हैं, जो SBI, पंजाब नेशनल बैंक और बैंक ऑफ बड़ौदा में हैं। हमें खुद बैंकों ने बताया कि UPI और बारकोड में तो कोई भी घपला कर सकता है।
सरकार UPI और बारकोड को सबसे सुरक्षित बताती है?
सरकार ने कोई ऐसी व्यवस्था की होगी, जिसमें गड़बड़ नहीं हो सकती हो। हमारे बैंकवाले कहते हैं कि UPI और बारकोड में गड़बड़ हो सकती है।
फिर लोग असल-नकल में कैसे अंतर करें व असली कूपन की पहचान कैसे हो?
मुझे रोजाना दो-चार फोन ऐसे जरूर आते हैं कि ये कैसे मानें कि ये कूपन वाजिब हैं। अब बताइए आप फोन पर बात कर रहे हैं, देख नहीं सकते। तो फिर इस बात की ही क्या गारंटी है कि मैं ही वाजिब हूं। दरअसल, अविश्वास या संदेह को मिटाने का कोई तरीका नहीं है। यदि मैं कोई तरीका निकाल भी दूंगा तो जिन्हें फर्जीवाड़ा ही करना है, वे चार काउंटर तरीके खोज आएंगे। इसलिए पहले हमारी वेबसाइट से कूपन/रसीद के बारे में तसल्ली कर लें, अकाउंट की जांच कर लें, संदेह का निवारण हो तो ही निधि समर्पित करें अन्यथा रहने दें।
क्या राशि का कोई लक्ष्य रखा गया है?
कोई लक्ष्य नहीं रखा, सोचा तक नहीं। इतना ही सोचा था कि देश की आधी आबादी तक, यानी 65 करोड़ लोगों तक जाना है, यानी औसतन 13 करोड़ घरों का दरवाजा खटखटाना है। लोग 100 रुपए तो दे ही देते हैं सो मोटेतौर पर आप अनुमान लगा सकते हैं कि 1300 करोड़ रुपए तो जमा होंगे ही। 10, 100 और एक हजार रुपए वाले कूपन करीब 19 करोड़ छपवाए गए हैं। अब जितने कूपन इस्तेमाल होंगे तो उसी से हमें अंदाजा होगा कि हम कितनी आबादी तक पहुंच पाए।
जो राशि जमा हो रही है, उसका इस्तेमाल कब से शुरू होगा या अभी इस्तेमाल हो रहा है?
उसका इस्तेमाल तो पहले दिन से ही हो रहा है। जब अभियान शुरू नहीं हुआ था, उससे पहले भी ट्रस्ट के अकाउंट में राशि आ रही थी और 27 फरवरी को अभियान बंद होने के बाद भी आती रहेगी। L&T वहां कई महीनों से काम कर रहा है, प्रधानमंत्री भूमिपूजन कार्यक्रम के लिए अयोध्या आए थे, या निधि समर्पण के लिए कूपन छपवाए गए, यह सब मंदिर निर्माण का ही तो काम है।
मध्य प्रदेश में कांग्रेस राम मंदिर ट्रस्ट का नंबर बांट सीधे अकाउंट में चंदा देने की अपील कर रही है, राजस्थान में NSUI ‘एक रुपया राम के नाम’ का अभियान चला रही है। आप इस पर क्या कहेंगे?
यह बहुत खुशी की बात है, कोई हमारा ट्रेडमार्क नहीं है कि हमीं को निधि समर्पण की राशि जमा करनी है। अब जो लोग ऑनलाइन अपनी निधि समर्पित कर रहे हैं, उनके पास हमारा कोई कार्यकर्ता थोड़े ही गया है।
मंदिर निर्माण की क्या प्रगति है, निर्माण कब तक पूरा जाएगा?
मकर संक्रांति से निर्माण शुरू हो गया है। नींव डालने के लिए मिट्टी हटाने का काम शुरू हो गया है, बड़े हिस्से से मलबा हटाया जा चुका है। 2024 के आखिर तक या 2025 में रामलला के नए मंदिर में दर्शन होंगे।
कर्नाटक के पूर्व मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी ने कहा है कि चंदा जमा करने में नाजी जर्मनी जैसा व्यवहार हो रहा है। चंदा न देने वालों के नाम नोट किए जा रहे हैं, घरों को मार्क कर रहे हैं…
नाजी और जर्मनी हम बचपन से सुन रहे हैं, वे बहुत देर से बोल रहे हैं। और, यदि कार्यकर्ताओं ने कहीं मार्क किया है तो उसे कागज या गीले कपड़े से साफ कर आएं। ये बहुत ही घटिया और निरर्थक किस्म की बातें हैं। छोटे मन-मस्तिष्क के लोग ही ऐसी बातें कर सकते हैं।
कर्नाटक के ही एक और पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने कहा है कि उनके लिए अयोध्या में बन रहा राम मंदिर अभी भी विवादित ही है इसलिए उसके लिए चंदा नहीं देंगे, इस पर क्या प्रतिक्रिया है?
आप अपने गांव के लिए दें, जहां आपकी श्रद्धा है वहां दें, नहीं भी देना है तो आपसे नाराज कौन है। ये सब उनका पब्लिसिटी स्टंट है ताकि उनके नाम की चर्चा हो।