जैक मा के गायब होने की कहानी:उनकी कंपनी के कई हिस्सेदार सत्ता के करीबी थे, उनके मजबूत होने से जिनपिंग को खुद के कमजोर होने का डर थाचीनी कारोबारी जैक मा की कंपनी एंट का आईपीओ रोके जाने की बड़ी वजह सामने आई
एंट का 2.51 लाख करोड़ रु. का आईपीओ को रोक दिया गया था
चीन ने पिछले साल कभी चीन के सबसे अमीर व्यक्ति रहे एंट समूह के आईपीओ पर रोक लगा दी थी। तब कयास लगाए जा रहे थे कि जैक मा ने चीन सरकार की आर्थिक नीतियों और बैंकिंग नीतियों की आलाेचना की थी। लिहाजा चीन सरकार ने एंट का 2.51 लाख करोड़ रुपए का आईपीओ को रोक दिया था।
वॉल स्ट्रीट जरनल ने बुधवार को खुलासा किया है कि एंट समूह के जटिल मालिकाना ढांचे से चीन सरकार खासी चिंतित थी। इस आईपीओ से जिन लोगों को फायदा होने वाला था, उन्हें लेकर भी सरकार के मन में शंका थी। इस कंपनी में कई ऐसे लोगों का निवेश है, जो चीन की सत्ता के नजदीक है। इसमें कई लोगों के संबंध राजनीतिक परिवारों से हैं, जो राष्ट्रपति शी जिनपिंग और उनके करीबी लोगों के लिए चुनौती पैदा कर सकते हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, एंट समूह में ऐसे कई राजनेताओं, अफसरों की हिस्सेदारी थी, जो कहीं न कहीं सरकार को प्रभावित करते थे। शी जिनपिंग इसलिए भी चिंतित थे कि एंट समूह देश के वित्तीय तंत्र के लिए जोखिम खड़ा कर रहा था। दर्जनभर से अधिक सरकारी अफसरों और सलाहकारों के हवाले से वॉल स्ट्रीट जरनल ने बताया है कि आईपीओ खुलने से पहले सरकार ने कंपनी की जांच करवाई थी।
इससे जुड़े लोग राष्ट्रपति शी जिनपिंग और उनके आंतरिक घेरे के लिए चुनौती खड़ी कर सकते थे। कंपनी के लिस्टेड होते ही जैक मा और कंपनी के टॉप मैनेजर्स की जेब में अरबों डॉलर जाने वाले थे। दरअसल, अपने 8 साल के शासन में राष्ट्रपति शी जिनपिंग अपने कई दुश्मनों को सरकार से बाहर का रास्ता दिखा चुके हैं। अब सरकार पर उनके नियंत्रण की तुलना माओ से की जाने लगी है। एंट समूह के आईपीओ की योजना एक तरह से दौलत बटोरने की थी, जिस पर जिनपिंग असहमत थे।
जिनपिंग ने जिन्हें हटाया, उनका भी एंट में हिस्सा
एंट में पूर्व नेता जियांग झेमिन के पोते जियांग झिचेंग की प्राइवेट फर्म बोयो कैपिटल की हिस्सेदारी थी। जियांग के कई सहयोगी जिनपिंग के भ्रष्टाचार विराेधी अभियान में हटा दिए गए थे, लेकिन वे अब भी पर्दे के पीछे से ताकतवर बने हुए हैं। इसी तरह पोलित ब्यूरो स्टैंडिंग कमेटी के पूर्व सदस्य जिया क्विगलिंन के दामाद का समूह शंघाई फेक्शन भी इसमें हिस्सेदार था।