3 नवंबर को हुई थी चौथी हाउस मीटिंग:पार्षद बोले-50 लाख के काम डेढ़ साल में हुए, मीटिंग बिना नए काम मंजूर नहीं, पुरानों पर जवाबदेही नहींहाउस मीटिंग को हुए 105 दिन, अगली का नहीं कोई प्लान
नगर निगम की चौथी हाउस मीटिंग 3 नवंबर को हुई। हालांकि 30 दिसंबर को तीनों मीटिंगों पर समीक्षा बैठक जरूर हुई, किंतु उसमें पार्षद अपने वार्डों के प्रस्ताव पास नहीं करवा पाए। तब मंजूर प्रस्तावों पर ही चर्चा हो पाई।
पिछली हाउस मीटिंग को हुए 105 दिन हो गए, पर पांचवीं हाउस मीटिंग कराने की प्लानिंग नहीं है। इससे पार्षद चाहकर भी वार्डों में काम नहीं करवा पा रहे। विपक्ष के पार्षदों का आरोप है कि उनसे भेदभाव कर सत्तापक्ष के पार्षदों के वार्डों में बिना हाउस मीटिंग काम मंजूर कर टेंडर व वर्क अलॉट हो रहे हैं। जबकि सत्तापक्ष से भी कई पार्षद काम न होने का दुखड़ा रो रहे हैं।
दोनों ओर से लगाए जा रहे आरोप एक-से हैं, जिसके मुताबिक उनके वार्डों में पहली मीटिंग में मिले 50 लाख के काम डेढ़ साल में हुए वहीं, दूसरे कामों में उन्हें फंड की कमी बताकर मनमर्जी से टेंडर लग रहे हैं। वहीं, 3 नवंबर की मीटिंग में मेयर के आश्वासन पर न 50-50 एलईडी और न 30 दिसंबर की मीटिंग के वादेअनुसार लैपटॉप मिले।
बता दें कि निगम चुनाव 16 दिसंबर 2018 को हुए। 20 दिसंबर मतगणना के बाद मेयर व 22 वार्ड पार्षद चुने गए। 7 जनवरी 2019 को शपथ ग्रहण के 163 दिन बाद 20 जून को पहली हाउस मीटिंग हुई। 82 दिन बाद 10 सितंबर को दूसरी व 98 दिन बाद 7 जनवरी को तीसरी हाउस मीटिंग हुई। फिर 9 माह बाद 3 नवंबर को चौथी मीटिंग हुई। इसके बाद अब 105 दिन हो चुके हैं, लेकिन हाउस मीटिंग बुलाने का प्लान नहीं है।
हर डेढ़ माह में हो मीटिंग
वार्ड-1 से भाजपा पार्षद संजय राणा ने कहा कि 2 साल में हाउस मीटिंग बुलाने को लेकर कोई समय तय नहीं हो पाया। हर मीटिंग में एक-डेढ़ माह में मीटिंग जरूर बुलाने की मांग रखते हैं। मीटिंग में पार्षद न सिर्फ अपने वार्ड के नए काम मंजूर करवा सकते हैं बल्कि पुराने मंजूर काम न होने पर अफसरों से सवाल कर सकते हैं, पर ऐसा नहीं हो पा रहा। वार्ड के लोग काम न होने पर पार्षद को कौस रहे हैं।
पार्षद की ओर से मंत्री के नाम पत्र भेजने का मामला संज्ञान में नहीं है। हाउस मीटिंग बुलाने को लेकर जल्द बताया जाएगा।
सेक्टर-17 में वीआईपी रहते हैं, पर टूटी हैं सड़कें व ड्रेनेज सिस्टम फेल
वार्ड-7 से भाजपा पार्षद रामआसारा भारद्वाज ने कहा कि सेक्टर-17 में वीआईपी भी रहते हैं। निगम के अधिकारियों से लेकर जज व कई विभागों के अधिकारी भी, तब भी सड़कें टूटी हैं और ड्रेनेज सिस्टम फेल है। ड्रेनेज सिस्टम के लिए 49 लाख का वर्क अलॉट है, कई माह से काम नहीं हुआ। सड़कों के लिए फंड को रोना है। मजबूर होकर शिकायत निकायमंत्री विज को भेजी है।
वार्ड-13 से कांग्रेस के पार्षद निर्मल चौहान व वार्ड-4 के देवेंद्र सिंह ने कहा कि नई मीटिंग में नए काम तो दूर अभी पुरानी मीटिंगों के मंजूर कामों पर काम नहीं हो पाया है। दो साल में पार्षदों को वार्ड में कामों के लिए 50 लाख ही मिले, उन्हें कामों पर खर्चने में भी अफसरों ने डेढ़ साल लगा दिए। पार्षदों को लैपटॉप व उनके वार्डों को 50-50 एलईडी, रिपेयर वर्क के लिए 15-15 लाख रुपए देने की बातें कोरी साबित हुईं।