सच से परहेज:म्यांमार आर्मी ने कहा- हमने कोई तख्तापलट नहीं किया; चीन की सफाई- म्यांमार मिलिट्री को मदद नहीं दीम्यांमार में सैन्य तख्तापलट हुए 17 दिन हो चुके हैं, लेकिन यहां मिलिट्री यह मानने ही तैयार नहीं है कि उसने एक लोकतांत्रिक सरकार को हटाकर खुद सत्ता अपने हाथ में ले ली है। म्यांमार सेना (जुंटा) के प्रवक्ता ने मंगलवार शाम मीडिया से कहा- हमने न तो तख्तापलट किया है और किसी नेता को गिरफ्तार किया गया है। कुछ लोग देश में हिंसा और अफवाहें फैलाने की साजिश रच रहे हैं। दूसरी तरफ, चीन ने भी इन आरोपों को खारिज कर दिया है कि उसने तख्तापलट में म्यांमार आर्मी को मदद दी।
सेना ने कहा- चुनाव जरूर कराएंगे
म्यांमार की सेना के प्रवक्ता ब्रिगेडियर जनरल जे मिन तुन ने तख्तापलट के बाद मंगलवार को पहली बार प्रेस कॉन्फ्रेंस की। कहा- हमारी कोशिश यह है कि देश में जल्द से जल्द नए चुनाव कराए जाएं और जो पार्टी जीते उसे सत्ता सौंप दें। कई बार पूछे जाने के बावजूद मिन ने यह नहीं बताया कि नए चुनाव कब कराए जाएंगे। इतना जरूर कहा कि एक साल के पहले इमरजेंसी नहीं हटाई जाएगी। साथ ही यह भी साफ कर दिया कि सेना ज्यादा वक्त तक सत्ता में नहीं रहना चाहती।
मिन ने कहा- हम यह गारंटी देते हैं कि चुनाव कराए जाएंगे। सेना ने कुछ देर के लिए इंटरनेट खोला और इस प्रेस कॉन्फ्रेंस को लाइव स्ट्रीम किया गया।
हिरासत में नहीं हैं आंग सान सू की
एक सवाल के जवाब में मिन ने इस बात को सिरे से खारिज कर दिया कि किसी पार्टी के नेता को हिरासत में लिया गया है। उन्होंने कहा- सभी नेता अपने घरों में हैं। उनकी सुरक्षा जरूर बढ़ाई गई है। हम यह भी साफ कर देना चाहते हैं कि म्यांमार की विदेश नीति में किसी तरह का बदलाव नहीं किया गया है।
बहरहाल, सेना भले ही कुछ भी कह रही हो, लेकिन देश के लोग उसकी बातों पर भरोसा करने तैयार नहीं हैं। यहां लगातार विरोध प्रदर्शन जारी हैं। दुनिया को डर इस बात का है कि इंटरनेट बंद होने की वजह से लोगों पर सेना के जुल्म बढ़ जाएंगे और इसकी हकीकत बहुत मुश्किल से सामने आ पाएगी।
चीन की सफाई
चीन पर आरोप लग रहे हैं कि उसने अपने फायदे के लिए म्यांमार की सेना को मदद दी और वहां तख्तापलट कराया। लेकिन, बीजिंग ने इन आरोपों को खारिज कर दिया। चीनी विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा- हम वहां के हालात पर नजर रख रहे हैं। हमने वहां की सेना को किसी तरह की मदद नहीं दी। कुछ लोग चीन की छवि खराब करने की कोशिश कर रहे हैं। वहां राजनीतिक और सामाजिक स्थिरता लाने में मदद करेंगे।
चीन की दिक्कत अब म्यांमार में भी बढ़ रही है। यहां बौद्ध भिक्षु भी तख्तापलट के विरोध में सड़कों पर उतर आए हैं और चीन विरोधी नारे लगा रहे हैं।