टूलकिट मामले में आरोपियों को राहत:एक्टिविस्ट दिशा रवि को परिजन से मिलने की अनुमति मिली, शांतनु मुलुक को 10 दिन की अंतरिम जमानतशांतनु ने कहा- ये केस असंतोष दबाने के लिए है, हाईकोर्ट ने दी जमानत
निकिता ने कहा जूम मीटिंग में शामिल थी, बॉम्बे हाइकोर्ट आज जमानत पर दे सकता है फैसला
बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद पीठ ने एक्टिविस्ट शांतनु मुलुक को 10 दिन की अंतरिम जमानत दे दी। आरोप है शांतनु ने भी दिशा रवि और निकिता जेकब के साथ मिलकर टूलकिट बनाई। शांतनु की ओर से कहा गया कि कार्रवाई प्रतिशोध के चलते हो रही है। वहीं, दिल्ली की एक कोर्ट ने एक्टिविस्ट दिशा को गर्म कपड़े, मास्क और किताबें लेने की इजाजत दे दी है। साथ ही दिशा को परिजन से बात करने की अनुमति भी दी गई है।
दिशा एफआईआर और गिरफ्तारी से जुड़े दूसरे दस्तावेज की कॉपी भी देख सकेंगी। दिल्ली महिला आयोग ने दिशा की गिरफ्तारी पर पुलिस को नोटिस दिया है। वहीं, सिद्धू की रिमांड कोर्ट ने सात दिन के लिए बढ़ा दी है। दिल्ली पुलिस के अनुसार ग्रेटा थनबर्ग को एक्टिविस्ट दिशा ने वॉट्सएप मैसेज कर कहा- टूलकिट शेयर न करें, इसमें सभी के नाम हैं।
हम पर यूएपीए केस लग सकता है। पुलिस का दावा है कि 6 दिसंबर को एक वॉट्सएप ग्रुप बनाया गया, इसमें 10 मेंबर्स जुड़े थे। बाद में दिशा ने अपने फोन से सभी के नंबर डिलीट कर दिए। मुंबई की निकिता भी मामले में आरोपी हैं। उन्होंने कहा कि वे जूम मीटिंग में शामिल थीं। पुलिस ने जूम एप से इसकी जानकारी मांगी है। निकिता ने बॉम्बे हाईकोर्ट में जमानत अर्जी दी है, इस पर फैसला बुधवार को होगा। केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा, ‘देशविरोधी अस्थिरता फैलाना चाहते हैं। इसलिए दिल्ली उनका केंद्र बिंदु बना है।’
हमसे प्रतिशोध लिया जा रहा, ये लोकतंत्र की तबाही की टूलकिट है: शांतनु
टूलकिट मामले में आरोपी शांतनु मुलुक की जमानत याचिका पर बॉम्बे हाईकोर्ट में सुनवाई हुई। पढ़िए कोर्टरूम लाइव
मुलुक के वकील: आईपीसी की धारा 153ए (शत्रुता को बढ़ावा देना) के तहत आरोप लगाए गए हैं। असंतोष की आवाज को वश में करने के लिए कानूनी प्रावधानों का घोर दुरुपयोग हुआ है। किसानों के विरोध के संबंध में उनके या सहयोगियों के इरादों में किसी के लिए कोई द्वेषभाव नहीं था। इसलिए ट्रांजिट बेल दी जाए।
दिल्ली पुलिस: आईपीसी के तहत आरोपी को ट्रांजिट बेल नहीं दी जा सकती।
जज: आपको केवल यह सिद्ध करना है कि ट्रांजिट जमानत क्यों नहीं दे सकते।
मुलुक: हम सिर्फ अपनी आजीविका के लिए लड़ रहे किसानों का समर्थन कर रहे थे। पर हमसे प्रतिशोध लिया जा रहा है। प्रतिशोध सत्तावाद का काला चेहरा है। यह न सिर्फ लोकतंत्र की तबाही बल्कि बुनियादी मानवाधिकारों की भी की टूलकिट है। राष्ट्र-विरोधी होने का धब्बा मेरे जीवन और परिवार के लिए विनाशकारी होगा। इसके बाद कोर्ट ने जमानत दे दी। बता दें, पुलिस का आरोप है कि दिशा, निकिता और शांतनु ने दिल्ली हिंसा से 15 दिन पहले खालिस्तान समर्थकों की जूम मीटिंग में हिस्सा लिया।
टूलकिट का मकसद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किसान प्रदर्शन की तस्वीर एक जगह पेश करना था, हिंसा फैलाना नहीं
निकिता के वकील ने मुंबई के पुलिस के सामने इस मामले से जुड़े कुछ दस्तावेज पेश किए हैं। इनमें निकिता ने कहा, ‘टूलकिट एक्सटिंक्शन रिबेलियन एनजीओ (एक्सआर) के भारतीय वालंटियर्स ने बनाई थी। इसका मकसद अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किसान प्रदर्शन की पूरी तस्वीर एक जगह पेश करना था।’
निकिता ने कहा, ‘स्वीडन की क्लाइमेट एक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग के साथ मैंने कोई जानकारी शेयर नहीं की है। यह टूलकिट डॉक्यूमेंट इन्फॉर्मेशनल पैक था और इसका मकसद हिंसा भड़काना नहीं था। इसके पीछे मेरा कोई राजनीतिक, धार्मिक या आर्थिक एजेंडा भी नहीं था।’ निकिता ने याचिका में कहा है कि दर्ज एफआईआर निराधार है।
देश में दो साल में 6300 लोगों पर दर्ज हुआ राजद्रोह
सरकार के खिलाफ आवाज उठाने पर राजद्रोह कानून का इस्तेमाल बढ़ रहा है। दो साल में 6300 लोगों पर राजद्रोह का केस हुआ। गैर-कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) कानून यानी ‘यूएपीए’ और राजद्रोह के सर्वाधिक मामले 2016 से 2019 के बीच दर्ज हुए। यूएपीए के 5,922 मामले हैं। 2020 में सीएए विरोधियों पर 25, दिल्ली दंगों के बाद 26 राजद्रोह केस दर्ज हुए। इनमें करीब 3000 आरोपी हैं। राजद्रोह में गिरफ्तार सिर्फ दो फीसदी लोगों पर ही अदालत में आरोेप तय किए जा सके
राजद्रोह कानून का इस्तेमाल उपद्रव शांत करने के लिए नहीं किया जा सकता: जज
एक अन्य मामले में दिल्ली की एक स्थानीय कोर्ट ने कहा- राजद्रोह का इस्तेमाल उपद्रव शांत करने के लिए नहीं हो सकता। जज धर्मेंद्र राणा ने यह बात किसान आंदोलन से जुड़े दो आरोपियों को जमानत देते हुए कही। इन पर फेसबुक पर फर्जी वीडियो पोस्ट करने का आरोप है। आरोपी इसी माह गिरफ्तार हुए थे। कोर्ट ने कहा कि धारा 124ए (राजद्रोह) का उपयोग गंभीर बहस का मुद्दा है। उन्होंने कहा, ‘जांच अधिकारी ने खुद बताया है कि आरोपियों ने उस शेयर किए वीडियो को नहीं बनाया है।’