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अखाड़े का खूनी खेल:गोली सिर के पार होने पर भी 84 घंटे तक लड़ा अखाड़े का नन्हा सरताज

अखाड़े का खूनी खेल:गोली सिर के पार होने पर भी 84 घंटे तक लड़ा अखाड़े का नन्हा सरताजरोहतक के अखाड़ा गोलीकांड में राष्ट्रीय स्तर के पांच पहलवानों की मौत के बाद कोच दंपती के बच्चे ने भी तोड़ा दम
सिर को चीरकर आंख से निकली गोली से ब्रेन डेड हुआ तीन साल का नन्हा पहलवान सरताज 84 घंटे तक लड़ा। अंतत: मंगलवार सुबह पीजीआई में उसने अंतिम सांस ली। पहलवानी तो उसके खून में थी, इसीलिए उसका संघर्ष भी हैरान करने वाला था।

डॉक्टरों को यकीन नहीं था कि इस कदर घायल योद्धा 12 घंटे भी उम्मीद के साथ रह पाएगा, जबकि दोस्त की गोली का शिकार हुए नेशनल खिलाड़ी रहे पिता कोच मनोज और मां साक्षी ने मौके पर ही दम तोड़ दिया था। असल में कोच दंपती सरताज को इंटरनेशनल पहलवान बनाना चाहते थे। जानिए डॉक्टर और परिजनों नेे नन्हे पहलवान के बारे में जो कहा।

सरताज के हौसले में कमी न थी, उसके अंदर ऐसा कुछ था जो उसे जिंदा रखना चाहता था: डॉक्टर

सरताज के सिर के पिछले हिस्से में लगी गोली बाईं आंख के रास्ते से बाहर निकल गई थी। वह ब्रेन डेड हो चुका था। बचना मुश्किल था। फिर भी हौसले की वजह से 84 घंटे तक जीवन की डोर काे सरताज ने थामे रखा। उसके अंदर ऐसा कुछ था जो उसे जिंदा रखना चाहता था। वैसे भी शिशु रोग विभाग में सर्जिकल केस बहुत कम आते हैं।

सरताज के ब्रेन स्टेम की वजह से दिल की धड़कन चलती रही, लेकिन वह रिकवर करने की स्थिति में नहीं आ पाया। वेंटिलेटर के जरिए सांस देकर इलाज का प्रयास किया, लेकिन ब्रेन स्टेम में साइडइफेक्ट बढ़ रहा था और खून ज्यादा बह चुका था।

विशेषज्ञों की टीम लगातार निगरानी बनाए हुए थी। बच्चे का ब्लड प्रेशर लेवल भी गिरता जा रहा था। इसी के चलते सरताज की मौत हो गई। – डाॅ. कुंदन मित्तल, पीडियाट्रिक्स विभाग में पीकू इंचार्ज, पीजीआईएमएस

जिन हाथों से सरताज को अभ्यास कराता था सुखविंद्र उन्हीं से मां-बाप के शव के पास खड़ा कर मारी गोली

सरताज रोज सुबह-शाम कुश्ती कोच पिता मनोज मलिक और मां साक्षी के साथ स्टेडियम जाता था। शाम को खिलाड़ियों संग कुश्ती करता था। वह सब के साथ खुश रहता था। शाम में उसका सबसे ज्यादा समय आरोपी कोच सुखविंद्र के साथ ही गुजरता था।

सरताज को सुखविंद्र पहलवानी के गुर सिखाता था। शुक्रवार की शाम को सरताज के पिता मनोज मलिक, मां साक्षी, कोच सतीश दलाल, कोच प्रदीप फौजी और खिलाड़ी पूजा की हत्या के बाद सुखविंद्र के सिर पर खून सवार था। तभी वह आया और अखाड़े के बाहर चचेरी बहन प्रांशी के साथ खेल रहे सरताज को गोद में उठाकर ले गया था। बोला कि चलो मम्मी ऊपर बुला रही है। जिन हाथों से वह हर रोज उसे खिलाता था, उन्हीं से सरताज को रेस्ट रूम में मां-बाप के शवों के पास खड़ा कर सिर में गोली मार दी। सुखविंद्र को पुलिस तिहाड़ जेल से वारंट पर रोहतक लाई है। -जैसा सरताज के चाचा प्रमोज ने बताया

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