इंद्री में किसान महापंचायत:हरियाणा के लोग दुनिया में सबसे लड़ाकू, 20 मिनट में पलट दी थी किसान आंदोलन की बाजी : टिकैतपहली बार एक मंच पर जुटे प्रदेशभर के भाकियू नेता, संयुक्त मोर्चा तले लड़ाई लड़ने का आह्वान
26 जनवरी की घटना के बाद राजेवाल बोले थे- हरियाणा वालों के मुंडे काबू में नहीं, अब बोले- सबसे बहादुर
तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदेश भाकियू के सभी गुट भी संयुक्त किसान मोर्चा के बैनर तले लड़ाई लड़ रहे हैं। आंदोलन की शुरुआत में मोर्चा के नेता अपनी-अपनी यूनियनों और लीडरों के बैनर लगाते थे, लेकिन अब ऐसा नहीं है। इंद्री की महापंचायत में संयुक्त मोर्चा का बैनर लगाया गया। इसमें फोटो भी भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैट, बलबीर सिंह राजेवाल और गुरनाम सिंह चढ़ूनी के लगाए थे। अब किसानों का मकसद गुटबाजी को भुलाकर किसानों की लड़ाई मजबूती से लड़ना है। हर हाल में कृषि के तीनों कानूनों का वापस करवाना है।
भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा कि केंद्र सरकार रोटी को तिजोरी की वस्तु बनाना चाहती है, हमें रोटी को तिजोरी की वस्तु नहीं बनने देना है। टिकैत ने कहा कि हरियाणा के लोग सबसे ज्यादा लड़ाकू हैं। 26 जनवरी की घटना के बाद आंदोलन टूटने के कगार पर पहुंच गया था, लेकिन हरियाणा के लोगों ने 20 मिनट में बाजी पलट दी।
26 जनवरी की घटना के बाद पंजाब के किसान नेता राजेवाल ने हरियाणा के युवाओं के बारे में बयान दिया था कि हरियाणा के मुंडे बड़ों की बात नहीं मानते। अब इंद्री की पंचायत में हरियाणा की प्रशंसा की। राजेवाल ने कहा कि 26 जनवरी की घटना के बाद कुछ भी समझ में नहीं आ रहा था। हम यही सोच रहे थे कि आंदोलन टूट जाएगा। इतना बड़ा सदमा लगा कि 3 घंटे की बैठक के बाद भी हम कोई निर्णय नहीं ले पा रहे थे, लेकिन हरियाणा की बहादुर जनता ने ऐसा सहयोग दिया कि अब आंदोलन पहले से मजबूत हो गया है। इसमें हरियाणा का बड़ा योगदान है।
26 जनवरी की घटना के बाद राजेवाल बोले थे- हरियाणा वालों के मुंडे काबू में नहीं, अब बोले- सबसे बहादुर
राजेवाल ने सुनाया दिल्ली बैठक का किस्सा
2017 में सामने आया था निजी कंपनियों का जमीन देने का मामला, तब मैंने किया विरोध
राजेवाल ने कहा कि नए कृषि कानून लागू हो गए तो किसान अपने ही खेतों में मजदूरी करेंगे। उन्होंने 2017 का किस्सा सुनाते हुए कहा- दिल्ली में नीति आयोग की बैठक चल रही थी। मैं उसमें मौजूद था, वहां अन्य किसानों को भी बुलाया गया था। एक कंपनी के सीईओ ने सुझाव दिया था कि हमें 50 साल के लिए किसानों की सात-सात और आठ-आठ हजार एकड़ जमीनों के टुकड़े पट्टे पर चाहिए, किसानों को मनमर्जी का ठेका मिलेगा, लेकिन फसल हमारी मर्जी से उगाएंगे, जिस किसान की जमीन हम लेंगे, वे किसान भी वहां पर मजदूरी कर सकते हैं।
बैठक में इसका सबसे ज्यादा विरोध मैंने किया था और मैं विरोध करके बाहर निकल गया था। इसके बाद ये तीनों कृषि कानून ही लागू कर दिए। केंद्र सरकार का किसानों से जमीन छीनकर निजी कंपनियों को देने की मंशा है, लेकिन हमें एकजुट होकर रहना है। अपने खेतों को खोना नहीं है। किसान नेता युद्धवीर सिंह और रतनमान ने कहा कि संयुक्त मोर्चा जो आदेश देगा, उसी के अनुसार देश का किसान लड़ाई लड़ेगा।