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मिशन ओलिंपिक:टोक्यो ओलिंपिक के लिए वैज्ञानिक आधार पर तैयार होंगे खिलाड़ी

मिशन ओलिंपिक:टोक्यो ओलिंपिक के लिए वैज्ञानिक आधार पर तैयार होंगे खिलाड़ी; दिल की धड़कन से खिलाड़ी की फिटनेस चेक होगी, हाइड्रोथेरेपी-क्रायोथेरेपी भी मिलेगीसोनीपत में बनाया नेशनल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस, पहली बार विशेषज्ञ चोटिल खिलाड़ियों पर रखेगा नजर
खान-पान से लेकर ट्रेनिंग तक खेल वैज्ञानिकों की निगरानी में होगी
खेल मंत्रालय ने मिशन ओलिंपिक के तहत व्यवस्था में बड़ा बदलाव किया है। इसमें खिलाड़ियों की तैयारी वैज्ञानिक आधार पर होगी। उनके खान-पान, रहन-सहन से लेकर पूरा अभ्यास खेल वैज्ञानिकों की निगरानी में होगा। सोनीपत में बनाए नेशनल सेंटर ऑफ एक्सीलेंस में खास सुविधा खिलाड़ियों को मिलेगी। खेल उपकरण पहुंचने भी शुरू हो गए हैं, जिनका शुरुआती बजट करीब 40 लाख रुपए है। यह स्पोर्ट्स सेंटर खेल विज्ञान पर आधारित होगा। यहां स्ट्रेंथ एंड कंडीशनिंग की हर सुविधा उपलब्ध होगी।

स्पोर्ट्स साइंस ऐसे करेगा मदद – कम ऑक्सीजन वाली जगह से तालमेल बनाने चेंबर

वीओ 2 मैक्स : वीओ 2 मैक्स से दिल की धड़कन के बारे में जानकारी हासिल की जाती है। इस तकनीक के जरिए किसी खिलाड़ी की धड़कन से यह पता चलता है कि वह कितना फिट है।

हाईपोक्सिक चेंबर : जहां ऑक्सीजन की कमी होती है, वहां प्रदर्शन कैसे सुधारें, इसके लिए हाईपोक्सिक चेंबर का उपयोग किया जाता है। समुद्र तल पर ऑक्सीजन का कंसंट्रेशन 20.9 होता है, लेकिन इसे 10.1 फीसदी तक कम कर अभ्यास कराया जाता है। ताकि खिलाड़ियों का स्टैमिना बढे।

हाइड्रोथेरेपी : स्वीमिंग पूल में व्यायाम कराया जाता है। इससे मांसपेशियों को आराम मिलता है। जोड़ों के दर्द के लिए भी कारगर है।

क्रायोथेरेपी : मांसपेशियों में दर्द से निजात दिलाता है। डैमेज टिशू को हटाता है। इसमें -180 डिग्री तक तापमान कम किया जाता है।

एक्सपर्ट बॉडी वॉटर, प्रोटीन, मिनरल, बॉडी-मास, वेस्ट-हिप रेशियो, फैट फ्री मास जैसी जांच के बाद विश्लेषण कर खिलाड़ियों पर काम करेंगे।

खिलाड़ियों के रिहैबिलिटेशन पर नजर रखी जाएगी

रियो ओलंपिक में साइना के चोटिल होने के बाद भी खेलने और दीपा कर्माकर के लगातार चोटिल होने जैसी घटनाएं टोक्यो ओलिंपिक के दौरान न हों, इसलिए इसकी तैयारी की गई। खिलाड़ियों को फिट रखने के लिए भी पैनल गठित किया जा रहा है। इसमें स्पोर्ट्स साइंटिस्ट, स्पोर्ट्स मेडिसिन एक्सपर्ट और फिजियोथेरेपिस्ट शामिल हैं।

यह पैनल खिलाड़ियों के चोटिल होने के बाद उसके रिहैबिलिटेशन में जाने के दौरान नजर रखेगा। पैनल खिलाड़ी की मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर देखेगा कि खिलाड़ी ने सही डॉक्टर और अस्पताल का चयन किया है या नहीं। साथ ही रिहैबिलिटेशन में उसने पूरा समय लगाया है या नहीं। कहीं खिलाड़ी चोट से उबरे बिना खेलने के लिए तो नहीं उतर रहा है।

फिजियोलॉजिस्ट और फिजियोथेरेपिस्ट भी होंगे

तीन फिजियोलॉजिस्ट, पांच स्ट्रेंथ और कंडीशनिंग एक्सपर्ट, चार फिजियोथेरेपिस्ट, 6 मालिशिया, एक फार्मेसिस्ट, 3 नर्सिंग सहयोगी और 6 लैब तकनीशियन नियुक्ति करेंगे।

तनाव दूर करने खिलाड़ियों को मनोवैज्ञानिक भी मिलेगा

खिलाड़ियों के अभ्यास से लेकर चोट लगने पर उनकी रिकवरी की भी विशेष व्यवस्था की है। इनके अतिरिक्त उन्हें तनाव को दूर करने के लिए मनोवैज्ञानिक की सुविधा भी मिलेगी।

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