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चीन का विरोध:म्यांमार में चीन की एम्बेसी के सामने प्रदर्शन, शर्म करो चीन और तख्तापलट बंद करो

चीन का विरोध:म्यांमार में चीन की एम्बेसी के सामने प्रदर्शन, शर्म करो चीन और तख्तापलट बंद करो जैसे नारे लगेम्यांमार में चुनी हुई सरकार के तख्तापलट को 14 दिन बीत चुके हैं। यहां के लोगों में जितना गुस्सा अपने देश की सेना के खिलाफ है, उतना ही चीन के खिलाफ भी। तीन दिन में दूसरी बार यहां चीनी सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हुए। लोगों ने- शर्म करो चीन के नारे लगाए। करीब 12 हजार लोगों ने यांगून में चीनी एम्बेसी के सामने प्रदर्शन किया। हालांकि, फौज ने बहुत कम लोगों को एम्बेसी एरिया के पास जाने दिया।

फौज की मदद कर रहा है चीन
न्यूज एजेंसी के मुताबिक, गुरुवार के बाद रविवार को भी स्थानीय लोग यांगून स्थित चीनी दूतावास के सामने बैनर और पोस्टर लेकर पहुंचे। इनमें युवाओं की संख्या ज्यादा थी। कुछ लोगों ने चीनी नागरिकों की तरह मेकअप किया था। ये लोग Shame on you China यानी चीन शर्म करो जैसे नारे लगा रहे थे। पहले तो सुरक्षा बलों ने प्रदर्शन की मंजूरी देने से इनकार कर दिया, लेकिन भीड़ बढ़ती देख उन्होंने तय शर्तों के साथ विरोध प्रदर्शन की इजाजत दे दी।

प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि म्यांमार में सैन्य तख्तापलट चीन की सरकार के इशारे पर हुआ है। बीजिंग में बैठी शी जिनपिंग सरकार नहीं चाहती कि म्यांमार में लोकतांत्रिक सरकार हो। कुछ लोगों ने हाथ में जो पोस्टर लिए थे, उनमें संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका और यूरोपीय यूनियन का शुक्रिया अदा किया। यूएन, अमेरिकी और यूरोपीय यूनियन ने तख्तापलट का विरोध किया है। अमेरिका और यूरोपीय यूनियन ने तो मिलिट्री गवर्नमेंट पर आर्थिक प्रतिबंध भी लगाए हैं।

साजिश चीन में रची गई
प्रदर्शनकारियों का आरोप है कि म्यांमार में तख्तापलट की साजिश चीन में रची गई और यहां की फौज चीन के इशारे पर काम कर रही है। एक बैनर पर लिखा था- सैन्य शासन चीन की देन।
म्यांमार में मिलिट्री डिक्टेटरशिप के खिलाफ आंदोलन हो रहे हैं, लेकिन चीन इस पर चुप है। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने शनिवार को डेली ब्रीफिंग में कहा- हम वहां के हालात पर नजर रख रहे हैं। हमारे उनसे दोस्ताना रिश्ते हैं और हम चाहते हैं कि वहां राजनीतिक और सामाजिक स्थिरता बनी रहे।
सेना ने तख्तापलट पर क्या कहा था
पिछले साल नवंबर में म्यांमार में आम चुनाव हुए थे। इनमें आंग सान सू की पार्टी ने दोनों सदनों में 396 सीटें जीती थीं। उनकी पार्टी ने लोअर हाउस की 330 में से 258 और अपर हाउस की 168 में से 138 सीटें जीतीं थीं। म्यांमार की मुख्य विपक्षी पार्टी यूनियन सॉलिडैरिटी एंड डेवलपमेंट पार्टी ने दोनों सदनों में मात्र 33 सीटें ही जीतीं। इस पार्टी को सेना का समर्थन हासिल था। इस पार्टी के नेता थान हिते हैं, जो सेना में ब्रिगेडियर जनरल रह चुके हैं।

नतीजे आने के बाद वहां की सेना ने इस पर सवाल खड़े कर दिए। सेना ने चुनाव में सू की की पार्टी पर धांधली करने का आरोप लगाया है। इसे लेकर सेना ने सुप्रीम कोर्ट में राष्ट्रपति और चुनाव आयोग की शिकायत भी की है। चुनाव नतीजों के बाद से ही लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई सरकार और वहां की सेना के बीच मतभेद शुरू हो गया। अब म्यांमार की सत्ता पूरी तरह से सेना के हाथ में आ गई है। तख्तापलट के बाद वहां सेना ने 1 साल के लिए इमरजेंसी का भी ऐलान कर दिया।

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