आंदोलन का 82वां दिन:जो पार्टी साथ न दे, उसकी हालत ऐसी करो कि कोई उससे टिकट न ले: टिकैतकरनाल के इंद्री में महापंचायत में ऐलान- किसानों की लड़ाई को पूरे देश में ले जाएगा मोर्चा
दिल्ली की कोठियों में बैठे नेताओं के नहीं, मोर्चा के हिसाब से चाहिए कानून
82वें दिन रविवार को कृषि कानूनों के विरोध में किसानों का धरना जहां दिल्ली बॉर्डर पर जारी रहा, वहीं करनाल के इंद्री की अनाज मंडी में किसानों ने महापंचायत की। यहां भाकियू प्रदेशाध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी ने कहा, ‘200 से ज्यादा किसानों की जान जा चुकी है और कृषि मंत्री जेपी दलाल मजाक उड़ा रहा है। यह शर्मनाक है। ऐसे लोगों की तसल्ली करनी है, जिस तरह खट्टर की करनाल के कैमला में की थी।
विरोध करने वाले जब भी विधायक या एमपी का चुनाव लड़ें, उन्हें हर हाल में हराना है। जो पार्टी हमारा सहयोग नहीं कर रही हैं, उनकी ऐसी हालत कर दो कि कोई टिकट लेने वाला ही नहीं रहे।’ वहीं, किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि मध्यप्रदेश हो या गुजरात, पूरे देश के किसानों की लड़ाई संयुक्त किसान मोर्चा लड़ेगा। भोपाल में धरना देना पड़े तो भी मोर्चा के नेता वहां जाकर आंदोलन करेंगे। जल्द युवा किसानों का सम्मेलन भी करेंगे। अब लड़ेगा जवान और जीतेगा किसान। लड़ाई में सबसे बड़ी जिम्मेदारी पंजाब, हरियाणा, यूपी और राजस्थान की है।
ये चारों राज्य दिल्ली के नजदीक हैं। दूसरे राज्यों के किसान नहीं आ सकते, वे वहां पर अपनी लड़ाई लड़ें। जब तक तीनों कृषि कानूनों की वापसी और एमएसपी की गारंटी नहीं मिलती, दिल्ली से किसानों की वापसी नहीं होगी। कृषि कानून किसानों के हिसाब से तय होने चाहिए। जो दिल्ली की कोठियों में बैठ कर कानून बनाते हैं, उनके हिसाब से नहीं बनने चाहिए। केंद्र जो कानून बनाए, उसमें किसानों की हिस्सेदारी हो।