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भिंड में बनेगा डाकू म्यूजियम:फूलन और डकैत मोहर सिंह की बंदूकें देख सकेंगे,

भिंड में बनेगा डाकू म्यूजियम:फूलन और डकैत मोहर सिंह की बंदूकें देख सकेंगे, पुलिस अपने अफसरों की बहादुरी के किस्से भी सुनाएगीचंबल के डकैतों की कहानियां तो आपने खूब सुनी होंगी। अब भिंड की पुलिस उनके किस्से सुनाएगी। इसके लिए एक डाकू म्यूजियम बनाया जा रहा है। इसमें लोग देख पाएंगे अपने दौर की मशहूर बैंडिट क्वीन फूलन देवी की वह बंदूक, जिसके साथ उन्होंने सरेंडर किया था। दद्दा नाम से जाने गए मोहर सिंह की माउजर, राइफल, कारतूस और फौज की वर्दी में दिखने वाले अरविंद सिंह की SLR भी यहां रखी जाएगी।

इस म्यूजियम में दशकों तक बीहड़ में दहशत फैलाते रहे डाकुओं के हथियार उठाने से लेकर मुठभेड़ में ढेर होने तक की दास्तान सुनाई जाएगी। इसके अलावा उनके आतंक को खत्म करने वाले जांबाज अफसरों-जवानों की कहानी भी आप जान सकेंगे।पुलिस लाइन में बनेगा म्यूजियम
डाकू म्यूजियम भिंड की पुलिस लाइन में बनाया जा रहा है। इसमें डाकुओं और पुलिस की बड़ी मुठभेड़ों को फिल्म की तरह दिखाया जाएगा। यहां एथलीट से डाकू बने पान सिंह तोमर और चंबल को कपां देने वाले मलखान सिंह समेत 80 डाकुओं के अनसुने राज सामने आएंगे। एग्जीबिशन के जरिए बताया जाएगा कि कैसे एक आम आदमी बागी हुआ और कुख्यात बन गया। इसमें 1960 से लेकर 2011 तक के डकैतों को शामिल किया जाएगा।

हिस्ट्रीशीट से फोटो तक हर जानकारी
म्यूजियम में डकैतों की हिस्ट्रीशीट, उनके फोटो, गिरोह के बड़ी वारदात के किस्से, वारदात के बाद वहां के हालात की कहानी, डाकू गिरोहों के सदस्यों की जानकारी स्क्रीन पर दिखाई जाएगी, ताकि इससे लोगों से इन्हें समझ पाएं। पिछले 30 साल में शहीद हुए पुलिस के 40 जवानों और अफसरों की बहादुरी के किस्से भी यहां होंगे।

हर दशक की अलग गैलरी
म्यूजियम में हर दशक की एक गैलरी बनाई जाएगी। इसमें उस दौर के डकैत, उनकी बड़ी वारदात, पुलिस से मुठभेड़ की झलकियां, फोटो, स्टोरी दिखाई जाएंगी। बागी होने से लेकर सरेंडर करने तक की पूरी कहानी मूवी में बताई जाएगी। यह भी बताया जाएगा कि उस समय डकैतों का गैंग कहां रहता था और किस गैंग में कितने सदस्य थे। किस तरह के हथियार रखते थे। बीहड़ में सर्दी और गर्मी में कैसे रहते थे। बारिश के समय कहां शरण लेते थे।

मोहर सिंह गिरोह के पास थे पुलिस से बेहतर हथियार
चंबल के बीहड़ों में खौफ का एक नाम डाकू मोहर सिंह भी रहा है। मोहर सिंह के गिरोह में 146 सदस्य थे। 1960 के दशक में मोहर सिंह पर 2 लाख और पूरे गिरोह पर 12 लाख रुपए का इनाम था। गिरोह के पास SLR, सेमी ऑटोमैटिक गन, 303 रायफल, LMG, स्टेन गन, मार्क-5 राइफल जैसे हथियार थे। ये हथियार तब पुलिस के पास भी नहीं थे।

मोहर सिंह अपने 146 साथियों को कैसे संभालता था। उनके खाने, रहने और मूवमेंट के लिए क्या इंतजाम थे, इसका पूरा इतिहास म्यूजियम में रहेगा।

30 लाख रुपए खर्च होंगे
पुलिस अफसरों के मुताबिक, यह म्यूजियम तैयार करने में 30 लाख रुपए तक खर्च आएगा। पुलिस के जवान इसके लिए चंदा दे रहे हैं। भिंड के SP मनोज कुमार सिंह ने कहा कि बागियों के बारे में सभी जानना चाहते हैं। वे बीहड़ तक कैसे पहुंचे, क्या कारण रहे, उनका खात्मा कैसे हुआ। सरेंडर करने के बाद उनका जीवन कैसा रहा।

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