सिंचाई और पेयजल सप्लाई प्रभावित:गर्मी शुरू होने से पहले ही हरियाणा में गहराने लगा जलसंकट, यमुना में पांच साल में सबसे कम पानी, नहरें भी सूखने लगींभाखड़ा और पोंग डैम का जलस्तर पिछले साल के मुकाबले कुल 2.72 लाख एकड़ फीट घटा
वजह-पहाड़ों पर 6 के बजाय बर्फबारी के 3 स्पैल, हिमाचल में सर्दी में 56% कम बारिश
प्रदेश में गर्मी शुरू होने से पहले ही जलसंकट गहराने लगा है। इसके 2 प्रमुख कारण हैं। पहला- पहाड़ों पर सामान्य 6 के बजाय इस बार बर्फबारी के तीन ही स्पैल हुए। दूसरा- हिमाचल में सर्दियों में सामान्य से 56% कम बारिश हुई। वहां सतलुज, रावी, यमुना नदी के कैचमेंट एरिया में भी कम बारिश हुई।
इसके कारण अभी भाखड़ा और पोंग डैम का जलस्तर पिछले साल के मुकाबले कुल 2.72 एमएएफ (मिलियन एकड़ फीट) कम है। यमुनानगर स्थित हथिनीकुंड बैराज पर यमुना में फरवरी माह का जलस्तर पिछले पांच सालों मेंं सबसे कम दर्ज किया गया। 10 फरवरी की सुबह यह 1176 क्यूसेक रह गया।
इससे कम यह 14 फरवरी 2016 को 988 क्यूसेक था। इसका असर यह हुआ कि राज्य की नहरों को पर्याप्त पानी नहीं मिल पा रहा। कई नहरें तो सूख चुकी हैं। इसके चलते सिंचाई व पेयजल की सप्लाई प्रभावित हो रही है। सिंचाई विभाग के एक्सईएन जगपाल सिंह का कहना है कि वर्तमान में भाखड़ा डैम में 7500 से 8000 क्यूसेक पानी है, जबकि आम दिनों मंे यह 9500 से 9600 क्यूसेक तक होता है। अभी प्रदेश को भाखड़ा डैम व यमुना नदी से करीब 2400 क्यूसेक पानी कम मिल रहा है।
सतलुज-रावी, यमुना नदी के कैचमेंट एरिया में बरसात की रही कमी
भाखड़ा डैम की स्थिति
साल जलस्तर 2019 3.19 एमएएफ 2020 2.63 एमएएफ 2021 1.57 एमएएफ
पोंग डैम की स्थिति
साल जलस्तर
2019 2.61 एमएएफ
2020 3.31 एमएएफ
2021 1.65 एमएएफ
प्रदेश में 39% अधिक बारिश, इसलिए सिंचाई का काम चल गया
आईएमडी शिमला के निदेशक डॉ. मनमोहन के अनुसार, हिमाचल में 1 जनवरी से 10 फरवरी 2021 तक 52.2 मिमी. बारिश हुई, जो सामान्य 118.1 मिमी. से 56 फीसदी कम है। वहीं, हरियाणा में करीब 32 लाख हेक्टेयर में रबी की फसलें हैं। 1 जनवरी से 10 फरवरी तक यहां 25.9 मिलीमीटर बारिश हुई है, जो सामान्य 18.6 मिमी. से 39% अधिक है। प्रदेश में सामान्य से अिधक बारिश के चलते सिंचाई का काम चल पाया।
2400 क्यूसेक पानी कम मिल रहा, 8600 क्यूसेक की आपूर्ति
भाखड़ा व यमुना से प्रदेश को करीब 8600 क्यूसेक पानी मिल रहा है। इन दिनों में यह 11 हजार क्यूसेक मिलता है। 2400 क्यूसेक पानी कम मिल पा रहा है। अब तापमान में बढ़ोतरी के साथ पानी की खपत बढ़ेगी। सिंचाई विभाग के अधिकारियों को गर्मियों के लिए भी डैम में जलस्तर मेनटेन रख पाना चुनौती है। हालांकि, मार्च-अप्रैल में जलस्तर बढ़ने की उम्मीद है।
बर्फ पिघलेगी तो बढ़ेगा जलस्तर
पहाड़ों में बारिश कम हुई है। इससे पानी की कमी है। अभी स्थिति कंट्रोल में है। अब गर्मी बढ़ेगी तो बर्फ पिघलेगी। इससे जलस्तर बढ़ने की उम्मीद है।’