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बाघों का इलाका घटा, बांधवगढ़ और कान्हा टाइगर रिजर्व में टेरिटोरियल फाइटमेंसबसे ज्यादा25बाघों की मौत

MP में बाघों की तादाद बढ़ने का असर:बाघों का इलाका घटा, बांधवगढ़ और कान्हा टाइगर रिजर्व में टेरिटोरियल फाइट में सबसे ज्यादा 25 बाघों की मौतटाइगर स्टेट मध्यप्रदेश में अभी 526 बाघ हैं, लेकिन बीते 3 साल में यहां देश में सबसे ज्यादा 88 बाघों की मौत हुई है। इनमें 14 का शिकार हुआ, 6 बाघों के अंग बरामद किए गए हैं। जबकि, 40 बाघ और शावक ऐसे हैं, जिनकी मौत आपसी संघर्ष यानी टेरिटोरियल फाइट में हुई। यह जानकारी केंद्रीय वन मंत्रालय की इसी महीने जारी की गई वन्य जीवों की मौत पर बनी रिपोर्ट से मिली।

मप्र में सबसे ज्यादा टेरिटोरियल फाइट कान्हा और बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में हुई है। दोनों जगह 25 बाघों ने इसी कारण जान गंवाई है। वन विभाग के अफसरों के मुताबिक एक बाघ की टेरिटरी 50 से 60 वर्ग किमी में रहती है। इसमें एक बाघ के साथ दो बाघिन रह सकती हैं, लेकिन अमूमन इनमें संघर्ष होता है। अभी बांधवगढ़ के 1536.934 वर्ग किमी क्षेत्र में 124 और कान्हा के 2051.791 वर्ग किमी क्षेत्र में 108 बाघ हैं। यानी 124 बाघों के लिए बांधवगढ़ में 6 से 7 हजार वर्ग किमी, जबकि कान्हा में 5 से 6 हजार वर्ग किमी क्षेत्र होना चाहिए।
दोनों रिजर्व में बाघों की संख्या के हिसाब से जगह कम है। इसी का नतीजा है कि यहां तीन साल में सर्वाधिक बाघों की मौत सिर्फ टेरिटोरियल फाइट में हुई है। वन विभाग ऐसी मौतों को प्राकृतिक ही मानता है। बता दें कि प्रदेश में 526 बाघों के लिए करीब 31 हजार वर्ग किमी क्षेत्र चाहिए। जबकि, अभी 7 टाइगर रिजर्व में कुल 10174 वर्ग किमी क्षेत्र है।बांधवगढ़ के 20 बाघों ने सीमा लांघी

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व के डायरेक्टर विन सेंटर रहीम ने बताया कि यहां वर्ष 2020 में 9 बाघों की मौत हुई। इनमें से 7 की मौत आपसी संघर्ष में हुई। टाइगर रिजर्व क्षेत्र से 124 में से 104 बाघ बाहर नहीं निकलते। जबकि 20 ऐसे हैं, जो रिजर्व से बाहर निकलकर उमरिया, शहडोल के जंगलों में मूवमेंट करते हैं। कई बार आसपास के गांवों में घुस जाते हैं और खुद को असुरक्षित महसूस कर वे इंसानों पर भी हमला कर देते हैं। टेरिटोरियल फाइट रोकने के लिए जरूरी है कि बाघों को रहने के लिए सुरक्षित ठिकाने मिलें।मध्य प्रदेश में बाघ ज्यादा, इसलिए मौतें भी ज्यादा

मध्य प्रदेश में वाइल्ड लाइफ के पीसीसीएफ आलोक कुमार बताते हैं कि मध्यप्रदेश में दूसरे राज्यों की तुलना में बाघ ज्यादा हैं। इस कारण यहां बाघों की प्राकृतिक मृत्यु और शिकार भी ज्यादा हुए हैं। विभाग बाघ के शिकार के कारणों की पड़ताल कर, इन्हें रोकने के लिए लगातार गश्त और निगरानी बढ़ा रहा है।

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