अब मोर्चा गर्मी से:धरनास्थल पर लगेंगे एसी और फैन, नजर रखने को 100 सीसीटीवी व कंट्रोल रूमकेंद्र सरकार के रुख के बाद संयुक्त किसान मोर्चे के बदले तेवर, आंदोलन और तेज करेंगे
गश्त लगाने, ट्रैफिक संभालने और पहरा देने को 600 लोगों की टीम
नए कृषि कानूनों पर केंद्र सरकार के साथ किसान लंबी लड़ाई के मूड में हैं। इसे लेकर सिंघु और टीकरी बॉर्डर पर प्रदर्शनकारी सीसीटीवी, वाईफाई और रहने की बुनियादी सुविधाएं बेहतर कर रहे हैं। संयुक्त किसान मोर्चा पहले ही कह चुका है कि जब तक कानून वापसी नहीं होगी, प्रदर्शन जारी रहेगा।
केंद्र सरकार द्वारा दिल्ली की सीमाओं पर इंटरनेट बंद किए जाने पर मोर्चा अलग ‘ऑप्टिकल फाइबर’ लेगा। ताकि ‘वाईफाई’ उपलब्ध रह सके। गर्मी का मौसम आने के चलते मोर्चा इलेक्ट्रिक फैन और एसी भी लगवाने की तैयारी में है।
सिंघु बॉर्डर पर प्रबंधन देखने वाले दीप खत्री के अनुसार 100 सीसीटीवी कैमरे लगाए जा रहे हैं। नजर रखने को एक कंट्रोल रूम बनाया जा रहा है। गश्त लगाने, ट्रैफिक संभालने और पहरा देने को 600 लोगों की टीम बनाई गई है। 10 अहम स्थानों पर एलसीडी स्क्रीन लगेंगी। ताकि दूर बैठे प्रदर्शनकारी मुख्य मंच पर होने वाली गतिविधियां देख-सुन सकें।
ऐसा काम न करें, किसी को दुष्प्रचार का मौका मिले: राजेवाल
कृषि कानूनों के खिलाफ संयुक्त किसान मोर्चे द्वारा वीरवार को जगराओं की दाना मंडी में बुलाई किसान महापंचायत में 30 हजार से ज्यादा किसान पहुंचे। इस दौरान एक दिन पहले दिल्ली में लिए फैसलों पर अमल करने के लिए रणनीति बनाई गई। फोकस 18 फरवरी को होने वाले रेल चक्का जाम पर रहा।
जत्थेबंदियों के किसान नेताओं ने कहा आंदोलन के दौरान कोई भी ऐसा कदम न उठाएं कि केंद्र सरकार को फिर से दुष्प्रचार का मौका मिल सके। काफी तादाद में आए बुजुर्ग ने बताया आजादी के बाद से पंजाब में ऐसी महापंचायत पहली बार देखी है। वहीं, भाकियू-राजेवाल के प्रधान बलवीर सिंह राजेवाल ने केंद्र को दोटूक चुनौती दी कि किसान डरेंगे नहीं, कोई और प्रस्ताव नहीं मानेंगे, ये काले कानून रद्द हों।
रेल चक्का जाम करने पर रहा फोकस…
कल दिल्ली में संयुक्त किसान मोर्चे के फैसलों के तहत महापंचायत में आए नेताओं ने 18 फरवरी को 12 से 4 बजे तक रेल ट्रैक जाम करने पर जोर दिया। इसके पहले पुलवामा में शहीद हुए सैनिकों की याद में 14 फरवरी को मशाल जुलूस निकालने, 16 को सर छोटूराम की जयंती पर कार्यक्रम जिला-शहर स्तर पर करने को लेकर चर्चा हुई।
^250 किसान अब तक शहीद हो चुके हैं। सरकार दुष्प्रचार कर रही है कि किसान फसल बोने वापस पंजाब चले जाएंगे, लेकिन ऐसा नहीं है और होने भी नहीं देना है।