शुरुआत में ही खटास:बाइडेन ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से फोन पर बातचीत की, हॉन्गकॉन्ग में मानवाधिकारों का मुद्दा उठायाअमेरिकी राष्ट्रपति बनने के 22 दिन बाद जो बाइडेन ने पहली बार चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से फोन पर बातचीत की। हालांकि, यह मुलाकात कैसी रही, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है बाइडेन ने हॉन्गकॉन्ग में मानवाधिकार का मुद्दा उठा दिया। चीन इस मुद्दे को लेकर पहले ही अमेरिका से कई बार भिड़ चुका है। अमेरिका हॉन्गकॉन्ग में लोकतंत्र बहाली और वहां के लोगों को मानवाधिकार मुहैया कराने की मांग करता रहा है। चीन ने वहां सख्त पाबंदियां लगा रखी हैं। पिछले साल इसके लिए नया कानून भी बनाया था।
टकराव के मुद्दों पर बातचीत
CNN के मुताबिक, राष्ट्रपति बनने के बाद बाइडेन और जिनपिंग के बीच पहली बातचीत में कई मुद्दों पर बातचीत हुई। इसमें दोनों देशों के आपसी सहयोग को लेकर भी चर्चा हुई। रिपोर्ट के मुताबिक, बाइडेन ने हॉन्गकॉन्ग में चीन के अड़ियल रवैये पर चिंता जाहिर की और वहां हालात सुधारने पर जोर दिया। खास बात यह है कि अमेरिकी राष्ट्रपति ने सीधे तौर पर शिनजियांग प्रांत में उईगर मुस्लिमों को प्रताड़ित किए जाने का मुद्दा भी उठा दिया। हाल ही में BBC ने एक डॉक्यूमेंट्री के जरिए वहां के हालात पर एक रिपोर्ट जारी की थी। इसमें उईगर समुदाय की महिलाओं के साथ होने वाले जुल्म को बयां किया गया था।
ये दुनिया का मामला
व्हाइट हाउस के एक सीनियर अफसर ने कहा- प्रेसिडेंट ने जिनपिंग से कहा कि मानवाधिकारों का मसला सिर्फ अमेरिका नहीं, बल्कि दुनिया के लिए भी चिंता की बात है। हम इस पर सख्ती से काम करते रहेंगे। उन्होंने जिनपिंग को यह भी बता दिया कि अमेरिका अपने नागरिकों की सुरक्षा और अपने हितों को लेकर कोई समझौता नहीं करेगा। हिंद महासागर में मौजूद देशों के हितों की अनदेखी बिल्कुल नहीं की जाएगी। चीन की आर्थिक नीतियों पर पैनी नजर रखी जा रही है, इससे निपटने के लिए जरूरी कदम उठाए जा रहे हैं।
बाइडेन का रुख सख्त ही रहेगा
इस अफसर ने कहा- कैम्पेन के दौरान ही यह तय हो गया था कि अमेरिका में आने वाली नई सरकार चीन को लेकर किसी तरह का समझौता नहीं करेगी। उसकी आर्थिक नीतियां पूरी दुनिया के लिए खतरा हैं और हम इन्हें सहन नहीं कर सकते। अमेरिका और दुनियाभर में मौजूद चीनी कंपनियों को नियमों के मुताबिक ही चलना होगा। दक्षिण चीन सागर में चीन छोटे देशों को धमकाने की कोशिश कर रहा है, अमेरिका उसके मंसूबों का जवाब देने की तैयारी काफी पहले कर चुका है। हम अपनी तरफ से कोई एक्शन नहीं लेंगे, लेकिन चीन ने अगर हिमाकत की तो यह उसके लिए ही परेशानी पैदा करेगा।