प्रियंका की’अनफिनिश्ड’का किस्सा: प्रियंका चोपड़ा ने आंटी के डर से बॉयफ्रेंड कोअलमारी में किया था बंद,
February 11, 2021
शुरुआत में ही खटास:बाइडेन ने चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग से फोन पर बातचीत की,
February 11, 2021

चीन से दूरी का इशारा:नेपाल के पूर्व PM प्रचंड बोले- यहां लोकतंत्र खतरे में

चीन से दूरी का इशारा:नेपाल के पूर्व PM प्रचंड बोले- यहां लोकतंत्र खतरे में; डेमोक्रेसी वाले बड़े मुल्क हमारी मदद करेंनेपाल के पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल प्रचंड के मुताबिक, उनके देश में लोकतंत्र खतरे में है और इस वक्त उन देशों को मदद के लिए सामने आना चाहिए, जहां डेमोक्रेसी है और जो इसमें भरोसा रखते हैं। नेपाल के प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली चीन के करीबी माने जाते हैं। दो महीने पहले उन्होंने संसद भंग कर दी थी। इसके बाद चीन यहां लगातार दखलंदाजी के जरिए अपने हितों को साधने वाली सरकार बनवाने की कोशिश कर रहा है। दहल का बयान एक तरफ जहां चीन की तरफ नाखुशी का इशारा है तो भारत और अमेरिका से मदद की गुहार माना जा सकता है।

लोकतंत्र की हत्या हो रही है…
बुधवार को काठमांडू में विरोधी गुट की रैली को संबोधित करते हुए प्रचंड ने कहा- नेपाल में लोकतंत्र की हत्या हो रही है। हम दुनिया से मदद की अपील करते हैं। खास तौर पर उन देशों से जो सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश मदद की मांग करती हैं। इन देशों को हमारे प्रधानमंत्री ओली की कदमों का विरोध करना चाहिए।

नेपाल में इस वक्त कार्यवाहक सरकार है। कम्युनिस्ट पार्टी ने ओली को प्रधानमंत्री बनाया था। उन्होंने कुछ ऐसे कदम उठाए जिससे पार्टी में वे अकेले पड़ गए। फिर संसद भंग कर दी। पार्टी ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया। अब वे चीन के जरिए विरोधियों पर दबाव डालकर फिर सत्ता में आना चाहते हैं। इसलिए देश में उनका विरोध बढ़ता जा रहा है।

भारत ने पहले प्रतिक्रिया दी थी
भारत ने नेपाल में संसद भंग होने के बाद 24 दिसंबर को प्रतिक्रिया दी थी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अनुराग श्रीवास्तव ने कहा था- हम नेपाल के हालात पर नजर रख रहे हैं। वहां के लोगों के मदद की जाएगी।
भारत के बाद अमेरिका और ब्रिटेन ने भी लोकतंत्र बनाए रखने की मांग की। लेकिन, चीन इस मुद्दे पर चुप रहा। अब दहल का ताजा बयान चीन की तरफ सीधा इशारा है कि वो नेपाल में लोकतांत्रिक सरकार को महत्व दे। हाल ही में ऑस्ट्रेलिया ने भी साफ कर दिया था कि नेपाल में हालात बिगड़ने के पहले ही संभालने होंगे। यूरोपीय देश भी इसी तरह का बयान दे चुके हैं।

सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई जारी
नेपाल में संसद भंग करने के ओली के फैसले को 13 याचिकाओं के जरिए सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है। इन सभी पर सुनवाई जारी है। अमेरिका ने पिछले दिनों इनका जिक्र किया था। वहां के विदेश मंत्रालय ने कहा था- नेपाल का सुप्रीम कोर्ट तमाम मामलों पर सुनवाई कर रहा है। हम चाहते हैं कि जनता की मांग पर ध्यान दिया जाए।

ओली के दौर में नेपाल सरकार ने सीधे तौर पर कई ऐसे फैसले किए जो चीन को मदद पहुंचाने वाले हैं। काठमांडू में चीन की एम्बेसेडर तो लगातार और बिना रोकटोक ओली और राष्ट्रपति विद्या देवी भंडारी से मिलती रहीं। सरकार गिरी तो चीनी नेताओं का एक दल काठमांडू भेजा गया। विपक्षी नेताओं को मनाने और उन पर दबाव डालने की कोशिश हुई। लेकिन, अब विपक्षी नेता खुलकर ओली के विरोध में आ गए हैं। ओली का जाना चीन के लिए बड़ा झटका साबित होगा। उन पर रिश्वत लेने के भी आरोप हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Updates COVID-19 CASES