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आंदोलन की बदलती तस्वीर:आंदोलन में हरियाणा को फ्रंटफुट पर लाने की रणनीति, एक माह में 10 और महापंचायतें होंगीप्रदेश में 4 महापंचायतें कर चुका संयुक्त मोर्चा
गुरनाम चढ़ूनी जिलों में घूमकर जुटा रहे समर्थन
महापंचायतों से खापों व किसानों का समर्थन जुटाने के साथ खुद की पैठ बनाने पर जोर, 26 जनवरी के बाद किसान नेताओं के हरियाणा रुख पर पढ़िए… कुंडली और टिकरी से ग्राउंड रिपोर्ट

तीनों कृषि कानूनों के विरोध में दिल्ली के बॉर्डरों पर चल रहे किसान आंदोलन की तस्वीर बदल गई है। आंदोलन में एक नई जान आई है। इसके पीछे हरियाणा की खापों की बड़ी भूमिका है। जब तक हरियाणा की खापें आंदोलन में सक्रिय नहीं थी तो बॉर्डर पर पंजाब के किसान ही ज्यादा दिखाई देते थे, लेकिन खापों के सक्रिय होते ही कुंडली-टिकरी में हरियाणा के किसानों की संख्या पंजाब के किसानों से ज्यादा पहुंच गई है।

किसान नेता भी खापों के प्रभाव को भुनाने का हर संभव प्रयास कर रहे हैं। एक माह में प्रदेश में करीब 10 महापंचायतें होनी हैं।

गौरतलब है कि हरियाणा में संयुक्त किसान मोर्चा एक के बाद एक महापंचायतें कर रहा है। वहीं, हरियाणा भाकियू अध्यक्ष गुरनाम सिंह चढ़ूनी प्रदेशभर में समर्थन जुटाने के लिए घूम रहे हैं। इनमें 3 महापंचायतें यूपी के किसान नेता राकेश टिकैत जींद, चरखी दादरी और कुरुक्षेत्र में कर चुके हैं। वहीं, भूना में गुरनाम चढ़ूनी कर चुके हैं।

चढ़ूनी अलग-अलग टोल प्लाजा पर जाकर भी लगातार कार्यक्रम कर किसानों से रूबरू हो रहे हैं। संयुक्त मोर्चा के अन्य सदस्य भी इसी तरह सक्रिय दिखाई दे रहे हैं। कुछ सदस्य टिकैत के साथ महापंचायतों में नजर आते हैं तो कुछ अलग कार्यक्रम कर रहे हैं। प्रदेश का पंजाब में आंदोलन शुरू होने के पहले जैसा हो गया है। अब पंजाब का माहौल शांत है। हरियाणा से किसान रोज पहुंच रहे हैं।

किसान संगठनों का दावा- टिकरी में 75 और कुंडली में 45% हुई हरियाणा के लोगों की संख्या

दायरा बढ़ाने की कोशिश

किसान नेताओं की मानें तो वे महापंचायत और कार्यक्रम कर आंदोलन का दायरा बढ़ाना चाहते हैं।

एक राज्य (पंजाब) के आंदोलन की छवि को तोड़ने, नजदीक होने के चलते हरियाणा को जोड़ना मजबूरी भी है।

पहले आंदोलनों में खापों की अहम भूमिका रही, इसलिए खापों को जोड़ा।

सरकार पर दबाव बनाना

ग्रामीण क्षेत्रों में महापंचायत और कार्यक्रम कर जजपा-भाजपा विधायकों पर समर्थन के लिए दबाव बनाना।

भाजपा और जजपा के कार्यक्रमों का बड़े स्तर पर विरोध करना, ताकि मंत्री व विधायकों दबाव बना रहे।

जजपा पर दबाव बनाकर सरकार गिराने के प्रयास, जिससे केंद्र पर दबाव बढ़े।

पैठ बनाने की चाहत

महापंचायतों के पीछे किसान नेता अपनी पैठ बनाना चाहते हैं। टिकैत ने पहले कंडेला में महापंचायत की।

महापंचायतों में टिकैत के भावुक करने वाले पोस्टर बांटे जाते हैं, जबकि चढ़ूनी गुट के अलग बैनर नजर आते हैं।

चढ़ूनी भी इस मामले में पीछे नहीं हैं, वे जिलों में रोज कार्यक्रम कर रहे हैं।

आगे, दूसरे राज्यों को भी जाेड़ेंगे

हरियाणा में महापंचायत करके खापों से जो रुझान मिला है, उसे किसान नेता आगे बढ़ाना चाहते हैं। अगले एक माह में प्रदेश में इस तरह की करीब 10 और महापंचायत करने की योजना है। अगली महापंचायत सिरसा में होने जा रही है।

वहीं, संयुक्त मोर्चा के सदस्य बलबीर सिंह राजेवाल चंडीगढ़ और पंजाब में जाकर लगातार मीटिंग करेंगे। वहीं, संयुक्त मोर्चा ने निर्णय लिया कि जल्द राजस्थान, यूपी, एमपी, बिहार समेत देशभर में महापंचायतों का आयोजन करके आंदोलन को देशभर में बढ़ाया जाएगा।

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