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350 डॉक्टर्स की टीम के पास या तो शव पहुंच रहे या दिमागी संतुलन खो चुके लोग

350 डॉक्टर्स की टीम के पास या तो शव पहुंच रहे या दिमागी संतुलन खो चुके लोगहादसा देखने वालों की जिंदगी सामान्य करना एक बड़ी चुनौती
‘हादसे के बाद 65 साल की यह बुजुर्ग महिला मानसिक संतुलन खो बैठी हैं। किसी को पहचान नहीं पा रही हैं। बस बदहवास होकर अजनबियों की तरह सबको देख रही हैं।’ यह कहते हुए डॉक्टर प्रदीप भारद्वाज अपने साथी चिकित्सकों के साथ उस महिला की जांच में लग जाते हैं। फिर बताते हैं, ‘इनका बीपी बहुत हाई है और दिमाग पर असर हुआ है।’ डॉक्टर प्रदीप भारद्वाज सिक्स सिग्मा हेल्थकेयर दिल्ली के CEO हैं। उन 350 डाक्टरों की टीम के हेड हैं, जो रविवार रात 9 बजे यहां पहुंची थी। तब से अब तक 72 घंटे में घायलों के उपचार से ज्यादा यह टीम मानसिक संतुलन खो चुके लोगों के उपचार में लगी है।

बकौल डा. भारद्वाज, ‘हमारे पास आपदा को देख अवसाद में आए लोग लाए जा रहे हैं। सभी उम्रदराज और उन गांवों के हैं, जो उस वक्त किनारों पर खड़े होकर मजदूरों और नदी किनारे बसे लोगों को चिल्ला कर ऊपर भागने के लिए कह रहे थे। 17 गांवों से होकर जल प्रलय गुजरा, लेकिन गांव सुरक्षित हैं। गांवों में लोगों की काउंसिलिंग की जा रही है। इन्हीं के साथ नेहरू इंस्टिट्यूट आफ माउंटेनरिंग, उत्तरकाशी के प्राचार्य कर्नल अमित बिष्ट भी डटे हैं। उनके सामने दलदल में फंसी जिंदगियों को बचाने से बड़ी चुनौती आसपास के 17 से ज्यादा गांवों के वे लोग हैं जो हादसे के बाद से बदहवास हैं।

कर्नल बिष्ट कहते हैं, ‘एक ऐसी महिला हमारी चिकित्सा टीम के पास लाई गई जो अपनी आवाज खो बैठी है। सात-आठ ऐसी दूसरी महिलाएं भी हैं जिन्होंने हादसे के बाद से एक शब्द नहीं बोला है। उनकी चुप्पी तुड़वाने की ज्यादा कोशिश करने पर वे रो पड़ती हैं।’ दिमागी संतुलन खो चुकी 43 महिलाओं का डॉ. भारद्वाज की टीम इलाज कर चुकी है।

मंगलवार को जब डॉ. भारद्वाज हमसे बात कर रहे थे तभी कुछ युवा दो ऐसे बुजुर्गों को लेकर पहुंचे, जो लगातार उन्हीं स्थानों पर जाकर चिल्ला रहे हैं, जहां से उन्होंने जल प्रलय को देखा था। ये नौजवान बता रहे हैं कि ऐसे बहुत से लोग हैं जो सदमे में हैं। इस जानकारी के बाद डाक्टरों की कुछ टीमें वहां के लिए निकल पड़ीं, जहां लोग हाईपरटेंशन, ब्लड प्रेशर और फोबिया से बीमार पड़ गए हैं।

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