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रियल एस्टेट में आई तेजी का असर, डेढ़ गुना से अधिक बढ़ी ग्रेनाइट और मार्बल की मांग

किशनगढ़ से ग्राउंड रिपोर्ट:रियल एस्टेट में आई तेजी का असर, डेढ़ गुना से अधिक बढ़ी ग्रेनाइट और मार्बल की मांगराजस्थान का किशनगढ़ एशिया का सबसे बड़ा मार्बल और ग्रेनाइट हब है
ऑफिस-मॉल आदि में ग्रेनाइट का इस्तेमाल अधिक हो रहा
कोरोना के बाद रियल एस्टेट सेक्टर में लौटी तेजी ने ग्रेनाइट और मार्बल की भी चमक बढ़ा दी है। ग्रेनाइट और मार्बल का काराेबार डेढ़ गुना से अधिक बढ़ गया है। इससे एशिया के सबसे बड़े ग्रेनाइट और मार्बल हब किशनगढ़ (राजस्थान) में रौनक फिर से लौट आई है। मालूम हो, करीब दो लाख की आबादी वाले इस शहर में 53 हजार से अधिक लोग रोजगार के लिए ग्रेनाइट और मार्बल के कारोबार पर ही आश्रित हैं।

कोरोना के बाद बाजार में उठाव
किशनगढ़ मार्बल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुधीर जैन कहते हैं, कोरोना के समय मंडी के व्यापारियों की हालत खस्ता हो गई थी, लेकिन कोरोना के बाद आए उठाव की वजह से व्यापारियों ने राहत की सांस ली है। किशनगढ़ मार्बल मंडी कोरोना से पूरी तरह उबर चुकी है। यहां से देश ही नहीं दुनिया के कई देशों को ग्रेनाइट निर्यात किया जा रहा है। ग्रेनाइट और मार्बल का व्यापार रोजाना 24 करोड़ रुपए पर पहुंच गया है, जबकि कोरोना से पहले यह 15 करोड़ रुपए था। जैन ने कहा कि वर्तमान में मार्बल की 100 और ग्रेनाइट की 300 गाड़ियों का प्रतिदिन लदान हो रहा है। वियतनाम, श्रीलंका, तुर्की, अरब देशों, इंडोनेशिया सहित एक दर्जन से अधिक देशों को ग्रेनाइट निर्यात किया जा रहा है।

वैक्सीन बन जाने की खबरों के बाद ऑफिस स्पेस में लेनदेन बढ़ा
विशेषज्ञों के मुताबिक, रिहायशी यूनिट्स में अब ज्यादातर विट्रीफाइड टाइल्स का इस्तेमाल होता है। ग्रेनाइट और मार्बल का उपयोग कॉमर्शियल रियल्टी जैसे होटल, मॉल, रिसोर्ट, ऑफिस आदि में किया जा रहा है। नाइट फ्रैंक और उद्योग संगठनों फिक्की एवं नारेडको की ओर से हाल में जारी रियल एस्टेट सेंटिमेंट इंडेक्स रिपोर्ट की मानें तो 2020 के अंत में वैक्सीन बन जाने की खबरों के बाद ऑफिस स्पेस में लेनदेन बढ़ा है। ग्लोबल कंपनियां स्थिति सामान्य होने के बाद भविष्य की जरूरतों को ध्यान में रख कर खरीदारी कर रही हैं। इसके चलते ऑफिस स्पेस की मांग बढ़ी है।

ग्रेनाइट की दक्षिण भारत में ज्यादा खपत
बड़े सौदे हासिल करने के बाद देश की दिग्गज आईटी कंपनियां एक बार फिर सबसे बड़ी खरीदार हैं। देश की सबसे बड़ी मार्बल कंपनी आरके मार्बल ग्रुप के सुभाष अग्रवाल कहते हैं, ग्रेनाइट की पूरे देश में ही सप्लाई हो रही है, लेकिन दक्षिण भारत में इसकी ज्यादा खपत है। दक्षिण भारत में ग्रेनाइट महंगा है।

ग्रेनाइट के आगे फीका पड़ रहा मार्बल
2014 तक किशनगढ़ में प्रतिदिन 450 ट्रक से मार्बल का लदान होता था। इसके बाद ग्रेनाइट ने मार्बल की जगह लेना शुरू कर दी। मार्बल के मुकाबले अधिक चमक और सस्ता पड़ने के कारएण ग्रेनाइट की मांग लगातार बढ़ रही है। इसके अलावा, रेडी-टू-यूज होने की वजह से भी घर, ऑफिस और मॉल के निर्माण में ग्रेनाइट को अधिक पसंद किया जाने लगा है। मार्बल की तुलना में ग्रेनाइट अधिक मजबूत भी होता है। इस कारण ग्रेनाइट की मांग मार्बल से बढ़ गई है। फिलहाल, किशनगढ़ में होने वाले कुल कारोबार में ग्रेनाइट की हिस्सेदारी 70 फीसदी है, जबकि मार्बल की 30 फीसदी हिस्सेदारी है।

ग्रेनाइट का व्यवसाय प्रतिदिन 18 करोड़ रुपए तक पहुंचा

मार्बल एसोसिएशन के अध्यक्ष सुधीर जैन बताते हैं कि ग्रेनाइट का व्यवसाय प्रतिदिन 18 करोड़ रुपए तक पहुंच गया है। रोजाना छह करोड़ के मार्बल भी बिक रहे हैं। ग्रेनाइट की मांग ज्यादा हो रही है। यह रेडी-टू-फिट होता है, जबकि मार्बल में प्रक्रिया थोड़ी लंबी है।

सीमेंट, स्टील, हाउसिंग लोन और रोजगार में वृद्धि भी दिख सकती है
देश का रियल एस्टेट सेक्टर कोविड-19 की वजह से हुए लॉकडाउन में पीछे जाने के बाद अब तेजी से रिकवरी कर रहा है। 2016-17 के दौरान सरकार के कुछ नीतिगत फैसलों और सुधारों की वजह से भी रियल एस्टेट सेक्टर पिछड़ा था। अब यह अपनी गति वापस पकड़ता नजर आ रहा है। इसके पीछे कुछ राज्य सरकारों के स्टाम्प ड्यूटी की छूट जैसे उपाय, केंद्र सरकार की इस सेक्टर को प्रोत्साहन देने की योजनाओं के अलावा सस्ते हाउसिंग लोन जैसी वजहें हैं। इन सबका सकारात्मक असर रियल एस्टेट सेक्टर पर पड़ रहा है। रियल एस्टेट सेक्टर का देश की जीडीपी में 7 से 8 फीसदी तक प्रत्यक्ष योगदान है। इस सेक्टर में ग्रोथ की वजह से प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर जुड़े लगभग 200 से ज्यादा सेक्टर को फायदा मिल रहा है। सीमेंट, स्टील और निर्माण सामग्री की डिमांड के अलावा हाउसिंग लोन सेक्टर और रोजगार में भी वृद्धि देखने को मिल सकती है।

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